(थानेदान जीवन में नैतिकता की तरह कमरे से
गायब होता है . . .पत्नी खुली अर्थव्यवस्था का बंद
दरवाज़ा खोलती है। नेताजी ने सफ़ेद झक कुरता धोती
पहनी है, जैसे चीनी की दलाली की कोठरी से निकला
हों। सिर पर गांधी टोपी, मानो मंत्रीमंडल में
ज़बरदस्ती कोई फिट किया गया हो।)
नेता जी : सीताराम, सीताराम, सीताराम भाभी . .
.आप तो साक्षात सीता मैया लगती हैं! चेहरे पर क्या
तेज
है, पहनावे में क्या सादगी है।
|
पत्नी :
|
सादगी आपमें भी बहुत है
भैया . . .खादी के अलावा कुछ नहीं पहनते हैं।
(अंगुली की ओर देखकर) यह हीरे की अंगूठी अभी
बनवाई़.. (नेताजी के हाथ में सोने का कड़ा है .
. .अंगुलियों को दर्शकों की ओर करते हुए। हाथ
बहुमूल्य अंगूठियों से लदा है।)
|
नेता जी :
|
है हैं एक ज्योतिषी ने बोला
पहन लो। इस छोटे से कस्बे से इस बार एम .पी .की
सीट पक्की है . . .एक बार एम .पी .बन गया तो सेंटर
में मंत्री पक्का बनूंगा और फिर आपको और हरि भैया
को दिल्ली ले जाऊंगा। देखना खूब ठाठ कराऊंगा। लाल
बती वाली गाड़ी होगी, बंगला होगा, हमारे
हरि भैया हैं कहां . . .मोहन प्यारे अभी जागे नहीं
क्या!
|
पत्नी :
नेता जी :
|
जाग तो बहुत पहले गए। इधर मैं मंदिर गई
और उधर वो थाने . . .
(भाभी शब्द को लटका कर बोलता है) भाभी हम
लोगों की तो रोज़ीरोटी झूठ के बिना चलती
नहीं है, झूठे वायदे नहीं करें तो वोट नहीं
मिलते . . .हाई कमान की झूठन न खाएं . . .झूठी
मक्खनबाजी न करें, तो़.. टिकट नहीं मिलता, झूठे
टेंडर न पास करें तो व्यापारियों का सपोर्ट नहीं
मिलता . . .झूठे दावें न करें तो हमें अपोजिशन खा
जाए, झूठ के दम पर न चलें तो, हस्ती ही मिट जाए।
पर भाभी, आप तो सत्य की देवी हैं . . .साक्षात सीता
मैया हैं, आप आज कैसे असत्य वचन कह रही हैं . .
.वह भी सुबहसुबह। शामशाम को कोई झूठ
बोले तो समझ आता है, पर सुबहसुबह, भाभी .
. .
|
पत्नी :
नेता जी :
पत्नी :
नेता जी :
पत्नी :
नेता जी :
|
पर मैंने झूठ कहां बोला!
प्रत्यक्ष को प्रमाण की ज़रूरत नहीं, हाथ कंगन को
आरसी क्या . . .पढ़ेलिखे को अंग्रेज़ी क्या और
भाभी हमारे जैसे नेताओं के होते भ्रष्टाचार का
उदाहरण देने की ज़रूरत क्या? जब . . .
भैया तुम बोलते बहुत हो . . .
भाभी हम खाते ही बोलने का हैं, हम क्या स्कूल
कॉलेजों के मास्टर . . .आपके साधु संत कथावाचक .
. .सबकी दूकान इसलिए सजी हुई है कि अच्छा बोल
लेते हैं . . .
और तुम्हारी तरह काम की बात एक नहीं करते हैं।
भाभी काम क्रोध से हम दूर रहने वाले जीव हैं,
आपके गिरिधर गोपाल ने भी तो गीता में काम से
दूर रहने की शिक्षा दी है।
|
पत्नी :
नेता जी :
पत्नी :
|
मैं उस काम वासना की बात नहीं कर रही हूं . . .मैं
कर्म की बात कर रही हूं . . .तुम लोग बोलते ज्यादा
हो कर्म या तो करते नहीं और करते हो तो उल्टा करते
हो . . .
भाभी आप तो नाहक ही मेरी प्रशंसा कर रही हैं . .
