- देखिये महेशजी, तनाव में आने से तो बात और बिगड़ेगी। मैंने
आपकी पूरी बात सुनी है। मुझे आपसे पूरी हमदर्दी है। जहाँ तक
मैं समझ पाया हूँ आप हमारे पास दो उम्मीदें ले कर आये हैं।
पहली कि किसी भी तरह से आपका मकान खाली कराने में आपकी मदद
करूँ और हो सके तो आपके उस एजेंट को ढूँढने में आपकी मदद करूँ।
- सही फर्माया आपने। मैं हर तरफ से निराश हो कर आपके पास आया
हूँ। पुलिस...
- देखिये ऐसे मामलों में पुलिस कोई मदद नहीं कर पाती, पुलिस ने
यही कहा होगा न कि आप मकान किराये पर देते समय अगर उन्हें भी
फार्मली खबर कर देते तो वे शायद कुछ मदद कर भी पाते।
- जी हाँ, यही कहा था।
- और यह भी कहा होगा कि आप अपने आप किरायेदार से कैसे भी
निपटें, वे बीच में दखल नहीं देंगे।
- जी हाँ मुझे नहीं पता था कि यहाँ की पुलिस इतनी गैर
जिम्मेदार है और इतनी बेरूखी से पेश आती है।
- अब क्या किया जाये। फिलहाल हम देखें कि आपकी कैसे मदद की
जाये।
- जी
- देखिये, जहाँ तक चंद्रकांत की बात है, हमें भी पता चला है कि
वह कई लोगों को धोखा दे कर भागा हुआ है। हमारा भी एकाध पार्टी
का लेनदेन अटका हुआ है उसके साथ। खैर, फिलहाल बात आपके मकान
खाली कराने की बात है तो उसका एक ही तरीका बचता है जो कई बार
हमें भी अपनाना पड़ता है और वो है मसल पावर।
- जी मैं समझा नहीं।
- देखिये ये इस शहर की खासियत है कि यहाँ आपको एक से बढ़ कर एक
टेढ़ा आदमी मिलेगा और दूसरी तरफ आपके जैसे शरीफ आदमी भी हैं जो
अपना खुद का मकान वापिस पाने के लिए भटक रहे हैं। तो ऐसे में
हमारी जो ये नेचर है ना, कुदरत, सही बेलेंस करती है, टेढ़े
आदमियों को सीधा करने के लिए यहाँ कुछ मसल मैन भी हैं। वे लोग
पैसे तो लेते हैं लेकिन सिर्फ टेढ़ी उँगली से ही घी निकालना
जानते हैं। निकाल कर दिखा भी देते हैं। तो जनाब अगर आप चाहते
हैं कि किसी ऐसी एजेंसी की सेवाएँ ली जाएँ तो आगे बात की जाये।
- आप क्या सजेस्ट करते हैं सर?
- देखिये महेशजी, वह आदमी आपके लंदन में होने का पूरा फायदा
उठायेगा। उसे पता है, आप शरीफ आदमी है। यहाँ हमेशा के लिए नहीं
ठहर सकते। न उसका सामान बाहर फिकवायेंगे। ज्यादा से ज्यादा
ग्यारह महीने का लीव और लाइसेंस दोबारा करवा लेंगे, लेकिन वह
आपको मकान तो तुरंत खाली करके देने के मूड में नहीं लगता। और
फिर आप बता रहे हैं कि उसका धंधा भी कुछ इस तरह का है।
- ये देखिये, मैंने उसे फ्लैट देते समय ही लिखवा लिया था कि वह
मुझे फ्लैट का खाली पोजेशन दे रहा है।
- लेकिन सर, आप कागज के बलबूते पर भी फ्लैट कहाँ खाली करवा
पाये। वह जब तक हो सके टालेगा। एक एक दिन, एक एक घंटा। ताकि एक
बार फिर आपके लौट जाने का टाइम आ जाये।
- तो इसका मतलब
- घबराइये नहीं, हम आपकी मदद करेंगे। फीस लगेगी २५,००० और २४
घंटे में मकान खाली कराने की गारंटी।
- रेट कुछ ज्यादा लग रहे हैं।
- आप जितनी टेंशन में हैं और अपना ब्लड प्रेशर बढ़ा रहे हैं,
उसके मुकाबले कम। और फिर दस बारह आदमियों की टीम होती है, कहीं
कुछ मारपीट हो जाये तो उस सबका इंतजाम करके चलता पड़ता है। इस
बात का भी ख्याल रखना पड़ता है कि पुलिस केस न बने। तो समझें
फाइनल?
