| हर्ष उपन्यास के पन्ने तो पलटते जा रहे हैं
      परन्तु मन कहीं न कहीं से अस्थिर है। मिनी के जाने के बाद अकेलेपन
      की वीरान गुफा उसे साफ नज़र आ रही है। सुनैना के निधन के बाद
      मिनी के लिए ही तो हर्ष के जीवन में सुबह और शाम के रंग कुछ
      मायने रखते थे किन्तु मिनी के जाने के बाद कितना बेरंग हो
      जाएगा उसका जीवन। "डैडी  . . .," मिनी के
      संबोधन से हर्ष जान पाया कि वह बगल में बैठी न जाने कितनी
      देर से उसे एकटक निहार रही है। हर्ष ने बियर का गिलास हाथ में
      उठाते हुए कहा, "हां बेटा।" मिनी कहने लगी,"डैडी़, आप
      जूली आण्टी से शादी कर लीजिए।" हर्ष ने बियर की चुस्की के साथ मिनी
      के हाथ पर हाथ रखते हुए कहा,"यह मुमकिन नहीं हैं बेटा। तुम्हारी
      मां की जगह कोई नहीं ले सकता।" "डैडी  . . .जूली आण्टी बहुत
      अच्छी है। मेरे जाने के बाद आपका पूरा ख्याल रखेगी वो।" मिनी
      अपने पिता को समझाने लगी। हर्ष को तेरह वर्षीय मिनी अचानक
      अपनी उम्र से बड़ी दिखने लगी। वह जानता है मिनी सही है। जूली
      ने हर्ष के प्यार में अब तक शादी नहीं की। सुनैना की अच्छी सहेली
      थी वह। सुनैना के बाद मिनी की भी अक्सर देखभाल करती थी वह।
      वरना छ महीने की बिन मां की बच्ची को पालना कितना मुश्किल है।
      परन्तु मिनी को यह समझा पाना हर्ष के लिए मुश्किल है कि जूली को
      शादी के बाद अपना बच्चा चाहिए जो हर्ष और मिनी के जीवन के लिए
      कई तरह की मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं। हर्ष ने मिनी से कहा,"बेटा 
      . . .शादी तो मैं जूली से कई वर्ष पहले कर सकता था पर मेरे लिए
      तुम्हारा प्यार सब कुछ है। मैं तुम्हारे प्यार को किसी के साथ बांट
      नहीं सकता। मैं जी रहा हूं तो सिर्फ तुम्हारे लिए।" मिनी के
      हाथों को चूमते हुए हर्ष आगे कहने लगे,"मेरी बेटी दुनिया
      की सबसे अच्छी बेटी है। मेरे पास और किसी के लिए टाइम नहीं हैं।
      आई जस्ट वान्ट टू बी विथ यू एण्ड दैट्स इट, लैट्स गो
      नाओ।" कहते हुए हर्ष ने बियर का गिलास खाली किया और उठ
      खड़े हुए। मिनी होठों पर हल्की सी मुस्कुराहट
      बिखेरती हुई बोली,"यू नो डैडी, जितना प्यार आपने मुझे
      दिया है उतना शायद मॉम भी नहीं देती। यू आर द बेस्ट डैडी। लेकिन
      मैं आपका टाईम ले कर अब क्या करूंगी, मैं तो बोर्डिंग स्कूल जा
      रही हूं। अब वहां से सारा दिन मैं इंटरनेट पर आपसे बैठ कर चैट तो
      नहीं करूंगी। फिर आप का टाईम कैसे पास होगा?" मिनी ने बड़ी
      चतुराई से हर्ष को उसी की बातों में फंसा लिया। इससे पहले कि
      बदन पर टीशर्ट डालते हुए हर्ष आगे कुछ कह पाते, मिनी कहने लगी,"यू
      नो, मुझे जूली आण्टी बहुत अच्छी लगती है। मैं उन्हें अपने घर में
      रखना चाहती हूं। एक्चुअली मैं आपके साथ कभी कभी बोर होने लगती
      हूं। आप को न सही, मुझे घर में एक फ्रेंड चाहिए। जब मैं
      छुट्टियों में घर आऊं तो कोई तो हो जिससे मैं गर्लस टॉक कर
      सकूं।" हर्ष को मिनी की बात पर हंसी आ गई।
