लेकिन मम्मी सिर्फ़ 'नो थैंक्स'
कहकर और बिना मुड़कर देखे कार स्टार्ट करती हैं और चली जाती
हैं। कभी कितना नज़दीक
हो जाते हैं लोग कि जन्म-जन्मांतर के संबंधों की बातें करने
लगते हैं। एक-दूसरे के बिना रह नहीं सकते। लेकिन कभी कितने
पराए हो जाते हैं कि पुराने रिश्तों के फूलों की पंखुड़ी-पंखुड़ी
नोचकर पैरों से मसल देते हैं! अपने अतीत के अच्छे-से-अच्छे
पन्नों तक को नाराज़गी के 'श्रेडर' (मशीनी कतरनी) में डालकर
कतर देते हैं।
पा और मम्मी क्या कभी इतना
नज़दीक हुए थे?
मैं सोचती हूँ और जब खुद को देखती हूँ, तो यकीन करके भी यकीन
नहीं होता। वही अत्यंत प्यार करने वाले पा अब अलका आँटी को
डार्लिंग, हनी और स्वीटी कहते हैं। वही मम्मी डैडी को माइ लव,
स्वीट हार्ट, ए जी और बहुत अपनापा जताते हुए पंजाबी में ''मैं
किहा जी'' कहती हैं। जिस समय इन संबोधनों के प्रयोग किए जाते
हैं, क्या उस समय इनके अर्थ इनके साथ जुड़े होते हैं, या वे भी तलाकशुदा हो जाते हैं?
सोच-सोचकर मैं बहुत परेशान हो
जाती हूँ और फिर सोचना बंद कर देती हूँ। तब मुझे अपना पुराना
घर याद आता है, जिसके बगीचे में घास इतनी बढ़ जाती थी कि ऊपर
से हरी दिखती थी, लेकिन पा जब 'लॉन मोअर' से काटते थे, तो पीली
नीली सूखी डंडियाँ रह जाती थीं। सोचती हूँ, ज़मीन को शायद यह
रंग पसंद नहीं है, क्यों कि वह झटपट उनको माँ की तरह अपने आँचल
तले रखकर फिर से हरा करने में ज़ुट जाती है।
''क्या सोच रही हो गुड़िया? समोसे ठंडे हो रहे हैं।''
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पा ने कब ताज़े गरमागरम समोसे
मँगा लिए थे, मैंने देखा ही नहीं।
पा बरसों से यही करते आ रहे हैं। मुलाक़ात की शुरुआत अक्सर इसी
भारतीय रेस्टॉरेंट में करते हैं और वे चीज़ें मँगाते हैं, जो
उनके ख़याल में मुझे मम्मी ने घर में खाने नहीं दी होंगी। उनका
ख़याल ठीक भी है, क्यों कि डैडी की नई बीवी बनने के बाद मम्मी
इंग्लिश और इटालियन खाने ज़्यादा पसंद करने लगी हैं। अब वह घर
में चपाती भी नहीं बनातीं। मुझे जब चपाती खानी हो, तो बाज़ार
से पित्ते नान या डबल रोटी ले आती हैं या गेहूँ के 'टोर्टिला
रैप्स'। सचमुच ये पा ही हैं, जिन्होंने मुझमें न केवल भारतीय
चीज़ों के स्वाद को पनपाया है, बल्कि इसे बदलने या मरने भी
नहीं दिया है। मुझे मसालेदार दही-पापड़ी की चाट पसंद है,
पानी-पूरी और भेल-पुरी पसंद है, तेज़ मिर्ची वाले सांबर के साथ
डोसा-इडली और वड़ा पसंद है। मै इन्हें खाने के बाद जब सी-सी
करती हूँ और मेरे चेहरे पर लाली के साथ पसीने की बूँदें छलक
आती हैं, तो पा बहुत खुश होते हैं। उन्हें लगता है मुलाक़ात
अच्छी और मज़ेदार रहेगी और तब वे उसमें मिठास भरने के लिए
गुलाबजामुन, रसमलाई या रसगुल्ले मँगा लेते हैं।
पा इतने अच्छे हैं, फिर मम्मी
को अच्छे क्यों नहीं लगे?
मैंने एक बार मम्मी से पूछा था, ''क्या आपने पा को तलाक़ दिया
था या पा ने आपको?''