.मुझमें कहां ऐसे गुण हैं।
अच्छा अवगुणी जी काम की बात पर आइए और मुझ
अज्ञानी को ये बताइए कि मैंने सुबहसुबह क्या
झूठ बोला है . . .
|
नेता जी :
पत्नी :
नेता जी :
|
आपने कहा कि हरि भाई सुबहसुबह चले गए हैं . .
.
इसमें मैंने झूठ क्या कहा?
भाभी जैसे
हम नेताओं की पहचान इस टोपी से है, अब खादी का
कुर्ता और धोती तो कोई भी ऐरागैरा पहन सकता है
. . .फैशन में कई लोग पहनते हैं, पर हर कोई नेता
तो नहीं हो जाता . . .नेता की पहचान होती है उसकी
इस टोपी से . . .आज़ादी की लड़ाई में यह टोपी
पहनना इबादत की बात होती थी। आज कोई भला आदमी
पहनता है क्या? देश सेवा के लिए हम ही पहनते हैं . .
.तो भाभी जैसे हम देश सेवकों की पहचान टोपी से
होती है, वैसे ही जन रक्षकों, पुलिस वालों की
पहचान इस (बेल्ट उठाते हुए) पेटी से होती है।... इस
पेटी के बिना खाकी वर्दी की कोई कीमत नहीं, समझो
कि जैसे बिन स्टेथेस्कोप के डॉक्टर, बिना काले कोट
के वकील और बिना बोझ के धोबी का गधा। हम
सेवक डयूटी पर जाते समय टोपी पहनना नहीं भूलते
और जनरक्षक डयूटी पर जाते समय बेल्ट पहनना नहीं
भूलते, जब पेटी यहां है तो पेटी वाला भी यहीं
होगा . . .तो मी लॉर्ड इससे सिद्ध हुआ कि आपने झूठ
कहा कि इधर आप मंदिर गई और हरि भाई डयूटी पर गए .
. .
|
पत्नी :
नेता जी :
|
(शांत भाव से) मैंने असत्य नहीं कहा भाई साहब
. . .मैं मंदिर गई थी, और आपके हरि भैया डयूटी
पर गए थे, सुबह गए तो लौट नहीं सकते हैं कि नहीं
. . .लौट आए हों . . .उन्हें स्नानवान करने का
अधिकार है कि नहीं।
(हंसते हुए) क्यों नहीं, पर केवल स्नान करने का,
क्योंकि ध्यान करना तो आपका फील्ड है? वैसे भाभी
आपको तो वकील होना चाहिए, क्या बात पलटती हैं। (नाश्ते
की ओर लपकते हुए) जब तक हरि भाई आते हैं, हम
नाश्ते पर . . .
(बेचारा थानेदार एक बार हकीकत
में तैयार होने की प्रक्रिया निभा चुका था। अब उसे
तैयार होने की नौटंकी करनी थी। ऐसी नौटंकी करते
हुए उसने प्रवेश किया)
|
थानेदार :
नेता जी :
थानेदार :
नेता जी :
थानेदार :
पत्नी :
नेता जी :
थानेदार :
नेता जी :
थानेदार :
नेता जी :
|
क्यों नेता जी आज सुबहसुबह हमारा ही घर मिला
मुफ्त की खाने को . . .
(समोसा खाते हुए) ठीक कहा हरि भाई़.. वैसे तो हम
अपने धर्म के लोगों के यहां मुफ्त का खाते नहीं हैं
पर सामने पड़ा मिल जाए तो छोड़ते नहीं हैं।
इसे ही कहते हैं मुफ्तखोर को मुफ्त की मिल ही जाती
है।
नहीं, इसे कहते हैं चोर के घर में मोर . . .क्यों
भाभी?
(थानेदारनी बस मुस्करा देती है)
कहिए मोर जी . . .सुबहसुबह कौनसा नाच
दिखाने के लिए आपने हमारे यहां पधारने का कष्ट किया
चुनाव के बादल भी नहीं छाए हैं फिर ये बिन
मौसम नाच कैसा?
आप दोनों देशसेवा की चर्चा करो। मैं चाय बना
लाती हूं। (जाती है।)
हैं हैं हम तो जन सेवक हैं . . .जनता
की सेवा के लिए साल में 365 दिन नाचते हैं, लीप
ईयर में 366 दिन।
आज किस जन की अंगुलियों पर नाचने आए हैं?
