''माँ बनने की इच्छा नहीं होती?''
''नहीं, अभी तो नहीं। आदमी अपने आपको जब जैसा चाहे आत्मसम्मोहित करके जी सकता
है।''
''वह कैसे?''
''जीने का असली राज़ है कि आपको सही तरीके का आत्मसम्मोहन आना चाहिए। खूबसूरत
भ्रमों को जिलाये रखना चाहिए।''
कुल मिलाकर कैथी का दर्शन मैंने तो किसी
दार्शनिक के सिद्धांतों में अब तक नहीं पाया।
कैथी ने कहा, ''मेरे पाँच कमरोंवाले फ्लैट को देखकर यह मत समझो कि यहाँ एल.ए.
की तरह फैलाव है। यहाँ न किसी के पास समय है और न स्थान। यहाँ एक आठ फुट लंबे
तथा दस फुट चौड़े कमरे को दिन में ऑफिस बना दिया जाता है और शाम को खाने की
मेज़।''
''तुम्हें अपनी एक दोस्त रे यहाँ ले चलूँगी। एक कमरे में वे क्या करते हैं, खुद
अपनी आँखों से देखना। यहाँ पागलों की तरह लोग घर खोजते हैं और उतने ही बदलते
हैं। मुझे मेरे पड़ोसी के बारे में पता नहीं। यदि एक साल में चार पड़ोसी बदलें
तब कहाँ तक नाम याद रखे जाएँ।''
''तुमने कितनी बार अपना घर बदला, शादी के बाद?''
''अभी तो नहीं।''
''क्यों तुम अभी कह रही थीं कि लोग बहुत घर बदलते हैं, साल में दो चार बार।''
''हाँ हाँ, मगर अभी तो मेरी शादी को कुल छह महीने हुए हैं। ब्रैडी विवाहित थे।
पिछली सारी कडुआहटें झेलकर शादी करना आसान नहीं था।''
''इसके पहले कहाँ थे?''
''मैं टेक्सास में थी, डैड के पास और ब्रैडी यहीं पर था।''
''फिर कहाँ मिले?''
''यों ही चलते-चलते। मैं न्यूयार्क घूमने आई थी। ठीक घूमना नहीं मेरी इच्छा थी
कि अभिनेत्री बनूँ। किसी अच्छे नाटक में काम करूँ। डैड बहुत नाराज़ हुए, ममी
छुपाकर पैसा भेजती थी। लेकिन वह भी कितने दिन? मैंने प्लाजा होटल में
रिसेप्शनिस्ट का काम ले लिया। ब्रैडी बोस्टन से आकर उसी होटल में ठहरा था।
प्रेम हुआ, शादी कर ली। फिर यहीं बस गए।''
''और ब्रैडी की पहली पत्नी?''
''बोस्टन में है, अथाह संपत्ति की मालकिन। ब्रैडी को हरजाने में बीस लाख डॉलर
देने पड़े। दिया, मगर उससे क्या फ़र्क पडता है? वह बहुत कमाता है। फिर डैड ने
हम दोनों बहनों, एलिजा और मुझे, काफी पैसा दिया है। इतना पैसा दिया है कि मैं
अपनी इस ज़िंदगी में खाकर ख़त्म नहीं कर सकती।''
कैथी की बातें खत्म ही नहीं होती थीं। एक सवाल
के जवाब में मूल तने से फूटती हुई शाखाएँ प्रशाखाएँ। जब तक दूसरा सवाल न दागो,
वह पहले का ही उत्तर देती रहती।
दूसरे दिन कैथी और मैं निकले।
''अरे तुम्हारे पास ऊनी कोट नहीं?''
''मगर ऐसी कोई ठंड भी तो नहीं? स्वेटर और बरसाती से...''
उसने ऊपर से नीचे तक मुझे देखा फिर हाथ खींचती
हुई लिफ्ट के भीतर। दो मिनट बाद फ्लैट में, आधे मिनट में उसके ड्रेसिंग रूम
में।
''ये सारे कपड़े उतारो। कहाँ से खरीदे तुमने? ये पुराने फैशन के कपड़े?''
मेरे अभिमान को ठेस पहुँची।
''कैथी मैं जैसी भी हूँ ठीक हूँ। फैशन के कपड़े खरीदने के लिए पैसे चाहिए।''
इतने में वह गले से लिपटकर बोली, ''और न्यूयार्क में पैसे कमाने के लिए अच्छे
कपड़े चाहिए। प्रभा! तुमको छोटा महसूस करवाने का मेरा इरादा नहीं था। मगर हम
जिस जगह जा रहे हैं वहाँ के हिसाब से यदि कपड़े पहनकर चलोगी तो तुमको सुविधा
होगी।''
''कैथी मैं विदेशिन हूँ। मेरे देश में क्या तुम साड़ी पहनकर चलोगी?''
