इस सप्ताह- |
अनुभूति
में-
अमृत खरे, रणवीर सिंह
अनुपम, श्रद्धा यादव, सुधा अरोड़ा और त्रिलोकीनाथ टंडन
की
रचनाएँ। |
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साहित्य व संस्कृति में-
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1
समकालीन कहानियों में यू.के. से
तेजेन्द्र शर्मा की कहानी-
धुँधली सुबह
आज फिर वही हुआ। ठीक आठ बजे रात को बिजली गुल। दिव्या सहम गई।
उसने राहुल को अपनी छाती से चिपका लिया। किन्तु बहुत जल्दी ही
उसे अपना निर्णय बदलन देना पड़ा। गर्मी के मारे राहुल ने रोना
शुरू कर दिया था। राहुल की चिल्लाहट जैसे अन्धेरे से टकराकर एक
गूँज-सी पैदा करने लगी थी। अन्धेरा धीरे-धीरे ठोस हुआ जा रहा
था। राहुल चिल्लाए जा रहा था और चीख़ें अन्धेरे से टकराए जा
रही थीं।
बाहर एक
ऑटो-रिक्शा रुकने की आवाज हुई। दिव्या की जान में जान आई। शायद
प्रभात आ गया है। कल उसके देर से आने पर दोनों में जमकर युद्ध
हुआ था। अब तो यह रोज़ ही होने लगा है। यह छोट-छोटे युद्ध
किसी-किसी दिन महायुद्ध का रूप धारण कर लेते हैं। कल रात एक
वैसी ही अन्धेरी रात थी। चिपचिपाहट से गीली हुई रात। प्रभात
रात के एक बजे घर लौटा था - शराब के नशे में धुत! कितना अच्छा
इन्सान हुआ करता था यह आदमी। क्या हो गया है उसे! किसकी नज़र
लग गयी है उनके घर को।
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शरद जोशी का व्यंग्य
नेतृत्व की ताकत
*
कनीज भट्टी का आलेख
रंग बिरंगी जयपुरी रजाइयाँ
*
श्रीराम परिहार का ललित निबंध
शब्द वृक्ष
*
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पिछले
सप्ताह- |
1
नंदलाल भारती की लघुकथा
लैपटॉप
*
एम.एस. मूर्ति से रंगमंच पर
आंध्र प्रदेश की नाट्य
शैलियाँ
*
विवेक मांटेरो से जानें
परमाणु ऊर्जा- आवश्यकता या
राजनीति
*
पुनर्पाठ में राजेन्द्र प्रसाद सिंह का आलेख
भोजपुरी में नीम आम और जामुन
*
समकालीन कहानियों में भारत से
अशोक गुप्ता की कहानी-
शोक वंचिता
उस समय रात
के डेढ़ बज रहे थे...
कमरे की लाईट अचनाक जली और रौशनी का एक टुकड़ा खिड़की से कूद
कर नीचे आँगन में आ गिरा।
लाईट दमयंती ने जलाई थी। वह बिस्तर से उठी और खिड़की के पास आ
कर बैठ गई। उसके बाल खुले थे, चेहरा पथराया हुआ था लेकिन आँखें
सूखी थीं।
दमयंती ने खिड़की के बाहर खिड़की के बाहर अपनी निगाह टिका दी।
चारों तरफ घुप्प अँधेरा था, लेकिन दमयंती को भला देखना ही क्या
था अँधेरे के सिवाय? एक अँधेरा ही तो मथ रहा था उसे भीतर तक...
नीचे आँगन में दमयंती की सास के पास दमयंती का पाँच बरस का
बेटा सोया हुआ था। वहीं, अपने घर से आई हुई दमयंती की छोटी बहन
अरुणा भी सोई हुई थी। अँधेरे को भेद कर देखते हुए दमयंती ने
सीढियों पर कदमों की आहट सुनी।
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