      वो मुस्कुराते हुए बोले,"अच्छा मेरी मां, शाम ढलने को है,
      क्या सारी बातें यहीं करनी है। गिव मी सम टाईम बेबी।" "हां  . . .ये हुई न बात,
      बट नॉट टू लांग डैड।" मिनी चहकती हुई अपना बैग उठा कर हर्ष
      के साथ कार की ओर चल पड़ी। दिन भर की थकी हारी मिनी घर पहुंचते
      ही गहरी नींद में डूब गई परन्तु हर्ष की आंखों में तैरती हुई
      कश्मकश नींद को इतनी आसानी से कैसे प्रवेश करने देती। चाहता तो
      हर्ष भी है कि जूली उसकी जीवनसंगिनी बन जाए। सुनैना के विरह
      से टूटे हुए हर्ष और मिनी के बचपन को एक जूली ही तो थी जिसने
      सहारा दिया। सुनैना की मृत्यु के बाद पूरे तीन वर्ष लगे थे हर्ष
      को सम्भलने में। आज भी याद है हर्ष को मिनी के तीसरे जन्मदिन
      की वह रात जब मिनी की जिद पर जूली को रात हर्ष के घर ही ठहरना
      पड़ा था और उन दोनों के बीच शारीरिक सम्बन्ध स्थापित हो गया
      था। न जाने जूली में कौन सी कशिश थी जिसमें डूबने के बाद
      हर्ष अपने हर दर्द से बेखबर हो गया था। वह संबंध क्षणिक नहीं था
      वरना टूटा हुआ हर्ष आज लंदन की ग्रॉसरी शॉप से उसे एक बड़ी
      सुपर मार्केट में नहीं परिवर्तित कर पाता। परन्तु जूली से विवाह  . . .यह
      सवाल हमेशा हर्ष को परेशान करता रहता। जूली में वह सबकुछ था
      जो उसे एक अच्छी पत्नी और मिनी को चाहने वाली मां में होना
      चाहिए। लेकिन जूली की स्वयं मां बनने की ख्वाहिश एक बहुत बड़ी
      बाधा थी हर्ष के लिए उसे पत्नी के रूप में स्वीकारना। उसे सदा डर
      रहता कि परिवार में दूसरे बच्चे के आने से मिनी के साथ कहीं
      अन्याय न हो जाए। वह जूली के स्वप्न को भी मिनी के प्यार के कारण
      कुचलना नहीं चाहता था। तभी फोन की घण्टी बजी। हर्ष जानता
      था
      कि यह जूली का  है। हर रात गुडनाईट फोन आता है जूली का। "कैसा रहा तुम्हारा दिन हर्ष! डिड
      मिनी एनजॉय?" जूली की आवाज़ जैसे एक बार फिर हर्ष की
      बेचैनी को सहारा दे रही है। "इट वॉज वण्डरफुल्ल जूली। मैं
      तुम्हारे ही बारे में सोच रहा था।" हर्ष ने कहा। "कहने की जरूरत नहीं, मैं तुम्हारी
      सोच की उड़ान से वाकिफ हूं डार्लिंग। उसके पर जो कतर रखे हैं
      मैंने।" जूली ने हंसते हुए कहा। हर्ष ने भी इधर मुस्कुराते हुए सिगरेट
      जलाई। जूली अंग्रेज हैं परन्तु उसकी बातों में भारतीय सोच और
      संवाद की पूरी समझ है। "तुम्हारी इन्हीं बातों पर तो मैं
      मोहित हूं जूली।" हर्ष ने उत्तर दिया। जूली आगे कहने लगी,"अच्छा 
      . . .अब बताओ क्या सोच रहे थे?" हर्ष बोला,"कुछ खास नहीं  .
      . .यूंहीं  . . .तुम्हारे फोन का इंतजार कर रहा था।" जूली हंसते हुए कहने लगी,"अच्छा 
      . . .तो अभी भी साहब शादी करने से घबरा रहे हैं।" हर्ष के आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा।
      "व्हॉट डू यू मीन  . . .?" जूली मौन रही। क्षण भर
      में हर्ष की समझ में सबकुछ आने लगा। "अच्छा  . . .तो
      यह आप और मिनी की साजिश थी।" "हर्ष डियर  . . .यस  . .