''तुम इतनी सेंसिटिव क्यों हो? व्यावहारिक बनो। यह क्यों नहीं समझना चाहतीं कि
तुम्हें व्यवसाय सीखना है, किसी का काम करने का तरीका समझना है। वहाँ अलग से
आँखों में खटको नहीं। क्या इतनी सी व्यावहारिक बात समझ में नहीं आती?''
''मगर मैं कहाँ से कपड़े लाऊँ?''
''क्यों, क्या कोई दोस्त के कपड़े नहीं पहनता? अच्छा, यह बताओ तो, तुममें इतना
हीन-भाव क्यों है?''
''जिसे तुम हीन-भाव कह रही हो वह मेरा आत्मसम्मान भी तो हो सकता है?''
''नहीं, यह हीन-भाव है।''
वह सीधी मेरी आँखों में देख रही थी, ''मुझसे नज़र मत चुराओ।''
''तुम अमीर देश की, अमीर बाप की बेटी अमीर आदमी की बीबी, तुम कैसे समझोगी कि
यहाँ आकर कैसे हमलोगों को एक-एक डॉलर का मोहताज होना पड़ता है।''
स्वरों में छुपी तल्खी और आँखों की भाप, उसने
आगे बढ़कर दोनों हाथों में मेरा चेहरा थाम लिया।
''प्रभा! औरत अभी मनुष्य श्रेणी में ही नहीं गिनी जाती और तुम अमीर-गरीब का
सवाल उठा रही हो? राष्ट्र का भेद समझा रही हो? माई स्वीट हार्ट! हम सब अर्धमानव
हैं। पहले व्यक्ति तो बनो, उसके बाद बात करना। चलो कपड़े बदलो, तुम्हारा मेरा
कद एक सा है।''
''मेरी कमर चौड़ी है।''
''मेरे पास इलास्टिक के पैंट भी है। स्कार्फ, यह स्वेटर, यह कोट। बालों को खुला
रखो, यह क्या बच्चों की पोनीटेल बाँध रखी है?''
कैथी का प्रेम से सजाना, उदार मन से गले में
अपनी सोने की चेन, हाथ की घड़ी बदलना। उसने फिर धीरे से मुझे ड्रेसिंग टेबल के
सामने खड़ा किया, ''देखो यह स्पोर्टी लुक, कितना अच्छा लग रहा है ना?''
मुझे आइलिन की बात याद आ गई, ''हूँ क्लारा ब्राउन सुंदर है, नौ दर्जी मिलकर एक
राजा को बनाते हैं।''
सड़क पर चलती हुई हम दोनों अलग-अलग दिशाओं की
ओर देख रही थीं। कैथी की नज़र सीधी, आश्वस्त कदम और मेरी कभी बायें दुकानों में
सजी चीज़ों कभी आकाश को छूती ऊँची छतों कभी बगल में चलते राहगीरों से टकराती
हुई। कैथी ने हँसकर बाहों में समेटकर कहा, ''दुनिया के इस महानगर को एक ही
फलांग में देख लोगी? लो तुम तो बहक रही हो।''
''नहीं।''
''फिर झूठ बोलती हो। यदि शर्म आई तो कहो हाँ, ना कहने की क्या ज़रूरत?''
''बात यह है कि कैथी हमलोग दो बिल्कुल भिन्न-भिन्न बैकग्राउंड से आ रहे हैं और
सच कहूँ कैथी! इतना वैभव, इतनी तेज़ रफ्तार, सामानों से लदी हुई दुकानें, मैंने
लॉस एंजेल्स में भी नहीं देखी।''
''अरे एल.ए. रुमानी शहर है। न्यूयार्क व्यावसायिक शहर है। यहाँ सुबह आदमी
रॉकफेलर होने का सपना लेकर अपनी साठवीं मंज़िल के ऑफिस में आता है और शाम को
दिवालिया होकर अपनी खिड़की से छलांग लगा लेता है। जानती हो प्रभा! मुझे यह शहर
बहुत एक्साइट करता है। यह जो गो-गो है, चलो चलते रहो, रुको मत, बहते रहो मेरी
नसों में खून की तरह निरंतर बहता है। यहाँ रोज़ कुछ न देखने को मिलता है। यह
देखो, इस आदमी को, सड़क के कोने पर अपना ठेला लिए हॉट डॉग और बेगल बेगल बेच
रहा है। इसके हॉट डॉग में जो स्वाद होगा, वह तुम्हें कहीं नहीं मिलेगा।''
''कैथी! तुम अपनी कोई ट्रैवल कंपनी क्यों नहीं खोल लेतीं?''