- आप तो मुझे इस्टेट एजेंट कम और साइक्रियाटिस्ट ज्यादा नज़र आ
रहे हैं। अब जा कर इतने दिनों के बाद महेश के चेहरे पर हँसी
आयी है। मुझे भी लगने लगा है कि ये आदमी काम करवा सकता है।
- आपकी जानकारी के लिए मैं रूड़की युनिवर्सिटी का बी ई हूँ और
मैं इस लाइन में आने से पहले इंजीनियरिंग पढ़ाता रहा हूँ।
- तो इस लाइन में कैसे आ गये
- आप जैसे लोगों की सेवा करने के लिए। तो जनाब हम फाइनल समझें?
- ठीक है। तो यही सही। जहाँ मकान ने सवा लाख का घाटा दिया है
वहाँ डैढ़ लाख का सही।
- तो कब? कितने बजे?
- तीन बजे ठीक रहेगा।
- ठीक है तीन बजे आपके पास राजू अपनी टीम ले कर पहुँच जायेगा।
अपना पता और फोन नम्बर दे दीजिये। वैसे उसकी दुल्हन कहाँ है?
- क्यों, वहीं पर ही है।
- तो आप एक और काम कीजिये, अपनो किसी दोस्त की बीबी को भी
बुलवा लीजिये, पूरे परिवार से घर खाली कराने के मामले में जरा
संभल कर रहना पड़ता है। जस्ट फार सेफर साइड।
- हो जायेगा।
-पेमेंट अभी कर रहे हैं या राजू के हाथ भिजवा देंगे।
- पेमेंट की चिंता न करें। आप तक पहुँच जायेगी। तो मैं चलता
हूँ। ओके।
- ओके।
और हम बाहर आ गये हैं।
महेश पूछ रहा है मुझसे - क्या ख्याल है ये आदमी काम करवा देगा।
- यार लग तो मुझे भी रहा है कि इस आदमी की बात में दम है और ये
काम करवा भी देगा।
- चलो एक कोशिश और सही।
और हम लौट आये हैं महेश के मकान के नीचे। हमने पास ही रहने
वाले एक दोस्त और उसकी बीवी को भी बुलवा लिया है।
इस समय बिल्डिंग के नीचे महेश, दो-तीन लड़के, हमारे दो तीन
दोस्त, एक की बीवी वगैरह खड़े हैं। बिल्डिंग का बूढ़ा सा
सेक्रेटरी और कुछ तमाशबीन भी आ जुटे हैं।
महेश सेक्रेटरी से पूछ रहा है - अब क्या कहता है पुरी साहब वो
सेक्रेटरी - देखिये महेशजी, मैं अभी अभी उससे बात करके आया हूँ
और वह अब कल सुबह तक की मोहलत माँग रहा है। अभी भी दोस्त के
रिश्तेदार के मरने वाला किस्सा दोहरा रहा है कि इसीलिए चाबी
नहीं ला पाया।
बीच में किसी ने टाँग अड़ायी है - मतलब ही नहीं है जी मोहलत
देने की। साले ने बिल्डिंग में कब से गंद मचा रखा है।
अब दूसरे को भी हिम्मत आ गयी है। सबको लग रहा है आज जो ड्रामा
यहाँ होगा, उसे देखे बिना कैसे चलेगा।
अब दूसरा बोल रहा है - मैंने भी उसे एक मकान दिखाया था, सिर्फ
आठ हजार भाड़े पर और डिपाजिट भी सिर्फ बीस हजार। ये बंदा उसके
लिए भी राजी नहीं।
- अरे जब मुफ्त में हनीमून मनाने के लिए इतना बड़ा फ्लैट मिला
हुआ है तो वह क्यों जायेगा कहीं और।
- साले ने बिल्डिंग में रंडीखाना खोल रखा है। पता नहीं ये भी
बीवी है या नहीं, बेचने के लिए लाया होगा। देखा नहीं कितनी
छोटी है इससे और डरी हुई भी थी।
ये बातें हो ही रही हैं कि तभी मोटरसाइकिल पर एक हट्टा कट्टा
छ: फुट तीन इंच का जवान आया है। पूछ रहा है
- यहाँ आप में से महेशजी कौन हैं?
