अभिव्यक्ति में
दिव्या माथुर की रचनाएँ
कहानियों में
अंतिम तीन दिन
उत्तरजीविता
फिर कभी सही
साहित्यिक आलेख में
प्रवासी हिंदी
महिला कहानीकार और स्त्री चेतना
कविताएँ
अनुभूति में |
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दिव्या माथुर
शिक्षा : एम.ए. (अंग्रेज़ी) के अतिरिक्त दिल्ली एवं ग्लॉस्गो
से पत्रकारिता में डिप्लोमा। आइ टी आइ दिल्ली में
सेक्रेटेरियल प्रैक्टिस में डिप्लोमा एवं चिकित्सा-आशुलिपि
का स्वतंत्र अध्ययन।
कार्यक्षेत्र : १९८५ में आप लंदन में भारतीय उच्चायोग से
जुड़ी दिव्या माथुर रॉयल सोसाइटी ऑफ आर्ट्स की फ़ेलो हैं।
नेत्रहीनता से संबंधित कई संस्थाओं में आपका सक्रिय योगदान
रहा है तथा आपकी अनेक रचनाएँ ब्रेल लिपि में प्रकाशित हो
चुकी हैं। आशा फ़ाउंडेशन और पेन संस्थाओं की संस्थापक-सदस्य,
चार्नवुड आर्ट्स की सलाहकार, यू के हिंदी समिति की
उपाध्यक्षा, भारत सरकार के आधीन, लंदन के उच्चायोग की हिंदी
कार्यकारिणी समिति की सदस्या, कथा यू के की पूर्व अध्यक्ष और
अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन की सांस्कृतिक अध्यक्ष, दिव्या
कई पत्र, पत्रिकाओं के संपादक मंडल में भी शामिल हैं।
दिव्या माथुर के नाटक व कहानियों के मंचन तथा रेडियो एवं
दूरदर्शन पर प्रसारण के अतिरिक्त, इनकी कविताओं को कला संगम
संस्था द्वारा भारतीय नृत्य शैलियों के माध्यम से प्रस्तुत
किया गया है। लंदन में कहानियों के मंचन की शुरूआत का सेहरा
भी आपके सिर जाता है। रीना भारद्वाज, कविता सेठ और सतनाम
सिंह सरीखे विशिष्ट संगीतज्ञों ने इनके गीत और ग़ज़लों को न
केवल संगीतबद्ध किया, अपनी आवाज़ से भी नवाज़ा है।
प्रकाशित रचनाएँ : कविता संग्रह- अंत: सलिला, रेत का
लिखा, ख्याल तेरा और ११ सितंबर : सपनों की राख तले।
कहानी संग्रह- आक्रोश
आपकी कहानियाँ और कविताएँ भिन्न भाषाओं के संकलनों में शामिल
की गई हैं। आपने कुछ अँग्रेज़ी पुस्तकों का संपादन भी किया
है।
सम्मान : राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा
सम्मानित एवं निमंत्रित, दिव्या जी को परमानंद साहित्य एवं
संस्कृति सेवा सम्मान से अलंकृत किया जा चुका है।
संपर्क:
DivyaMathur@aol.com
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