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''ओ-ओ-ओ-ओ...कम-इन…कम-इन-कम-इन...फ़ास्ट..'' ये कहते हुए
अगस्त्य ने ट्रेन के स्वतः बंद होते हुए दरवाज़े के दोनों
पल्लों को ताक़त लगाकर रोका। बाहर प्लेटफ़ॉर्म पर खड़ी
अँग्रेज़ महिला ने एक झटके में ट्रेन के दरवाज़े को देखा,
अगस्त्य की आवाज़ सुनी, और समझ गई कि करना क्या है।
महिला ने पहले एक हाथ से अपनी
बेटी को डिब्बे के भीतर धकेला, और दूसरे हाथ में बड़ा-सा चमड़े
का बैग लिए ख़ुद भी लपककर डब्बे के भीतर चली आई। फिर अगस्त्य
की ओर देख मुस्कुराते हुए कृतज्ञ भाव से बोली, ''थैंक्यू वेरी
मच।''
''माइ प्लेज़र।'' - अगस्त्य ने मुस्कुराते हुए धीमे से कहा और
वापस अपनी जगह आकर खड़ा हो गया।
और तबतक ट्यूब, यानि लंदन में चलनेवाली भूमिगत रेलगाड़ी ने
पटरियों पर दौड़ना शुरू कर दिया। कुछ ही सेकंड में उसने
रफ़्तार पकड़ ली और सुरंग में खो गई।
अँग्रेज़ महिला अपनी बेटी का
हाथ पकड़े दरवाज़े के बगल में ही खड़ी हो गई क्यों कि सभी सीटों
पर लोग बैठे हुए थे। महिला की उम्र चालीस के आस-पास रही होगी,
बेटी छह-सात साल की लग रही थी। महिला ने काला कोट-काली स्कर्ट
और घुटने की ऊँचाई तक पहुँचते काले जूते पहन रखे थे। बेटी ने
नीली-उजली धारियों वाली फ्रॉक पहनी थी और पैरों में नीले रंग
के कैनवास जूते थे।
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