वही रात वाला मामला, छोटे सेठ के कत्ल का . .
.मुझे ज़रा देर से पता चला वरना मौकाए वारदात पर
पकड़ लेता, घर में कष्ट न देता।
हमारे कष्ट की चिंता न करें, हमारी तो यह डयूटी
है सरकारी डयूटी . . .आपने क्यों कष्ट किया?
हमारी भी डयूटी है . . .जनता के सेवक हैं हम, आप
तो जानते ही हैं बड़े सेठ जी जनकार्यों के लिए
हमारी पार्टी की कितनी मदद करते हैं . . .ऐसे दयालु
और दानी के छोटे भाई की हत्या हुई हो और हम चुप
बैठे रहें . . .धिक्कार है हमें . . .यह किसी व्यक्ति
की हत्या नहीं है, पूरे लोकतंत्र की हत्या है।
|
थानेदार :
नेता जीः
थानेदार :
नेता जीः
थानेदार :
नेता जी :
थानेदारनीः
पत्नी :
थानेदार :
नेता जी :
|
अबे ओ . . .तेरी तो . . .भाषण मत झाड़। यह मेरा
घर है, चुनाव का दंगल नहीं। काम की बात कर।
काम यानि सेक्स की बात करूं? (हंसता है) सुन . . .(फुसफुसाते
हुए) अभी एक पेटी की बात हुई है, ज्यादा भी हो सकती
है, इस मामले में खेमचंद को जरूर फंसाना है, शक
भी उसी पर जा रहा है।
शक उस पर नहीं उसके भतीजे पर है।
बात एक ही है चाचे के साथ भतीजे का गहरा संबंध
होता है।
कत्ल में भी भाईभतीजावाद . . .धन्य हो सेवक
जी, मैं कोशिश करूंगा।
शाम को आधी पेटी पहुंच जाएगी। (चाय लेकर
थानेदारनी आती है)
आप भी नेता भैया किसी बात को लेकर बैठ ही जाते
हैं।
क्यों, क्या हुआ भाभी?
वही पेटी वाली बात . . .
पेटी वाली बात, ओए तू हमारी जनानी से बिजनेस
की बात करता है, साला . . .
शांत . . .शांत . . .थानाधिकारी शांत . . .मैंने
सुबह थानेदारनी से जिस पेटी की बात की थी उसे
अंग्रेज़ी में बेल्ट कहते हैं और वो इस समय आपकी
कमर में ऐसे ही बंधी हुई है जैसे किसी पेड़ के
साथ लता लिपटी होती है . . .(चाय सु़ड़कते हुए कहता
है।) चाय बहुत अच्छी बनी है भाभी और (चाय को
मेज़ पर रखकर हाथ जोड़ते हुए) हे देवी, जगत
जननी अभी मैं जिस पेटी की बात कर रहा था, वह
हमारे बिज़नेस का कोड वर्ड है यानि कूट शब्द . .
.इसे मैं आपको समझा नहीं सकता।
|
थानेदार :
पत्नी :
नेता जी :
|
(इतनी देर में नीचे से स्कूटर की आवाज़ आती है)
ये कौन आ गया?
ये तो सिन्हा के स्कूटर की आवाज़ है। लगता है, नारद
जी आए हैं . . .(खिड़की की ओर देखते हुए) वही है।
साला ब्लैकमेलर . . .रिपोर्टर . . .साले ने मुझे
यहां देख लिया तो न जाने क्या मिर्च मसाला
लगाकर ख़बर छाप देगा, आजकल तो इन साले पत्रकारों
की जीजान से सेवा करनी पड़ती है . . .न जाने
कब कहां कैमरा फिट कर दें।
|
थानेदार :
नेता जीः
|
ये कमीना सिन्हा . .
.खेमचंद का माल खाकर मुझ पर गुर्राता है . . .मैं
पिछवाड़े से निकलता हूं।
(हंसते हुए) ये आप पिछवाड़े की राजनीति कब
छोड़ेंगे देशसेवक जी?
आजकल वही सफल है जिसका पिछवाड़ा मज़बूत है . .