मम्मी ने मुझे टालने के लिए कहा था, ''दोनों ने।''
ऐसा कैसे हो सकता है? तलाक़ देने या लेने के लिए कोई एक ज़रूर
आगे आता है। फिर, दूसरी चाहे-अनचाहे हाँ कर देता है। हो सकता
है दोनों मजबूरन एक-साथ हाँ कर देते हों। मैं नहीं जानती। जब
मैंने पूछा था, तब तो और भी कम जानती थी। छः-सात साल की ही तो
थी मैं। पा और मम्मी का तलाक़ हुए शायद एक साल हुआ था। मम्मी
अकेली नहीं, बेहद अकेली थीं और इस अकेलेपन को मारने के लिए
उन्होंने पार्ट टाइम नौकरी कर ली थी। वे एक नर्सरी में जाती
थीं, जहाँ उनकी भारत में की हुई नर्सरी ट्रेनिंग काम की न होने
पर भी नौकरी पाने के लिए सहायक सिद्ध हुई थी। उन्होंने वहाँ
इंटरव्यू के समय मैनेजमेंट को यह आश्वासन दिया था कि मैं नई
ट्रेनिंग ले लूँगी और इस आधार पर उन्हें पहले छः महीने 'प्रोबेशन'
पर रखा गया था। मम्मी ने सचमुच नई ट्रेनिंग ली थी।
वे दिन बड़े संकट के थे। मैं
स्कूल से लौटती, तो घर में कोई न मिलता। जैसे घर भी सूनेपन को
समेटे खोया-सा लगता- रोशनी, ऊष्मा और स्वागत से रहित। नया भी
तो था। तलाक़ के बाद पा ने पुराने घर को बेच दिया था। मुझे
उसकी याद आती और मैं मम्मी से पूछती, तो वे ठीक-ठीक जवाब न
देतीं। एक बार जब मैंने पुराने घर में जाने की ज़िद की थी, तो
मम्मी ने बड़े गुस्से में जवाब दिया था, ''उस घर को बेचकर ही
तो हमें पेट भरने को पैसे मिले थे। समझीं? आगे से कभी उस मनहूस
घर का नाम मत लेना। वह हमारा दुश्मन था दुश्मन।
मैंने मनहूस शब्द उससे पहले
कभी सुना नहीं था। मैं यह भी पूरी तरह से समझ नहीं पाई थी कि
पेट भरने के लिए मकान से पैसे किस तरह मिले थे, छः साल की
बच्ची क्या जाने इन बातों को, मैंने मम्मी के क्रोध से डरकर
सिर्फ़ यह पूछा था, ''मनहूस क्या होता है मम्मी?''
मम्मी ने और भी भड़क कर बताया था, ''अभागा, सत्यानासी।''
मैं और भी उलझ गई थी, लेकिन न
मैंने कुछ और पूछा था, न बोली थी। मम्मी मुँह ढककर सो गई थीं
और मैं आकाश में उलझते-गड़गड़ाते बादलों को देखने लगी थी।
''मम्मी पा हमारे साथ क्यों नहीं रहते?''
एक बार मेरे यह पूछने पर मम्मी ने पा से अलग होने का सारा
गुस्सा मुझ पर निकाला था और बोली थीं, ''पूछ उन्हीं से, जिन्हें
मेरे साथ रहना अच्छा नहीं लगा।''
और अगली मुलाक़ात होते ही मैंने पा से पूछा था, तो उन्होंने
मम्मी का जवाब दुहराया था और हँसकर कहा था, ''कभी-कभी कोई
अच्छा होने पर भी अच्छा नहीं लगता, गुड़िया रानी और जो अच्छा
लगता है, वह ज़रूरी नहीं कि अच्छा हो ही। मेरी समझ में कुछ
नहीं आया था।
फिर ज़्यादा समय नहीं बीता
था, जब मैं विवाह और तलाक़ के मतलब समझने लगी थी।
विवाह यानी साथ रहना और बच्चों के मम्मी-डैडी बनना। तलाक़ यानी
पति-पत्नी का संबंध तोड़ कर अलग हो जाना। लेकिन मैं यह नहीं
समझ पाती थी कि लोग अलग होकर भी पिछले बच्चों के मम्मी-डैडी
कैसे बने रहते हैं और फिर नए बच्चों के मम्मी-डैडी भी बन जाते
हैं। पहले-पहल यह देखकर मुझे बहुत अजीब लगा था, जब मैं और
मम्मी डैडी के घर रहने गए थे। डैडी के एक बेटा भी था ऑलिवर,
मुझसे ढाई साल छोटा। मैं तब नौ साल की होने वाली थी। मम्मी ने
जब डैडी से पहली बार मिलवाया था, तो कहा था, ''ये हैं तुम्हारे
नए पापा, जोज़ेफ़। मैंने उन्हें हैलो कहने के साथ ही सॉरी कहते
हुए कहा था, ''पापा एक ही होते हैं और हमेशा एक ही रहते हैं,
नए या पुराने नहीं... और मेरे तो बहुत अच्छे अपने पा हैं।''
डैडी को मेरे कथन में अशिष्टता महसूस हुई थी और उनका चेहरा भी
उतर गया था, लेकिन उन्होंने बात को सँभालते हुए तत्काल कहा था,
''आइ एप्रिशियेट योअ फीलिंग्ज़ एंड अफेक्शन फॉअ योअ पा गुरिया।
बट यू कैन कॉल मी डैडी, इफ यू डोंट माइंड।'' (मैं तुम्हारी
अपने पा के प्रति भावनाओं और प्यार की कद्र करता हूँ गुड़िया,
लेकिन अगर तुम्हें ऐतराज़ न हो, तो तुम मुझे डैडी कह सकती हो।)
जल्दी ही डैडी मुझे बहुत
अच्छे लगने लगे थे। शुरू से ही वे मुझे बहुत प्यार जो करते थे।
लेकिन ऑलिवर मुझसे लड़ता था। उसको भाई कहने और मानने में मुझे
बहुत समय लगा।
यह कैसा भाई? मैंने मम्मी को साफ़ कहा था, ''भाई तो 'कज़िन' भी
नहीं होता। होता है तो केवल सहोदर ही।''
मैं तो पा की बेटी रुचा को भी मुश्किल से बहन मान सकी थी।
लेकिन जब मम्मी ने ऑस्कर को जन्म दिया, तो मेरी मान्यताएँ
डगमगा गई। बहुत सुंदर और प्यारा लगा था वह मुझे, जब मैंने उसे
अस्पताल में पहली बार देखा था। हरी-हरी आँखों और काले बालों
वाला। मुझसे काफ़ी अधिक गोरा। मैंने उसे दौड़कर उठा लिया था और
चूमा था। |