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ईसा पूर्व
छठी सदी, भारतीय साहित्य के महानतम व्यक्तित्वों की सदी।
बौद्धधर्म के प्रवर्तक गौतम बुद्ध, वैशाली की नगर
शोभिनीआम्रपाली, मगध सम्राट बिंबिसार एवं अजातशत्रु, जैन धर्म
के चौबीसवें तीर्थंकर महावीर, मगध की नगरवधू शालवती और युग
प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य एवं शल्य चिकित्सक राज वैद्य जीवक के
समकालीनों की सदी थी। अनेक कथाओं - नाटकों के नायक, आकर्षक,
रूमानी व्यक्तित्व के स्वामी वत्सराज उदयन और उनकी प्रेयसी
अवन्ति सुंदरी वासवदत्ता की प्रणय-गाथा की गवाह भी यह सदी थी।
अपने समकालीन नरेशों - काशीराज प्रसेनजित, मगधदेश बिम्बसार
और अवांति के दुर्धर्ष स्वामी चंड प्रद्योत की तुलना में वत्स
नरेश उदयन का व्यक्तित्व अधिक सलोना, रूमानी, रोमाँचक और
कला-प्रेम से ओतप्रोत था। वे न केवल एक शासक वरन वीणा वादन के
महान कलाकार थे। उनके कलात्मक व्यक्तित्व पर रूपसी आम्रपाली भी
मर मिटी थी। परंतु उनका प्रेम वासवदत्ता के साथ ही परवान चढ़
सका था।
कथा-नायक उदयन महाभारत प्रसिद्ध पांडव वंशी थे। जल प्रलय
और यमुना की बाढ़ में इन्द्रप्रस्थ के डूब जाने पर उनके
पिता शतानीक वत्स-प्रदेश में आ बसे। कौशांबी को उन्होंने
अपनी राजधानी बनाया। |