वह हमेशा वर्ग-रहित समाज के
बारे में सपने देखती रहती है। स्त्री समस्याओं पर परचियाँ और
पुस्तकें छपाते हुए और ख़ास मुद्दों पर जुलूस और धरना आयोजित
करते हुए हमेशा व्यस्त रहती है। मुझे पलायनवादी कहकर पुकारती
है और मेरी कहानियों को बिलकुल समय गुज़ारनेवाली सामग्री
कहकर मज़ाक उड़ाती है। फिर भी सरला मेरी इकलौती अंतरंग सहेली
है। हम दोनों मिलकर न कटनेवाली शामों को और ज़िन्दगी के
उतार-चढ़ावों को नापते रहते हैं। जो भी हो अपनी स्मारिका की
कहानी के लिए मुझे चुन लेना मैं अपने लिए बड़ी बात मानता
हूँ।
रात को कोई आठ बजे एक औरत
की प्रसूति हुई थी। तब से कोई काम नहीं था। ड्यूटी पर लगी
गाइनाकॉलॉजिस्ट डॉक्टर वसुंधरा जी भी कोई काम न रहने के कारण
अस्पताल में चक्कर काटने के लिए चली गई। पी.जी. डाक्टर तथा
सर्जन राधा पी.जी. के साथ 'उमराव जान' सेकेण्ड शो सिनेमा
देखने चली गई। दोनों स्टाफ नर्स छात्र नर्सों के साथ
घुल-मिलकर आपस में पुरानी यादों को बाँटने लगीं।
गोर्की के कहानी-संग्रह पर
हाथ लगाते ही न जाने क्यों मेरा शरीर रोमांचित हो उठा।
जल-प्रपात की तरह प्रवाहमान साहित्यानुभूति को मैंने अंजुरी
में भरने का प्रयास किया। उस स्तब्ध रात को पल पर भर के लिए
आराम कर रहे सागर की तरह अस्पताल सो रहा था। छोटे बच्चों के
अचानक नींद से जागकर रोने की आवाज़ों के सिवा मानव अस्तित्व
से संबंधित और कोई चिह्न नज़र नहीं आ रहा था। नोटबुक के अंदर
पन्ने थके-हारे सफेद से एनीमिया पेशेंट की तरह फड़फड़ाने
लगे।
अनुवाद करने वाली कहानी का
नाम हैं - 'ए मैन इज बौर्न', जंगल के बीच में झुरमुटों के
आड़ में प्रसव-पीड़ा से कराहती हुई अकेली औरत को मदद करने
वाले एक मुसाफिर की कहानी है वह। मुसाफिर को प्रसूति
चिकित्सा के संबंध में ज़्यादा जानकारी नहीं थी। फिर भी जो
कुछ उसने जाना उसी के मुताबिक वह उस औरत को मदद करता है। उस
माँ को बहुत शरम और नाराज़गी होती है, फिर भी और कोई चारा भी
तो नहीं था। दोनों के बीच में गहन मैत्री स्थापित हो जाती
है। एक अपरिचित औरत जो ज़िन्दगी और मौत से लड़ रही थी, उससे
स्पंदित होकर उस मुसाफिर ने जो साहसिक कार्य किया है वह
अचंभे में डाल देता है। गर्भ से बाहर निकलनेवाले शिशु के सर
को दोनों हाथों से पकड़कर सुरक्षित बाहर खींच लेना, समीप
स्थित समुंदर के सच्चे मानवीय गुणों का प्रतीक है।
प्रसव के बाद वह थकी हारी
उस माँ को चाय बनाकर पिलाता है, उसे अनुनय पूर्वक ढाढ़स
दिलाता है, बच्चे को प्यार से पुचकारकर उसकी मुसकानों में
प्राचीन-स्मृतियों की आहटें सुन लेता है। अंत में 'ए मैन इज
बॉर्न' कहकर मुसाफिर सगर्व अपनी राह पकड़ लेता है। साधारण
