राजू! यह कैसा पागलपन है?
यदि पेशेंट को कुछ हो जाए तो?' सशंकित मेरी तरफ़ देखते हुए
सरला ने पूछा।
'चारों तरफ़ फैले अंधकार को देखते हुए उदास हो जाने के बजाय
साहस कर एक छोटा-सा दीप जलाना उत्तम है, - ये बातें तुम्हारी
ही हैं न? कहकर मैं थियटर की तरफ़ चल पड़ा।
आपरेशन थियेटर में पाँव
धरते ही मेरे अंदर विचित्र परिवर्तन आया। अकसर चाहे वह वार्ड
हो या क्लास रूम, अचानक एक कविता का दौर मेरे अंदर प्रवेश कर
एक ज्वाला की तरह मुझ पर हावी होकर मुझे एक ट्रांस में फेंक
दिया करता था। लेकिन उस वक्त मेरे मन पर कविता का प्रभाव
नहीं रहा। सभी आवेगों को भूलकर एक सुशिक्षित सैनिक-सा बदल
गया।
हाथ धोकर, ग्लव्स पहनकर
आपरेशन टेबुल के पास चला गया। तब तक एनस्थिसिस्ट भी आ पहुँचा
था। मरीज़ सभी भावनाओं से दूर बेहोश पड़ी हुई थी। 'मरीज़ के
रिश्तेदार तंग कर रहे हैं। सरला जी को एक बार बाहर भेजिएगा।'
घबराते हुए एक स्टुडेंट नर्स अंदर आ गई।
'आपरेशन के पहले मरीज़ का
मर्द आवश्यक खून देने के लिए तैयार था लेकिन अब वह मुकर कर
कह रहा है कि मैं पैसा दे देता हूँ, कहीं से खून मँगवाइए।
क्या मिनटों में पैंसों से खून मिल जाता है? वह भी पाजिटिव
बी ब्लड।' नर्स कुड़कुड़ाने लगी।
'मैं बाहर जाकर देखती हूँ, माजरा क्या है, तुम अपना काम
सँभालो।' सरला प्यार से मेरे कंधे पर थपकी देकर चली गई।
मैंने निचले वाले पेट के
ऊपर और नाभी के नीचे एक पतली लकीर-सा चीरा लगाया। न जाने
क्यों मेरे हाथ काँप गए। सैंकड़ों बार ऐसे आपरेशन करते हुए
देख चुका हूँ। फिर भी अजीब-सा डर, सारे शरीर में फैल गया।
सारा बदन पसीने से सराबोर हो गया।
चमड़े के नीचेवाली तहों को
अलग कर, उभरने वाले खून को पैडों के सहारे रोकने का प्रयत्न
करते हुए गर्भाशय को पहचान लिया। अंदर शिशु को बाहर खींच
लिया। वह शिशु लड़का था। बच्चे को नर्स के हाथों में थमा
दिया। उसने बच्चे को सँभाला। मेरे अंदर जो कंपन और डर था,
पता नहीं वह कब गायब हो गया था। सीधे लक्ष्य की तरफ़ बढ़ने
वाले सैनिक की तरह आगे चल पड़ा। बाकी काम मुस्तैदी से पूरा
कर हाथ धोने के लिए तैयार हुआ ही था कि पीछे से दो मुलायम
हाथ मेरे कंधों पर थपकियाँ देने लगे और मेरे गाल का मृदुल
ओंठों ने चुंबन किया। मैंने समझा कि वह शायद सरला होगी।
मुड़कर देखता हूँ तो डाक्टर वसुंधरा मैडम थीं।
'आई ऐम प्राउड आफ यू माई
बॉय! तुमने ऐसा आपरेशन किया कि मानो बरसों से तुम्हें अनुभव
हो। कीप इट अप! जब तुम गर्भाशय खोल रहे थे तभी मैं आई थी।
तुम्हें डिस्टर्ब करना नहीं चाहती थी, इसलिए पीछे खड़ी रह
गई। तुम्हें बहुत-बहुत मुबारक। जो तुमने मुझे इस हादसे से
बचा लिया। यदि सही समय पर चिकित्सा न मिलने के कारण मरीज़ को
कुछ हो जाता तो अस्पताल का गौरव मिट्टी में मिल जाता। जो
साहस तुमने किया है, बड़ा रोमांचक है। इस घटना को मैं, बरसों
याद रखूँगी।' मैडम ने मेरी तारीफ़ की।
आपरेशन थियेटर से बाहर
निकलते हुए मुझे इतनी खुशी हुई कि व्यक्त करने के लिए भाषा
की कमी महसूस हो रही है। ऐसे समय में सरला का वहाँ न होने और
उसके मुँह से तारीफ़ न सुन पाने की वजह से मुझे थोड़ा अफसोस
हुआ।
बड़ी खुशी से मैंने ड्यटी रूम में प्रवेश किया। कमरे में बेड
पर लेटी हुई सरला। 'कांग्रेट्स! सिस्टर अभी बता कर गई कि
आपरेशन सक्सेस रहा है। मैं बहुत कमज़ोर महसूस कर रही थी,
इसलिए तुम्हारा साथ नहीं दे पाई। मरीज़ के रिश्तेदार ने खून
देने से इन्कार कर दिया था। इस आपरेशन के लिए खून की जितनी
जरूरत होती है मुझे मालूम है। मेरा भी खून बी पाजिटिव है '
सरला हंसते हुए कह रही थी। लेकिन मेरी आँखों में आँसू भर आए।
कितना त्याग। जब मैंने गोर्की की कहानी पढ़ी तब उस कहानी के
चरित्रों की भलमनसाहत और त्याग ने मुझे विस्मित कर दिया था।
ऐसे बहुत थोड़े ही लोगों के रहने के कारण ही इस सड़ी-गली,
धोखेबाज दुनिया में हम जी रहे हैं। मुझे लगा जैसे सरला ही
सच्चे मायने में गोर्की का जीता-जागता चरित्र है। |