.तुम तो जानते ही हो, तुम लोगों का तो पिछवाड़े
से ख़ास वास्ता रहता है, जिसका पिछवाड़ा मज़बूत
नहीं होता, वो दो चार डंडों में ही बोल जाता
है। हमारे पिछवाड़े पर भी जनता, हाईकमांड, आदि
पड़े रहते हैं . . .साला पिछवाड़ा मज़बूत न होगा
तो अगवाड़ा कैसे जमेगा! चलता हूं। (नेता जाता
है)
|
पत्नी :
थानेदार :
पत्नी :
थानेदार :
पत्नी :
थानेदार :
पत्नी :
थानेदार :
|
क्या बोलना है उसे . . .कह दूं आप घर पर नहीं हैं?
नहीं आने दे उसे, देखता हूं खेमचंद का यह दलाल
क्या कहता है। (घंटी बजती है)
(थानेदार जूते उतारने लगता है।)
ये जूते क्यों उतार रहे हो आज जाना नहीं है क्या?
जाना क्यों नहीं है, पहले ही बहुत लेट हो गया
हूं।
नंगे पैर जाओगे?
भक्त जी, जूते सिन्हा के सामने पहनूंगा तो वो
समझेगा जाने की जल्दी में हूं... जूते पहनने की
नौटंकी करनी है।
तो ये बात सीधे मुंह से बोल दो, जूते खोलकर
क्यों बोलना . .. .(दोबारा घंटी बजती है)
चल जल्दी दरवाज़ा खोल, तू भी दिमाग़ बहुत खाती है
. . .पता नहीं तुम्हारा भगवान भी अपने भक्तों को
कैसेकैसे दिमाग़ देता है। (थानेदारनी दरवाज़ा
खोलने जाती है, और थानेदार दूसरा जूते के फीते
खोलकर उसे दोबारा बाधंने की नौटंकी करने लगते
है।) (स्थिर)
|
नेपथ्य से :
सिन्हा :
थानेदार :
सिन्हा :
थानेदार :
सिन्हा :
थानेदार :
सिन्हा :
|
जीवन में नौटंकियों का बहुत महत्व है। इनके
अभाव में जीवन सीधासाधा साफ़सुथरा सा
बनता है। आदमी जो हो वही दिखाई देने लगता है।
नौटंकी जीवन में हमें अनेक सच्चाइयों का सामना
करने से बचाती है।
(बिहारी उच्चारण) कैसे हैं थानेदार जी, कहीं जाने
की तैयारी है क्या?
आओ सिन्हा, भई हम तुम्हारे जैसे खुशनसीब तो हैं
नहीं, वारदात वाली जगह गए दो चार कलम घसीटी
और हो गई डयूटी हमें तो वारदात वाली जगह जाना
पड़ता है, और फिर थाने को भी संभालना पड़ता है।
वहीं जा रहा हूं...।
का है कि हमारी नौकरी में जो फ़ालतू दिमाग़
लगाना पड़ा है उसे आप नहीं समझ सकते हैं, कत्ल
वाले मामले के चक्कर में जा रहे होंगे . . .कोई
गिरफ्तारीविरफ्तारी की क्या . . .
वो भी करनी ही है।
देखिए, ऊ भ्रष्ट नेता के चक्कर में खेमचंद पर तो हाथ
नहीं डाल रहे हैं?
मैं किसी के दबाव में काम नहीं करता सिन्हा!
लक्ष्मी मैया के दबाव में भी नहीं (हंसता है) हरि
बाबू ऊ के दबाव को तो विष्णु भगवान भी मानते
हैं और उस हमाम में सभी नंगे हैं, तो हम कह रहे
थे कि ऊ भ्रष्ट नेता इस मामले में आपको गुमराह
करेगा, तभी तो सुबहसुबह आपके यहां हाजिरी दे
गया है।
|
थानेदार :
सिन्हा :
थानेदार :
सिन्हा :
|
मेरे यहां हाजिरी! वो तो यहां . . .
(टोपी को ऊंगली में चक्र की तरह घुमाते है) यह
पवित्र टोपी उसी हरामी की है, आपके चरणों में
डालने आया होगा।
(बेशर्मी से हंसते हुए) तुम भी सिन्हा पूरे खोते
पत्रकार हो।
और हम ई भी बता देते हैं कि वो ससुरवा इस समय
अपनी टोपी के चक्कर में आपके घर के ईदगिर्द चक्कर
लगा रहा होगा, ताक में होगा कि कब हम निकलें
और वो अपनी टोपी संभाले . . .बिना टोपी के
साला धोबी का कुता लगता है, क्या आफ़र कर गया
है?
