|  ऐसे विषयों की सूची लम्बी थी और 
                    बढ़ती ही जा रही थी। क्या नया मकान अभी लेना ठीक रहेगा या 
                    अर्थव्यवस्था के सुधरने तक रुका जाए? इरमा और एड की कॉलेज की 
                    पढ़ाई के लिए अभी से जोड़ना शुरू करना होगा...बैंक के किस 
                    प्रोग्राम के तहत पैसे जमा कराए जाएँ, या सीडी में ही पैसा जमा 
                    कराया जाए? कार के टायर बदलनेवाले हैं... नया सोफ़ा भी लेना 
                    है... लेकिन रात को 
                    बच्चे जब सोने चले गए, उसने लेटे-लेटे अपने पाँव से उसके पाँव 
                    को हल्के से छूआ भी, हालाँकि वह पहल कभी नहीं करती थी, बावजूद 
                    इसके कि कृष्ण कहा करता था कि कभी-कभी तुम भी पहल कर दिया करो 
                    – भागवान! मगर कृष्ण की तरफ़ से कोई हरकत नहीं हुई। बल्कि कुछ 
                    देर बाद उसने करवट ही बदल ली।शायद वह बहुत थका हुआ है, गीता ने सोचा। लड़ाई के मैदान से 
                    लौटा है, वहाँ उसे सोने को कहाँ और कितना मिलता होगा। रेतीले 
                    तूफ़ान, कड़कती धूप या बहती वर्षा में क्या कोई सो सकता है? 
                    नियम तो है कि हर सैनिक के लिए चौबीस घंटे में चार घंटे की 
                    नींद ज़रूरी है। प्रतिदिन चौबीस में से सिर्फ़ चार घंटे सो कर 
                    कोई व्यक्ति एक-दो सप्ताह तो निकाल सकता है, लेकिन दो-तीन साल! 
                    हरगिज़ नहीं।
 घर के बिस्तर पर लेटते ही आँख 
                    लग जाना स्वाभाविक है। इस समय यही मुनासिब होगा कि उसको सोने 
                    दिया जाए।लेकिन लगभग एक वर्ष पहले नवम्बर में जब वह 'थैंक्स गिविंग' के 
                    छुट्टियों पर तीन-चार दिन के लिए आया था, गीता उसको कहती रही 
                    थी - सो जाओ कृष्णा। लेकिन वह तो ...।
 गीता क्रिस को कृष्णा बुलाती थी। भारत से आनेवाले कृष्ण नाम के 
                    युवक अगर अमेरिका में क्रिस बन जाते हैं तो क्रिस्टोफर उसके 
                    लिए कृष्ण क्यों नहीं हो सकता?
 वे अभी कॉलेज में ही थे और अभी एक-दूसरे को कोर्ट ही कर रहे 
                    थे, क्रिस सेना में कमीशन लेने के लिए वेस्ट प्वाइंट अकादमी की 
                    परीक्षा पास कर चुका था, और ट्रेनिंग पर जाने से एक दिन पहले 
                    गीता के घर पर उसके माँ-बाप से मिलने आया हुआ था।
 गीता ने क्रिस को कृष्ण पुकारा तो क्रिस ने एतराज़ किया।
 ''मुझे वह पसंद नहीं है।''
 ''क्यों?''
 ''मुझे यह 'हरे रामा, हरे कृष्णा' गानेवाले कुछ पागल लगते 
                    हैं।''
 सब हँसे थे।
 ''मैं सड़कों पर नाचना नहीं चाहता उन पागलों की तरह। मतवाले 
                    कहीं के।''
 ''अरे तुम नहीं नाचोगे। नाचते तो कृष्ण के लिए उसके भक्त हैं। 
                    उसकी गोपियाँ हैं। सब ने समझाया।''
 गीता भाग कर भगवान कृष्ण की एक तस्वीर उठा लाई, जिसमें कृष्ण 
                    रथ पर सारथी थे और अर्जुन उनके पीछे गांडीव धारण किये खड़ा था।
 ''गोपियां कहां हैं?''