''अरे सोचा था, पर ब्रैडी है ना, शॉविनिस्ट पिग (पुरुषाहंकारी सुअर) मुझे कोई
काम नहीं करने देगा, अच्छा अब हमलोग ४७ वीं स्ट्रीट पर हैं। दाहिने मुड़ो
मैडिसन एवेन्यू तक जाना है। न्यूयार्क में रास्ता समझना बड़ा आसान है। पूरब में
हडसन से शुरू होता है। फर्स्ट एवेन्यू, सेकंड, थर्ड... इस प्रकार लेविंग्स्टन
उसके आगे आठ और पश्चिम तक उत्तर से यों सोचो हमारे घर से हमलोग एक-एक ब्लॉक पार
कर रहे हैं। ५७, ५६, ५५,५४... सीधी सड़कें पूरब से पश्चिम तक शहर को काटती हुई।
टैक्सीवाले को पता दो तब कहो, मैडिसन ३७ ईस्ट या वेस्ट। मैडिसन एवेन्यू मेरुदंड
है। फिर आएगा टाइम्स स्केयर...''
अचानक दूर से आती टैक्सी को हाथ उठाकर कैथी ने
रोका। मुझे भीतर ढकेलती हुई खुद बैठी। ''ऑफ ब्राडवे, एस्टर'', सबकुछ इतनी जल्दी
मानो एक सांस फेफडों से निकली, टैक्सी को रोककर दरवाज़ा खोल गई और फिर वापस
फेफड़ों में क्षणभर सुस्ताने लगी। फिर राहत के साथ उसने मेरी ओर देखा। कैथी की
बड़ी-बड़ी बादामी आँखों में शरारत थी।
''हमलोग पहले बाल कटवाने चल रही हैं।''
''हेल्थ क्लब नहीं चलेंगी?''
''चलूँगी स्वीटहार्ट! पर बाल कटवाने में मुझे हमेशा एक गज़ब सुकून मिलता है।
आह! ऐसा आनंद कि क्या कहूँ?''
मैं उसके कंधों तक झूलते सुनहरे रेशमी गुच्छों
को देख रही थी। फिर मुझे आइलिन का अपने बालों का रंगना याद आया। साथ ही मैंने
धीरे से कमर से नीचे लहराते अपने लंबे बालों को हथेलियों में भींच लिया।
बाहर गेट पर एक काला आदमी था। कैथी ने दस डालर उसकी मुठ्ठी में पकड़ाए। अपने
मोती जैसे दाँत चमकाती हुई वह बोली,
''हमलोग जल्दी में हैं।''
''लैरी मदाम को जानता है। मदाम हमेशा जल्दी में होती हैं। हमेशा।''
फिर जेब से उसने चुपके से दो कार्ड निकालकर थमा दिए। ४ और ५ नंबर। धन्यवाद,
कहकर वह भीतर हो ली। उसके पीछे मैं। भीतर वेटिंगरूम में अच्छी खासी भीड़। बाहर
से आई महिलाएँ प्रतीक्षा कर रही थीं। सबको नंबर से भीतर बुलाया जाता था। इस
कंबख्त अमेरिका में हर जगह लाइन। और हर अमरीकी आदमी चुपचाप लाइन में पॉपकॉर्न
खाते हुए, कैंडी चूसते हुए या फिर च्युइंगम चबाते हुए घंटों खड़ा रहेगा। कुछ
देखने, कुछ खाने, कुछ काम करवाने, बैंक के सामने, दुकानों में सामान खरीदकर
पैसे देने के लिए, हर बात के लिए लाइन। मगर ज्यों ही काम ख़त्म हुआ कि बस फिर
वही वहशी दौड़। अब तक सामने लगी मशीन में पैसे डालकर कैथी एक बीयर और एक
कोकाकोला का कैन ले आई थी। पसरकर बैठती हुई, वह धीरे से फुसफुसाई, ''ब्रैडी से
कभी कहना मत कि मैंने लाइन तोड़ने के लिए घूस दी है।''
''तब तुमने ऐसा काम किया क्यों? हम किसी और सैलून में बाल कटवाने जा सकते थे।''
उसने होठों को गोल करते हुए कहा, ''मुझे लाइन में खड़ा होना अच्छा नहीं लगता।
पहले से समय निर्धारित करने की मेरी आदत नहीं। और यहाँ बाल काटने वालों के दो
अलग-अलग कमरे हैं। एक पहले से निर्धारित वक्त पर आनेवालों के लिए और दूसरे मेरी
जैसों के लिए जिनको अचानक बाल कटवाने की या शैंपू की ज़रूरत पड़ जाए। फिर आज तो
तुमको दिखाना भी था।''
हम भीतर गए। सैलून की कुर्सियों में लगे हुए
बेसिन। उस गुलाबी रंग के झिलमिलाते हुए काँच महल में करीब दस पुरुष हेयर कटर
थे, (हमारी भाषा में नाई कहिए, पर ग्रेज्युएट नाई) |