इंग्लैंड की राजधानी लंदन और
कैनेडा की राजधानी औटवा की दूरी ने तुम सब को देखने की अभिलाषा
को जैसे किसी अंजान वादी में भटका दिया हो - मैं स्वास्थ्य के
कारण और तुम कार्य-वश तथा अवकाश के अभाव के कारण, दोनों ही
अपने अपने शहर को नहीं छोड़ पाते।
तुम जिस प्राइमरी स्कूल में
पढ़ती थीं, उसी के पास वुडसाइड पार्क ट्यूब स्टेशन के साथ
वुडसाइड अवेन्यू पर प्रायः घूमने जाता हूँ जहाँ दोनों ओर सुंदर
वृक्षों की शृंखला है और रास्ते में वही स्कूल तुम्हारे बचपन
की यादें ताज़ा करती रहती है। लगभग उसी समय पर एक पुलिस ऑफिसर
भी नित्य-दिन की गश्त पर मिल जाता है। बड़ा मिलनसार और स्वभाव
से हँस-मुख है। बातों में हँसी-मज़ाक भी कर लेता है।
आज रोज़ की तरह प्रातः सैर के
लिए उसी वुडसाइड अवैन्यू पर जा रहा था कि काग़ज़ों के एक
पुलंदे पर पाँव की हल्की-सी ठोकर लगी। मैं वहीं रुक गया। अपनी
छड़ी से उसे हिलाया और झुक कर उठा लिया। देख ही रहा था कि इस
में क्या है, वही पुलिस ऑफ़िसर भी पास आ गया, ''हैलो सीनियर!
क्या कोई खज़ाना मिल गया है?" मुस्कुरा कर बोला। पैन्शनर
(सीनियर सिटिज़न) के नाते वह मुझे मज़ाक में सीनियर ही कह कर
संबोधित करता था। मैंने भी परिहास की भाषा में उत्तर दिया,
''आप ही देख कर बताओ कि कहीं किसी आतंकवादी का रखा हुआ बम तो
नहीं है?’
उसने हँसते हुए पुलंदा मेरे
हाथ से ले लिया और देख कर कर कहने लगा, ''लोग इतने सुस्त और लापरवाह हो गए हैं कि
रद्दी के काग़ज़ बराबर में रखे हुए डस्टबिन तक में भी नहीं डाल
सकते! लाओ, मैं ही डाल देता हूँ।
मैं उन काग़ज़ों को अपने
हाथों में उलट-पलट ही रहा था कि देखा कि पत्रों के साथ एक
विवाह-प्रमाण पत्र भी था। मैंने उसका ध्यान इसकी ओर आकर्षित
किया। कुछ क्षणों के लिए तो वह स्तब्ध रह गया। चेहरे पर
आर्द्रता का भाव झलक उठा, ''ये किसी की धरोहर है। मैं इसे
पुलिस-स्टेशन में जमा करवा दूँगा।''
मेरी उत्सुकता और भी बढ़ गई।
मैंने उन पत्रों को देखने की इच्छा प्रकट की तो उसने कहा कि यह
बंडल क्यों कि तुम्हें ही मिले हैं, तुम पुलिस-स्टेशन जा कर देख
सकते हो और यदि छः मास तक किसी ने भी इस के स्वामित्व का दावा
नहीं किया तो हो सकता है कि यह तुम्हारी ही संपत्ति मानी जाए।
उत्सुकता-वश, मैं दोपहर के
समय पुलिस-स्टेशन चला गया। संयोगवश स्वागत-कक्ष में वही ऑफ़िसर
ड्यूटी पर था। औपचारिक कार्यवाही के पश्चात मैं एक एकांत कोने
में बैठ कर पढ़ता रहा। बेटी! ये मुड़े-तुड़े पुराने साधारण से
दिखने वाले काग़ज़ एक हृदय-स्पर्शी पत्रों का संग्रह था जिस
में कुछ पत्र प्रथम विश्व-महायुद्ध में युद्धस्थल से किसी
सैनिक 'राइफलमैन जॉर्ज वाइल्ड' ने अपनी इकलौती प्यारी बेटी 'ऐथल'
के नाम लिखे थे। |