महेश आगे बढ़ कर बता रहा है
- मैं ही हूँ जी
वह गर्मजोशी से हाथ मिलाता है
- मेरा नाम राजू है। कहाँ है वो आपका किरायेदार महेश?
- लेकिन आपकी टीम राजू
- कौन सी टीम, अरे हम वन मैन आर्मी हैं। हमारे साथ सिर्फ माँ
भवानी चलती है। दिखाइये कहाँ है वो चूहा, बस मुझे सिर्फ दो-तीन
आदमी दे दीजिये सामान बाहर निकालने के लिए और मुझे बिलकुल भी
भीड़ नहीं चाहिये। ओके।
सब लोग हैरानी से इस देवदूत सरीखे आदमी को देख रहे हैं और उसे
लिए रास्ता छोड़ दिया है। हम भी हैरान है कि ये कैसा आदमी है
जो अकेले के बलबूते पर घर खाली कराने चला है। आज तो न देखा न
सुना। अगर घर खाली कराना इसके लिए इतना आसान है तो शहर में
इसकी कितनी माँग रहती होगी।
वह हमारे साथ सीधे ही ऊपर चला आया है और उसी ने फ्लैट की घंटी
बजायी है। दरवाजा गोपालन ने ही खोला है। इससे पहले कि वह कुछ
कह सके, राजू ने दरवाजा पूरा खोल दिया है और सोफा बाहर की तरफ
खिसकाना शुरू कर दिया है।
गोपालन को इसकी उम्मीद नहीं है कि ऐसा भी हो सकता है
- ये क्या करता है आप साब, आप कौन है, हम महेशजी से बात
करेंगे। महेशजी इसे रोको। मैं आपसे बोला ना हमको कल सुब्बू तक
का टाइम माँगता है। हम कल सुबे ही मकान खाली कर देंगी।
- वो तो आप पिछले चार महीने से बोल रहे हैं गोपालन जी, मैं थक
गया हूँ आपके वायदे सुनते सुनते।
गोपालन गुस्से में राजू को रोकने की कोशिश कर रहा है।
- आप इस तरह से मेरे घर में घुस के मेरे सामान को हाथ नहीं लगा
सकता। मैं तुमको बोला ना ये शरीफ आदमी का घर है। हमारा वाइफ
क्या सोचेंगा, उसको अभी यहाँ आया एक दिन भी नहीं हुआ है और आप
हम सब तमाशबीन बने देख रहे हैं।
राजू ने उसे परे हटा दिया है
- ओये हट पीछे बड़ा आया शरीफ का चाचा। क्या कर लेगा तू ओये
ओये। राजू एकदम गोपालन के सीने पर सवार होने लगा है और उसने
अपनी कमीज की बाहें ऊपर कर ली हैं
- बोल। तब तेरी शराफत कहाँ गयी थी जब मकान दबा कर बैठ गया है।
गोपालन अब वाकई घबरा गया है और महेश की तरफ मुड़ा है
- महेशजी महेशजी इस आदमी को हटाओ, ये मुझे मार डालेगा। ये
गुंडा मवाली
ये सुनते ही राजू ने उसका गला पकड़ लिया है
- ओये, मवाली किसे बोला ओये, किसे बोला तू मवाली, माँ भवानी की
कसम। मैं तेरा खून पी जाऊँगा।
अब गोपालन को भी गुस्सा आ रहा है
- तुम तुम मेरे घर में घुस कर मुझे नहीं मार सकता। मैं मर
जायेगा तो तुमको पुलिस पकड़ कर ले जाएँगी। मैं... मैं...