 '' गोपियाँ... वह मथुरा-वृंदावन में हैं कहीं। यह कुरूक्षेत्र 
                    का मैदान है भाई। यहाँ महाभारत हुआ था।''
 ''अर्जुन लड़ने के लिए तैयार नहीं था।''
 '' ओह। द कोन्शेंनश्यस डिस्सेंटर।''
 '' हाँ, शायद इतिहास में सबसे पहला।''
 सब तस्वीर देखने लगे। गीता के 
                    पिता ने कहा, ''कृष्ण अर्जुन को समझा रहे है 'हतो वा 
                    प्राप्स्यसि स्वर्ग जित्वा'...।'' उनकी पत्नी ने तमिल में उनसे 
                    कुछ कहा, वह बोलते-बोलते कुछ सँभल गए, फिर अगला श्लोक बोला, 
                    ''कर्मणयेवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन, मा कर्म फल हेतुर्भ।''
                    उन्होंने अंग्रेज़ी उसका अनुवाद किया। तेरा कर्म करने में ही 
                    अधिकार है, कर्मफल में कभी नहीं, तू कर्मफल के हेतु कर्म करने 
                    वाला न हो। फिर व्याख्या करने लगे निष्काम कर्म करो। मोह ठीक 
                    नहीं, डिटैचमेंट की भावना के साथ काम करो। निर्लिप्त रहो। 
                    निस्वार्थ भावना से काम करते रहो, फल के बारे में न सोचो वह 
                    मुझ पर छोड़ दो। ''
 ''तो असली कमांडर कृष्णा है? ''
 ''हाँ,''
 और उस दिन क्रिस का नामकरण कृष्णा हो गया। औरों के लिए वह भले 
                    ही पहले लिफ्टनेंट, फिर कैप्टेन और अब मेजर क्रिस्टोफ़र या 
                    क्रिस रायन हो, उसके लिए तो क्रिस कृष्णा ही बन गया। रंग काला, 
                    मुस्कान मीठी, चौड़े कंधे, पेट अंदर, अंग-अंग मानों तराशा हुआ, 
                    फौलाद में ढला शरीर, किंतु स्पर्श कोमल।
 उसने क्रिस और अपने बीच रजाई को कुछ और दबा दिया ताकि अगर वह 
                    हिले भी तो क्रिस को इसका बिलकुल भी पता न चले, हालाँकि वह उसे 
                    देखती रही, उसके सोल्जर-कट बाल, जिन्हें वह देखते हुए भी नहीं 
                    देख पा रही थी, क्यों कि कमरे में लगभग अंधेरा था।
 हो सकता है कि पिछली बार वह कम वक्त के लिए आया था और जितना भी 
                    समय उसके पास था, उसके एक एक पल का वह भरपूर आनंद लेना चाहता 
                    था। वह उससे मोर्चे पर उसके अनुभवों के बारे में सुनना चाहती 
                    थी, लेकिन वह बोला था, ''मैं लड़ाई के बारे में बात नहीं करना 
                    चाहता। मैं उसे भूल जाना चाहता हूँ ..।''
 अगले दिन सुबह जब उठी थी तो उसके शरीर पर जगह-जगह नील पड़े हुए 
                    थे।
 उसे तो पसंद था कृष्ण के 
                    मज़बूत ताकतवर हाथों से धीरे-धीरे सहलाया जाना और साथ-साथ अपनी 
                    प्यारभरी आवाज़ में धीरे-धीरे उसका बातें करना..।तो क्या यह दो वर्षों तक सहवास न होने के कारण?
 एक रात वह नींद में बुड़बुड़ाने लगा था, फिर उसकी आवाज़ कुछ 
                    ऐसी हो गई थी जैसे कोई गला घोट रहा हो। फिर बोलने लगा, 
                    ''नहीं-नहीं।''
 गीता ने बत्ती जलायी, उसे झकझोरा। ''कृष्ण क्या बात है? कृष्ण! 
                    कृष्ण!''
 वह रोने लगा। उसने कृष्ण को रोते पहली बार देखा था। गीता ने 
                    पूछा, ''क्या बात है? कोई बुरा सपना देखा?''
 वह यकायक शांत हो गया। गीता से पूछने लगा, ''क्या बात है? क्या 
                    कुछ हुआ?''