      .अब डोण्ट टेक मी रांग प्लीज़।" जूली अपनी तरफ से सफाई पेश
      करने लगी।" ऐक्चुअली तुम्हारी बेटी कल जब मेरी बूटीक पर आई
      थी, उसने ही बात छेड़ी। मैं तो खुद क्षण भर को हैरान थी। यू नो
      हर्ष, मिनी अब बच्ची नहीं रहीं। आज के बच्चे हमसे अधिक स्मार्ट
      है।" हर्ष गम्भीर होता हुआ बोला,"बट
      जूली  . . .मेरी समस्या थोड़ी डिफरेन्ट है। तुम जानती हो कि
      तुम्हारा स्वप्न है तुम्हारा अपना बच्चा और यदि मैं उसके लिए अपना
      मन बना भी लूं तो क्या मिनी यह बरदाश्त कर पाएगी?" हर्ष की इतनी गम्भीर बार पर भी जूली
      ने हंसते हुए बस यही कहा,"गो एण्ड स्पीक टू योर डॉटर यू
      सिली मैन  . . .गुड नाईट।" हर्ष ने गहरी सोच में डूबते हुए
      अपनी सिगरेट का आखिरी कश लिया और बचे हुए टुर्रे को एश ट्रे में
      बुझा दिया। आज हर्ष को पहली बार महसूस हो रहा था कि वह एक
      बच्ची को तो मां का प्यार दे सकता है परन्तु बड़ी होती लड़की की
      सहेली नहीं बन सकता। जूली और मिनी की यह दोस्ती आज उसे
      अद्भूत सुख दे रही थी। परन्तु परिवार में दूसरा बच्चा, मिनी का
      सौतेला भाई या बहन  . . .नहीं नहीं  . . .मिनी वोन्ट
      लाईक इट।" अपने संवाद से जूझता न जाने कब हर्ष नींद की
      गोद में समा गया। सुबह सूरज की बढ़ती किरणों ने हर्ष
      की आंखों को दस्तक दी। शावर में पहुंचते पहुंचते हर्ष वापस उसी
      कश्मकश से घिर गया जैसे रात भर नींद में भी वह वही सब
      सोचता रहा हो। परन्तु निष्कर्ष कुछ नहीं। समस्या वही, प्रश्न वही,
      क्या मिनी को उसका दूसरा बच्चा स्वीकार होगा? बाहर ड्राइंग रूम में लाल टीशर्ट और
      पीली स्कर्ट में टीवी का रिमोट लिए चैनल बदल बदल कर अपने
      पसन्द के कार्यक्रम की तलाश में खोई मिनी शायद हर्ष की प्रतीक्षा कर
      रही है। हर्ष को देखते ही वह बोली,"गुड मॉर्निंग डैड।" हर्ष उसके पास आए और उसका माथा
      चूमते हुए बोले,"गुड मॉर्निंग बेटा, कम ऑन लेट्स हैव
      ब्रेकफास्ट।" दोनों बाप बेटी ने बड़ी खामोशी
      से नाश्ता किया, जैसे दोनों एक दूसरे से कुछ सुनने का इंतजार
      कर रहे हों। मिनी ने ही खामोशी तोड़ते हुए कहा,"डैडी  . .
      .मुझे स्विट्जरलैण्ड के लिए शॉपिंग कब कराओगे? स्कूल से पूरी
      लिस्ट आए हुए दो वीक हो गए हैं। शैल आई रिंग जूली आण्टी?"
                     हर्ष का गम्भीर चेहरा मुस्कुराहट में
      बदल गया। वह समझ गया कि मिनी फिर उसी बात पर आ रही है। वह
      मन ही मन चाहता भी वही है। "नहीं बिल्कुल नहीं  . . .यू
      डोन्ट हैव टू बॉदर हर फॉर स्मॉल थिंग्स। मैं चलूंगा शॉपिंग
      कराने।" हर्ष ने चाय का अंतिम घूंट लेते हुए कहा। अब मिनी का सब्र भी जैसे टूटने
      लगा। वह बोली,"डैड  . . .यू नो व्हॉट आई मीन।"
      कहते कहते मिनी हर्ष के पीछे आई और उसके कंधे पर प्यार से हाथ
      डालते हुए बोली,"डैड  . . .एक बात कहूं? आई वॉन्ट अ
      बेबी ब्रदर।" हर्ष मिनी का हाथ हटाते हुए खड़ा हो
      गया और कहा,"बहुत बोलने लगी हो तुम। अभी इतनी बड़ी
      नहीं हुई हो कि हर बात समझ सको।" सच बात तो यह थी कि जैसे उसे बिन
      मांगे ही मिनी सबकुछ दे रही हो। मिनी का उतरा हुआ चेहरा देख हर्ष
      ने उसका हाथ पकड़ा और बोला,"ओके बेटा, मैं जूली
      से बात करूंगा।"
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