मानवों में मौजूद असाधारण गुणों को उजागर करना इस कहानी की
विशेषता है। सिर्फ़ आठ पन्नों की सरहदों के बीच एक करूण
रसार्द्रपूर्ण जीवन का आविष्कार किया है गोर्की ने। आम
आदमियों में छिपे हुए मानवीय गुणों की पहचानना और उसे व्यापक
पृष्ठभूमि पर दर्शाना गोर्की ज़्यादा पसंद करते हैं। इस
कहानी का अनुवाद करने के लिए अंग्रेज़ी और तेलुगु भाषा का
ज्ञान पर्याप्त नहीं है, मानवता की भाषा का भी ज्ञान होना
ज़रूरी है।
अचानक वार्ड के बाहर के
शोरगुल से मेरा ध्यान बँट गया। स्टाफ नर्स ज़ोर-ज़ोर से
चिल्लाते हुए आई। 'डाक्टर साब! सर्वनाश हो गया। ताड़िकोण्डा
से एक मरीज़ आई है। लगता है उसके पेट में बच्चा पल्टी खा गया
है। तुरंत आपरेशन करना है। डाक्टर वसुंधरा जी न ड्यूटी रूप
में हैं न घर पर। अस्पताल में कहीं भी उनका अता-पता नहीं
हैं। पी.जी. डाक्टर राधा जी अपने मित्र के साथ सिनेमा देखने
चली गई। अब क्या करना है, कुछ समझ में नहीं आ रहा है। बच्चा
और जच्चा दोनों की जान खतरे में हैं।' नर्स बहुत घबरा रही
थी। सरला चेहरा लटकाए खड़ी है। 'अब कैसे निपटाया जाय इस
मुसीबत को? राधा जी भी नहीं हैं। मरीज़ की हालत बहुत नाजुक
है। तुरंत आपरेशन करने की ज़रूरत है। अभी वह बेहोश होनेवाली
है। हम तो अभी छात्र ही हैं। अब तक ढंग से औज़ार पकड़ने का
तरीका भी नहीं जानते। आँखों के सामने एक मरीज़ का इस तरह
प्राण खो बैठना, हमारे लिए बड़ी बुरी बात होगी।' सरला भी
काफी परेशान थी।
इस अस्पताल में ऐसे हादसे
बहुत साधारण-सी बात हैं, फिर भी देखते-देखते ऐसा हो जाना
हमें बड़ा अपराध-सा लग रहा था। दो चार मिनटों तक चिंतित हो
जाने के बाद मैंने साहसपूर्ण निर्णय ले लिया। अभी-अभी पढ़ी
गई गोर्की की कहानी याद आ गई। एक मामूली मुसाफिर ने उस औरत
की जो सेवा की, मन में कौंधने लगी। निस्सहाय स्थिति में एक
मुसाफिर ने प्रसूति करानेवाली दाई की भूमिका निभाई। गोर्की
की कहानी से प्रेरणा लेकर में आपरेशन करने के लिए तैयार हो
गया।
'सिस्टर! पेशेंट को आपरेशन
थियेटर में ले आइए। आपरेशन मैं करूँगा। ऐसे सैंकड़ों केस
मैंने मैडम की बगल में खड़े होकर देखे हैं। इस हालत में इससे
बढ़कर और कोई चारा नहीं है। जो भी होगा, उसकी ज़िम्मेदारी
मैं अपने ऊपर ले लूँगा। आप जल्दी चलिए। एनस्थेसिस्ट को फोन
कीजिए।' स्टाफ नर्स ने मेरी तरफ़ ऐसे देखा मानों ठीक से
ग्लव्स पहनना भी न जाननेवाला यह लड़का आपरेशन कैसे कर पाएगा?
लेकिन उसने भी जाना कि उस वक्त इससे बेहतर और कोई रास्ता
नहीं था। नर्स पेशेंट को आपरेशन के लिए तैयार करने के लिए
चली गई।
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