 ''तुम नींद में बोल रहे थे।''
 ''नहीं तो।''
 गीता ने उसे चूमा। वह उसे प्यार करने लगा। कुछ-कुछ वैसे ही 
                    जैसे उसने पिछली रात किया था।
 अगले दिन फिर कुछ अजीब-सी घटना हुई। सुबह का समय था। उसकी आँख 
                    लग गई थी। इरमा, एड अपने पापा के साथ खेलने के लिए उसे जगाना 
                    चाहते थे। दोनों उसके सामने खड़े थे कि जब वह आँखें खोलें तो 
                    पहले उन्हें ही देखें। इरमा ने छूआ तो वह हड़बड़ा कर मानों 
                    अपनी राइफल सँभालने लगा। फिर पल दो पल फटी-फटी आँखों से देखते 
                    हुए झटक मुँह दूसरी तरफ़ कर लिया।
 वह इरमा और ऐड को प्यार करने लगा। फिर दिन भर उन के साथ खेलता 
                    रहा। उन्हें मॉल ले गया। ढेरों खिलौने और डीवीडी ख़रीद दिए। 
                    चाकलेट टाफियाँ ले दीं। उनके साथ टेलीविज़न देखता रहा।
 गीता ने चाहा कि रात की बात 
                    छेड़े, बच्चों से कुछ फ़ुर्सत मिले तो उसको उसके दुस्वप्न के 
                    बारे में पूछे। युद्ध की कोई घटना क्या सपने में आ गई?वह युद्ध के समाचार पढ़ती रही थी। तरह-तरह की रिपोर्टें उसने 
                    पढ़ी थीं। उनमें अच्छी-बुरी सभी तरह की ख़बरें थीं। जीत हासिल 
                    करने की रिपोर्टे, सैनिकों के मारे जाने की रिपोर्टें। बंदियों 
                    को यातनाएँ दिए जाने की रिपोर्टें वह कृष्ण को बताना चाहती थी 
                    कि समाचार-माध्यमों ने बंदियों को यातनाएँ दिए जाने की 
                    रिपोर्टों को किस तरह बढ़ा-चढ़ा कर प्रस्तुत किया है। ऐसी 
                    तस्वीरें छापीं और टेलीविज़न पर दिखायी जिनमें बंदियों के 
                    चेहरों पर लगातार पानी की बौछार डाली जा रही है ताकि उनको लगे 
                    कि वह डूब रहे हैं। उनके चेहरों को लिफ़ाफों से ढका दिखाया गया 
                    है, उन पर कुत्तों को भूंकते दिखाया गया है। शत्रु क्या कूट 
                    योजनाएँ बना रहा है -- उगलवाने की कोशिश करते सैनिक राक्षसों 
                    की तरह हँसते दिखाए गए हैं, जैसे यातना देना उनके लिए कोई 
                    मनोरंजन हो, कोई खेल। कोई इतना अमानवीय किस तरह हो सकता है?
 उसे कृष्ण की एक बात याद हो आई। संदर्भ याद नहीं है। कृष्ण ने 
                    कहा था, ''कभी-कभी अति हो जाती है। पर क्या कर सकते हैं? यह 
                    लड़ाई है। इसमें कुछ भी हो सकता है। हम खुद को भी इस तरह की 
                    यातनाएँ सहने के लिए तैयार रखते हैं। यह हमारी ट्रेनिंग का 
                    हिस्सा हैं। हम जानते हैं अगर हम उनके हाथों पड़ गए तो वह 
                    हमारी कैसी दुर्गत करगें।
 आरोप-प्रत्यारोप लगाए जा रहे 
                    थे। सैनिक कह रहे थे कि यातनाएँ दिए जाने के आदेश ऊपर से दिए 
                    गए थे। कमांडर कह रहे थे कि उन्होंने इस तरह के आदेश दिए ही 
                    नहीं। सच क्या है पता नहीं चलता। तुम क्या कहते हो? लेकिन क्रिस ने आते ही कह दिया था कि वह युद्ध के अनुभवों के 
                    बारे में कोई बात नहीं करना चाहता। मोर्चे पर लौटने से एक रात 
                    पहले उसने पूछा था, ''तुम्हारी पढ़ाई कैसी चल रही है?''