|
थानेदार :
सिन्हा :
पत्नी :
सिन्हा :
|
टे्रड सिक्रेट . . .सिन्हा . . .सिन्हा ट्रेड सिक्रेट। तुम
जानो इस मामले में हम गुप्त ज्ञानी हैं, इधर
का माल उधर चाहे कर दें पर इधर की बात उधर नहीं
होने देते, सारा ज्ञान गुप्त ही रखते हैं। आज तक
तुम्हारी बात नेता तक पहुंची है।
(थानेदार की पत्नी का प्रवेश,
हाथ में पानी का गिलास है।)
परनाम भौजी।
जीते रहो देवर जी।
आपके सुबहसुबह दरसन हो जाते हैं ता मन परसन्न
हो जाता है। आपके दरसन के परताप से सारे रूके काम
बन जाते हैं। खेमचंद आपको बहुत मानते हैं, भाभी
जी वो आपका बहुत सम्मान करते हैं, उनके भतीजे को
कत्ल के चक्कर में फंसाया जा रहा है, खेमचंद जी इस
बात से बहुत परेशान हैं . . .हमसे बोले, हरि
बाबू और तुम्हारे जैसे अपने लोगों के होते हमारा
भतीजे पर केस बने, हम पर अंगुली उठे, बहुत सरम
की बात है . . .बोले हरि बाबू की पत्नी धरमकरम
करने वाली है, उनकी बदौलत ही धरमकरम बचा
हुआ है, बहुत बिसवास करते हैं, बोले हम तो डेढ़
पेटी उनके चरणों पर अर्पित कर देवेंगे, चाहे जिस
में खरच करें। किस साले में हिम्मत होगी उनसे
हिसाब लेने की . . .मुझे बोले सिन्हा ये आधी
पेटी तुम अभी ले जावो, फिर बोले शाम को हम खुद
ही चलेंगे और उस देवी के दरसन भी कर लेवेंगे।
क्यों हरिबाबू।
|
थानेदार :
|
देखो, सिन्हा . . .धरमकरम में हम कभी टांग नहीं
अड़ाते हैं, दसहरे पर दस जगह रामलीला होती है,
हज़ारों रूपया चढ़ावे का आता है, हमने कभी कुछ
बोला नहीं है, आपकी रामलीला समिति में हमने
कभी कुछ हिसाब, किताब की बात की है अपने मुंह से
हफ्ता मांगा . . .जिसकी जो श्रद्धा हो सो करे . .
.खेमचंद की धरमकरम में श्रद्धा है सो करे . . .हम
क्या कह सकते हैं, धरमकरम करेंगे तो ही फल
पावेंगे।
|
सिन्हा :
थानेदार :
सिन्हा :
थानेदार :
|
(मुस्कराते हुए) सही कहा धरमकरम करेंगे तो ही फल
भी पावेंगे . . .अपना ही अज़ीज़ समझना, केस
थोड़ा ढीला ही बने, बाकी तो आप समझदार ही हैं .
. .
और तू कम समझदार है . . .साला सिद्धांतवादी।
(टोपी उठाते हुए) अच्छा चलते हैं . . .तुमको भी तो
जल्दी है, मैं साथ चलता हूं... थाने ड्राप कर दूंगा।
(उठते हुए) टोपी रख दो सिन्हा . . .तुम तो जानते हो
साले कि हम माल इधर का उधर कर दें पर किसी की बात
इधर की उधर नहीं होने देते हैं . . .हमें नशे में
समझ रहा है, साले पूरी बोतल पीकर भी होश
ग़ायब होने नहीं देते।
सिद्धांत के बड़े पक्के हो।
|
सिन्हा :
थानेदार :
सिन्हा :
दोनों :
थानेदार :
सिन्हा :
थानेदार :
सिन्हा :
|
तू भी तो कम नहीं है।
तू भी सिंद्धांत का पक्का है . . .उस हरामी की टोपी नहीं
उठाने दी, सच्चा और सिद्धांतवादी है तू़.. हमें
लिखना तेरे बारे में।
(दोनों हंसते हैं। अंधेरा)
हम दोनों
सिद्धांतवादियों के कारण देश प्रगति के रास्ते पर दौड़
रहा है। (दोनों लड़खड़ाते हुए चलते हैं।)
कितनी तेज़ी से दौड़ रहा है(दोनों हंसते हैं,
गिरते हैं)। साला देश गिर गया।
समझदार तो तुम भी कम नहीं हो सिन्हा।
तो दोनों की इस समझदारी पर बिलायती चरणामृत
हो जावे। (अंगूठे को मुंह पर ले जाते हुए शराब
पीने का इशारा करता है।)
चलो सिन्हा तुम भी क्या याद रखोगे, आज हम
तुम्हारे दिन की शुरूआत स्कॉच से करवा देते हैं। हम
ये सोच रहे थे . . .सुबहसुबह चाय पीकर साला
मुंह का ज़ायका ही ख़राब हो गया।
उस हरामी भ्रष्टाचारी नेता के साथ रहोगे तो
ज़िंदगी का ज़ायका ख़राब होवेगा कि नहीं।
(थानेदार बार की अलमारी खोलता है, सिन्हा जीभ
लपलपाता है . . .उचक कर देखता है, बार में विदेशी
स्काच की बोतलों का ढेर है।)
|
सिन्हा :
थानेदार :
सिन्हा :
सिन्हा :
थानेदार :
सिन्हा :
थानेदार :
सिन्हा :
थानेदार :
|
कमाल है हरि बाबू, आपके यहां तो जन्नतवाहै
विराज रही है साला शराब का दरिया बह रहा है . .
