अभिव्यक्ति में
शरद पगारे की
रचनाएँ
कहानियों में-
इक्कीसवीं सदी और शंकर दादा
प्रेमकथा |
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शरद पगारे
जन्म- ५
जुलाई १९३१ को खंडवा, म.प्र. में
शिक्षा- इतिहास में एम.ए. पी-एच.डी.
कार्यक्षेत्र-
अध्यापन एवं लेखन। शासकीय महाविद्यालय के प्राचार्य पद से
सेवा निवृत्त होकर स्वतंत्र लेखन में संलग्न। शिल्पकर्ण
विश्वविद्यालय, बैंकाक में अतिथि प्राचार्य के रूप में भी
कार्य किया।
पुरस्कार व सम्मान-
मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी, भोपाल का विश्वनाथ सिंह
पुरस्कार तथा वागीश्वरी पुरस्कार, अखिल भारतीय अंबिका
प्रसाद अंबिका प्रसाद दिव्य पुरस्कार, सागर। मध्य प्रदेश
लेखक संघ का भोपाल का अक्षर आदित्य अलंकरण, साहित्य मंडल
का श्रीनाथ हिंदी भाषा भूषण सम्मान, हिंदी साहित्य सम्मेलन
का प्रयाग सम्मेलन सम्मान, निमाड़ लोक साहित्य परिषद का
संत सिंघाजी सम्मान, अखिल भारतीय भाषा साहित्य सम्मेलन का
भारत भाषा भूषण सम्मान।
प्रकाशित कृतियाँ-
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उपन्यास- गुलारा बेगम, गंधर्व सेन, बेगम जैनाबादी,
उजाले की तलाश, पाटलिपुत्र की साम्राज्ञी।
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कहानी संग्रह- एक मुट्ठी ममता, संध्या तारा, नारी के
रूप, दूसरा देवदास, भारतीय इतिहास की प्रेम कहानियाँ,
मेरी श्रेष्ठ कहानियाँ।
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नाटक- श्री राम कला केन्द्र द्वारा बेगम जैनाबादी की
नाट्य प्रस्तुति क्षितिज नाम से।
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अनेक
रचनाओं का अँग्रेजी में अनुवाद।
संपर्क :
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