 ''चार क्रेडिट रह गए हैं। अगले साल तुम्हारे लौटने तक मैं लॉ 
                    कर चुकी होऊँगी।''
 ''तुम्हारे लिए काफ़ी मुश्किल रहा होगा यह वक्त। बच्चों को 
                    स्कूल के लिए तैयार करना, उनके होमवर्क कराना, साथ-साथ अपनी 
                    पढ़ाई भी, तीन घंटे की क्लास और सात घंटे की रीडिंग, घर का 
                    सारा काम-काज अलग।''
 गीता को लगा था जैसे वह और भी कुछ कहना चाहता था। उसने उसके 
                    होंठों पर उँगली रख दी थी और उसके पास सरक कर अपनी कोमल लेकिन 
                    आश्वस्तपूर्ण आवाज़ में कहा था, ''पर परमात्मा की कृपा से अब 
                    तक सब ठीक ही रहा है। तुम मेरे साथ हो। जैसा सोचा था वैसा ही 
                    चल रहा है। भविष्य उज्जवल नज़र आए तो इतनी परेशानी नहीं होती। 
                    हाथी निकल गया अब तो पूँछ ही रह गई है।''
 तब दुस्वप्नवाली रात को याद कर उसने इतना और कह दिया था, ''सब 
                    ठीक रहेगा। मुझे अपने परमात्मा में पूरा विश्वास है।''
 उसके बाद वह उन्मत हो उठा था। वह फिर पागलों की तरह प्यार करने 
                    लगा था जैसे अंतिम बार कर रहा हो। गीता ने उसे जो चाहता था 
                    करने दिया। उसके शरीर पर जगह-जगह नील पड़ गए थे...
 इस बार बात फ़र्क है। तीन साल 
                    की अपनी पोस्टिंग पूरी करके लौटा है- गीता ने सोचा। और मोर्चे 
                    पर वापस जाने की चिंता नहीं है। अगले तीन वर्ष यहीं रहेगा, इसी 
                    मकान में, परिवार के साथ। बातों का क्या है, कल भी हो सकती 
                    हैं...। कल वह उसे बताएगी कि उसे कौन-कौन सी नौकरियों के ऑफर 
                    हैं...।मगर सुबह तीन बजे ही उठ बैठा वह। गीता पहले से ही जाग रही थी। 
                    वह लेटी रही। सोचने लगी क्रिस उसकी कमर में हाथ डाल कर उसे 
                    अपने करीब खींच लेगा, पिछली बार की तरह। फिर शुरू होंगी बातें। 
                    रात में बातों का मज़ा ही और है। रात के शांत वातावरण में उसे 
                    क्रिस की आवाज़ किसी रहस्यपूर्ण ठोस पदार्थ-सी लगती है, बेहद 
                    अंतरंग, मानो आवाज़ भी क्रिस के हाथ-पाँवों की तरह उसके शरीर 
                    का ही एक अंग हो, जिसे भले ही वह देख न पाती हो, लेकिन जिसका 
                    स्पर्श वह अपने शरीर के अंग-अंग पर महसूस कर सकती हो।
 क्रिस खड़ा हो गया। ''क्या वह बाथरूम की तरफ़ जा रहा है?''
 ''या बच्चों के बैड़रूम की तरफ़?''
 ''नहीं।''
 कृष्ण ने बेडरूम का दरवाज़ा धीरे से खोला, बाहर निकला, दरवाज़ा 
                    उड़काया, गलियारे की बत्ती जलाई और किचन की तरफ़ गया। वह उसके 
                    पीछे-पीछे किचन तक गई, कि अगर चाय पीना चाहता हो तो बनाने में 
                    मदद करे। वह जब तक किचन में पहुँची तो पाया कृष्ण तब तक चाय का 
                    कप लेकर गराज की तरफ़ चला गया है जिसमें कार के अलावा घर का 
                    कुछ पुराना सामान भी था। वह गराज की बत्ती जला कर, चीज़ों को 
                    उठा कर, इधर-उधर रख रहा है।
 कृष्ण ने पलट के देखा तो बोली, ''क्या नींद नहीं आ रही?''
 ''मैं ठीक हूँ।'' उसने एक पुराना-सा बक्सा उठाते हुए कहा।
 वह उसके पास तक आ गई। उसने मुँह ऊपर की तरफ़ किया। उसका ख़याल 
                    था कि वह बक्सा एक तरफ़ रख, उसे चूमेंगा। लेकिन कृष्ण ने न उसे 
                    चूमा और न छूआ ही।
 ''बहुत जल्दी जाग गए।''
 ''हाँ।''
 ''कुछ परेशानी है?''
 वह कुछ रुकते हुए बोला, ''मैं विवाहित नहीं रहना चाहता।''
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