अभिव्यक्ति
में सोमावीरा की
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लॉन्ड्रोमैट
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सोमा वीरा
जन्मः नवंबर १९३२,
लखनऊ, उ.प्र. भारत।
शिक्षाः बी.ए.
(पत्रकारिता) एम.ए. इकॉनॉमिक्स एंड इंटरनेशनल रिलेशन्स-
युनिवर्सिटी ऑफ कोलोराड़ो, बोल्डर, यू.एस.ए.। पीएच.डी.-
इंटरनेशनल रिलेशन्स एंड इन इंटरनेशनल इकॉनॉमिक डेवलपमेंट,
न्यूयार्क युनिवर्सिटी, अमरीका। अमरीका में- वे पचास
के दशक के अंतिम भाग में आईं। सन २००४ में उनका देहावसान हो
गया।
लेखन व प्रकाशनः वे
एक सशक्त हिंदी लेखिका थी साथ ही साथ अंग्रेज़ी में 'विज्ञान
कथाओं' के लिए जानी गईं। दस वर्ष की छोटी उम्र से ही उनके
लेख प्रकाशित होने लगे थे। 'नवभारत टाइम्स' मुंबई में बच्चों
के पृष्ठ तैयार करने में उनका सक्रिय योगदान रहा। सन १९६२
में उनकी पुस्तक 'धरती की बेटी' प्रकाशित हुई जिसे आत्माराम
एंड संस दिल्ली ने प्रकाशित किया और भूमिका लिखी थी वरिष्ठ
साहित्यकार श्री विष्णु प्रभाकर ने। सोमा वीरा ने हिंदी में
सौ से भी अधिक कहानियाँ लिखीं उनकी हिंदी में प्रकाशित
पुस्तकें हैं-
प्रकाशित पुस्तकें-
'धरती की बेटी', 'दो आँखोवाले चेहरे' तथा 'परछाइयों के
प्रश्न' उनके तीन कहानी संग्रह हैं। 'तीनी'- उपन्यास और
'साथी हाथ बढ़ाना'- एकांकी संग्रह है। सोमा हिंदी के साथ-साथ
अंग्रेज़ी में भी लिखती रहीं। 'लिटल बिट इंडिया, लिटल बिट
यू.एस.ए.' अंग्रेज़ी में प्रकाशित व चर्चित उनका काव्य
संग्रह है।
पुरस्कारः
एक लंबी
कतार है उनके पुरस्कारों की जो भारत से शुरू हुई व अमरीकी
लेखकों में अपना एक उल्लेखनीय स्थान बनाते हुए पूरी हुई।
उन्होंने अमेरिका की दस श्रेष्ठ महिलाओं का पुरस्कार
यूनिवर्सिटी स्तर पर प्राप्त किया व १९९० में 'हुज हू
वर्ल्डवाईड' में भी उन्हें चुना गया। किसी भारतीय महिला के
लिए निश्चित रूप से यह सम्मान की बात है।
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