.(थानेदार गिलास लाकर सिन्हा को देता है)
अब नज़र मत लगाना . . .शराब देखकर तुम साले
पत्रकारों की लार टपकती है, साले इतनी हराम की पीते हो
पचाते कैसे हो?
जैसे तुम साले पचाते हो . . .हंसता है . .
.(दोनों जाम से जाम टकराते हैं।)
आज का यह जाम कत्ल के नाम (एक घूंट में पीता है)
देश की माली हालत जैसा मरियल पैग बनाया,
पंजाबी आदमी है . . .ज़रा सुपर पटियाला बना . .
.पंजाबी हाथ दिखा . . .
ओए तूने पंजाबियों का हाथ नहीं देखा है . . .साले
शराब में नहला सकता हूं नहला . . .पर (पैग
बनाने जाता है) पर साले तुम नहाते समय कुछ और
राग अलापते हो और अख़बार में कुछ और अलापते हो।
हम तो जो लिखते हैं सच लिखते हैं।
और वो सच तुम्हारा होता है।
इस सच की बदौलत तो हमारा नाम है।
इस सच की बदौलत . . .सिन्हा जब तू यहां आया था
तो तेरे पास साइकिल नहीं थी, दोनों पैरों में
साली चप्पलें भी अलगअलग रंग की होती थी, और
आज फर्स्ट क्लास कोठी है, स्कूटर है, साले तू कह रहा
था कि कार लेने वाला है।
|
सिन्हा :
थानेदार :
सिन्हा :
थानेदारः
सिन्हा :
थानेदार :
सिन्हा :
थानेदार :
सिन्हा :
|
(नशे में) सोच रहे हैं एक दो मारूति हम भी ले
लें।
तभी साली इस कस्बे में पत्रकारिता स्पीड से दौड़ेगी . .
.कितनी चिंता है तुझे पत्रकारिता की . . .साली को स्पीड
से दौड़ाने का मारूति . . .
(नशे में) हमारी कलम में सच की ताकत है।
ताकत तो महेश की कलम में भी है।
वो साला टटपूंजिया पत्रकार . . .खूंसट बू़ढा . . .
टटपूंजिया है तभी तो आज भी टूटीफूटी साइकिल पर
दौड़ता है . . .उस साले की कलम उसके पास है और
तेरी कभी खेमचंद के पास होती है, कभी मेरे पास और
कभी महेश से लोग डरते हैं और तू डराता है तो
लोग तेरे सामने टुकड़े डाल देते हैं।
अबे ओ ज्यादा मत उड़.. थानेदार . . .ज़्यादा मत
उड़.. तेरे जन्नत की हकीकत हम भी जानते हैं।
और हम तेरी की . . .तभी तो हम दोनों की दोस्ती है .
. .साले साथ पीते हैं . . .साथ खाते हैं . . .(खाने
पर ज़ोर) समझा। साथसाथ खाते हैं और साथसाथ
निगलते हैं। (हंसते हैं)
(गाता है) ये दोस्ती हम नहीं छोड़ेगे (दोनों
नशें में लड़खड़ाते हैं)
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