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सुबह का समय था। ऑफिस जाने
की तैयारी पूरी हो चुकी थी। खाने की मेज पर नाश्ते का इंतजार
सुबह का अखबार पढ़ कर हो रहा था। पत्नी शर्मिला रसोई में
नाश्ते के साथ ऑफिस ले जाने का लंच का टिफिन भी पैक करने में
व्यस्त थी। मध्यवर्गीय परिवार की तो लिखने-पढ़ने की मेज और
खाने की मेज एक ही होती है। शुक्र है कि कुछ समय पहले खाने की
मेज खरीदी, वरना बिस्तर पर ही नाश्ता, खाना, सोना सब कुछ होता
था।
"अखबार बंद करो, नाश्ता तैयार है।" शर्मिला ने रसोई से आवाज दी
और ट्रे में नाश्ता सजा कर ले आई। ब्रेड मक्खन के साथ आलू के
चिप्स देखकर सुनील चहक उठा, "आज तो एकदम छुट्टी के दिन वाला
नाश्ता बना दिया। मजा आ गया।"
"आज मेरा व्रत है, खाना सीधे शाम को ही बनाऊँगी, सोचा सुबह कुछ
हल्का और नया बना दूँ आपके लिये।" शर्मिला ने मुसकुराते हुए
कहा। उसे सजा धजा और चुस्त देखकर सुनील को याद आया कि आज
करवाचौथ है वर्ना शर्मिला सुबह सुबह नहाधोकर तैयार नहीं हो
जाती, इस समय तक रात के कपड़ों में ही होती है।
सुनील पहला निवाला मुँह में रखता उसके पहले ही दरवाजे की घंटी
बजी।
जैसे ही सुनील ने दरवाजा खोला, सामने पुलिस के सिपाही को देखकर
भौचक्का रह गया। सुनील के कुछ कहने से पहले ही सिपाही ने
प्रश्न किया "क्या सुनील आपका नाम है?" |