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अभिव्यक्ति में
मथुरा कलौनी की
रचनाएँ
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कहानियाँ
एक
दो तीन
बिल्लौरी की धूप
सब
कुछ ठीक ठाक है
नाटक
लंगड़
संदेश
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मथुरा कलौनी
मथुरा कलौनी का जन्म २० जनवरी
१९४७ को पिथौरागढ़, उत्तरांचल में हुआ था। बचपन पहाड़ों में
बीता। शिक्षा दीक्षा कोलकाता में हुई। आजकल बंगलौर में एक
मल्टीनेशनल कंपनी में रिसर्च मैनेजर पद पर कार्यरत हैं। अपने
कार्यजीवन के तहत पूर्व से पश्चिम तक आपने विश्व के कई देशों
का भ्रमण किया है जिसकी झलक आपकी लेखन में मिलती है।
कहानियाँ १९८० से लिखना आरंभ किया। अब तक विभिन्न
पत्र-पत्रिकाओं में १५० से अधिक व्यंग्य और कहानियाँ
प्रकाशित हो चुकी हैं। अधिकांश कहानियाँ हास्य और
व्यंग्यप्रधान हैं। आप शब्द शिल्प द्वारा अपनी रचनाओं में
हास्य पैदा करने में निपुण हैं। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में
बनते बिगड़ते संबंधों पर आपकी सटीक रचनाएँ चर्चित रही हैं।
उपन्यास - 'वहाँ से वापसी' (सामाजिक), 'इसी भूमि में'
(ऐतिहासिक - सम्राट अशोक पर एक नया दृष्टिकोण), 'चंद्रभवन
तृप्ति भवन' (सरल हास), 'विषकन्या' (रहस्य)
नाटक - 'स्वयंवर', 'जोड़-तोड़', 'कायापलट'
१९८९ में आपने बंगलौर में कलायन नाटय संस्था की स्थापना की
जो बंगलौर में हिंदी नाटकों का मंचन
करती है। 'जोड़-तोड़' और 'कायापलट' का मंचन बंगलौर के नाटय
जगत में बहुत चर्चित रहा है। 'कायापलट' का अनुवाद और मंचन
कन्नड़ भाषा में हो चुका है। आपने दर्जन से भी अधिक छोटे
प्रहसन लिखे हैं जिनका मंचन सभा-सम्मेलनों में होता रहता है।
दो नाटक आकाशवाणी बंगलौर से तथा एक दूरदर्शन से प्रसारित हो
चुके हैं।
हिंदी को इंटरनेट में लाने में मथुरा
कलौनी का बड़ा योगदान है। १९९९ में आपने कलायन वेबसाइट की
स्थापन की। वेबसाइट की कलायन पत्रिका हिंदी साहित्य की
अपरिमित सेवा कर रही है।
संपर्क :
kalauny@yahoo.com
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