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 १६. २. २०१५

इस सप्ताह-

अनुभूति में-1
अनुराग तिवारी,
-राकेश मधुर,-सविता मिश्रा,  संध्या सिंह व सत्यवान शर्मा की रचनाएँ।

- घर परिवार में

रसोईघर में- महाशिवरात्रि के अवसर पर व्रत के लिये हमारी रसोई-संपादक शुचि प्रस्तुत कर रही हैं, स्वाद और स्वास्थ्य से भरपूर- फलाहारी भेल

बागबानी में- कुछ आसान सुझाव जो बागबानी को सफल, स्वस्थ और रोटक बनाने की दिशा में उपयोगी हो सकते हैं- ३. पत्तों पर धूल न जमने दें।

जीवन शैली में- कुछ आसान सुझाव जो व्यस्त जीवन में, जल्दी वजन घटाने के लिये बहुत सहायक हो सकते हैं- ६- अच्छी नींद लें-  

सुंदर घर- घर को सजाने के कुछ उपयोगी सुझाव जो आपको घर के रूप रंग को आकर्षक बनाने में काम आएँगे- २- भला लगे रंगों का मेला

- रचना व मनोरंजन में

क्या-आप-जानते-हैं- आज के दिन (१६ फरवरी को) संगीत निर्देशक ओ.पी. नैयर, अभिनेता कबीर बेदी, गायक और अभिनेता शेखर सेन... विस्तार से

नवगीत संग्रह- संजीव सलिल की कलम से डॉ. रामसनेही लाल शर्मा ‘यायावर’ के नवगीत संग्रह- गलियारे गंध के का परिचय।

वर्ग पहेली- २२४
गोपालकृष्ण-भट्ट-आकुल और
रश्मि-आशीष के सहयोग से


हास परिहास
में पाठकों द्वारा भेजे गए चुटकुले

साहित्य एवं संस्कृति में-

समकालीन कहानियों में प्रस्तुत है भारत से
पावन की कहानी- और नैना बहते रहे

कहाँ से शुरू करूँ?
ली मैरिडियन के कमरा नम्बर नौ सौ सात से, जहाँ मैं अभी हूँ और अनिरुद्ध की प्रतीक्षा कर रही हूँ। या परसों हुई उस मुलाकात से, जब मैं और अनिरुद्ध चौदह साल बाद मिले थे, बिल्कुल अचानक, अनपेक्षित। या अपने मन में पनप चुके प्यार के एहसास को अनिरुद्ध को बताने से, जब उसकी कोई आवश्यकता ही नहीं थी क्योंकि मेरी शादी होने में कुछ दिन ही बाकी थे। या पुरानी मोहब्बत की कहानी, जिसने एकदम से ही मेरे भीतर नये सिरे से सिर उठा लिया था।
...सोच रही हूँ वर्तमान से ही शुरू करती हूँ, उसमें अतीत अपने आप आ जायेगा, दिन बीत जाने के बाद रात की तरह। पाँच सितारा होटल का कमरा अपने ऐश्वर्य से मुझे चिढ़ा रहा था। सच तो ये था कि मैंने पहली बार ऐसा कमरा देखा था। मैं सिर्फ और सिर्फ चकित थी। सुख की, वैभव की ऐसी परिभाषा भी होती है? मैंने तो अपने जीवन में धर्मशालाएँ और गेस्ट हाउस ही देखे हैं। पाँच सितारा होटल तो बिल्कुल अलग अनुभव है।... आगे-
*

ओजेन्द्र तिवारी की
लघुकथा- दिल
*

हजारी प्रसाद द्विवेदी का ललित निबंध
शिरीष के फूल
*

डॉ. अशोक उदयवाल से
स्वास्थ्य चर्चा- साग चौलाई का

*

पुनर्पाठ में डॉ. गुरुदयाल प्रदीप की विज्ञान वार्ता
हेलिकोबैक्टर पाइलोरी और नोबेल पुरस्कार

पिछले सप्ताह-

अश्विनी कुमार विष्णु की लघुकथा
टपरी वाले का बेटा

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महेन्द्र सिंह लालस का आलेख
भारत में यहूदी
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स्वामी वाहिद काजमी की कलम से
धातु-शिल्प की अद्भुत कलाकृति : दिल्ली की किल्ली

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पुनर्पाठ में विजय वाते का आलेख
उजाले अपनी यादों के

*

समकालीन कहानियों में प्रस्तुत है डेन्मार्क से
अर्चना पेन्यूली की कहानी- मीरा बनाम सिल्विया

डेनमार्क का इस्कोन मंदिर घाटे में चल रहा था। कोई नया सदस्य बन नहीं रहा और जो पुराने थे, एक-एक करके छोड़ रहे। नये-नये हाईटेक आध्यात्मिक पंथ खुलते जा रहे हैं जो लोगों को अधिक आकर्षित कर रहे हैं। रवि शंकर का आर्ट ऑफ लिविंग। गुरूमाँ आनन्दमयी। पंतजलि योगपीठ। बाबा रामदेव तो हर जगह छा गये हैं। लिहाजा यह पंथ जिसकी नींव वर्षों पहले पड़ गई थी और जिसने पश्चिमी देशों में आध्यात्मिकता की एक लहर डाल दी थी अब दिवालियेपन की नौबत में आ गया था। सेलेण्ड द्वीप की परिसीमा हिलरोड में कई एकड़ भूमि में फैला विस्तृत एस्कोन आश्रम जो कई वर्ष चला, अन्ततः अनुयायिओं को दिवालियेपन की वजह से छोड़ना पड़ा और उन्हें एक छोटे से अहाते की शरण लेनी पड़ी। मगर यह भी बरकरार रहे इसकी भी उन्हें संभावना कम लग रही थी। उन्होंने भारत स्थित इस्कोन पंथ के अनुयायिओं से अनुरोध किया कि इस पंथ को कोपनहेगन में जीवित रखने के लिये भारत से किसी को भेजें जो यहाँ के नागरिकों को... आगे-

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यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित होती है।


प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन

 
सहयोग : कल्पना रामानी -|- मीनाक्षी धन्वंतरि
 

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