अब सेक्रेटरी वगैरह राजू को पकड़ कर पीछे कर रहे हैं कि कहीं
वाकई कुछ हो न जाये लेकिन राजू पर जैसे खून सवार है। वह बार
बार आगे आ रहा है।
दोनों में अभी भी गाली गलौज हो रहा है
- देख लूँगा। देख लूँगा कर रहे हैं दोनों।
गोपालन ने आखरी कोशिश की है
- महेशजी, यू गिव मी सम टाइम टू थिंक। जस्ट टेन मिनट्स। ऐ
जैंटलमन रिक्वेस्ट। प्लीज। रिक्वेस्ट।
महेश - ठीक है। आपको हम दस मिनट दे रहे हैं। उसके बाद आपको कोई
भी नहीं बचा पायेगा।
गोपालन मान गया है। शायद अपना आखरी दाँव चलना चाहता होगा। हम
सब वहीं ड्राइंगरूम में ही घेरा डाल कर बैठ गये हैं। पता नहीं
कौन सबके लिए कोल्ड ड्रिंक ले कर आ गया है। वैसे इसकी जरूरत भी
थी। सभी का तो खून खौल रहा है।
गोपालन कह रहा है - ओ के। प्लीज। प्लीज
तभी हमारी निगाह सामने बेडरूम के दरवाजे के पीछे से सहमी हुई
सी उसकी बीवी पर पड़ती है। उसके चेहरे पर भयातुर हिरणी जैसे
भाव हैं। उसने अपने सीने से एक छोटा सा कुत्ता दबा रखा है। औरत
बेहद डरी हुई है। वह जिस तरह से सारा नज़ारा देख रही है उससे
मैं अचानक सकपका गया हूँ। मैंने अपनी पूरी जिंदगी में किसी औरत
की आँखों में इतना डर नहीं देखा होगा। उफ् मैं उसकी तरफ देखने
की हिम्मत ही नहीं जुटा पाता।
मैं अपने हाथ की कोल्ड ड्रिंक की बोतल वहीं एक कोने में रख कर
बाहर आ गया हूँ। मैं कल्पना भी नहीं कर सकता था आँखों में इतने
डर की।
हमारे साथ आयी कपूर की बीवी ने भी शायद उसकी आँखों में तैर रहे
डर को पढ़ लिया है। उसने गोपालन की बीवी के पास जा कर उसके
कंधे पर हाथ रखा है
- डोंट वरी। घबराओ नहीं, कुछ नहीं होगा। वह उसका कंधा थपथपा
रही है। मुझे राहत मिली है कि मैं अकेला नहीं हूँ जिस तरह उन
डरी हुई आँखों का संदेश पहुँचा है।
इस बीच गोपालन ने तीन चार जगह फोन किये हैं। कहीं मलयालम में
तो कहीं टूटी फूटी हिन्दी अँग्रेजी और मलयालम मे बता रहा है कि
उसे अभी घर खाली करना है। वह सब जगह से आखरी मदद माँग रहा है
लेकिन उसके चेहरे से लगता नहीं कि कहीं से भी उसे सही जवाब
मिला होगा। उसने फोन रख दिया है और सिर झुकाकर बैठ गया है और
अपने बालों को पकड़ कर खींच रहा है। सब लोग इंतजार कर रहे हैं
कि अब क्या होगा।
महेश ने उसके पास जा कर बहुत ही ठंडे और ठहरे हुए लहजे में कहा
है
- अब आपके दस मिनट पूरे हो गये हैं मिस्टर गोपालन।
गोपालन कह रहा है
- प्लीज, ट्राइ टू अंडरस्टैंड।
- मिस्टर गोपालन आपके पास और कोई बात हो तो बताओ।
- आपका टाइम पूरा हो चुका है।
गोपालन - मुझे कल सुबह तक का टाइम चाहिये। मैं जिदर सामान...
- दैट इज नॉट माइ प्राब्लम। ओके
- आप सुनेगा नहीं तो हम बात कैसे करेंगे। जस्ट वन डे।
राजू बीच में टपक पड़ा है
- नहीं मिलेगा। और कुछ?
गोपालन - देखिये मिस्टर मैं महेशजी से बात कर रहा हूँ। मुझे
बात करने दें आप। महेशजी आप आप इसे बोलो, हम हार्ट पेशेंट हैं।
हमको कुछ हो गया तो हमारा...
राजू अब गुस्से में आ गया है
- मैं तेरे किसी नाटक में आने वाला नहीं। हटो जी, उतारो सामान।
बहुत हो गया साले का ड्रामा।
गोपालन अब रूआँसा हो गया है
- हम ड्रामा करता है? हैं हैं हम ड्रामा करता है। आप क्या बोल
रहा है कि हम ड्रामा करता है।
राजू ने उसकी नकल उतारी है
- हाँ ड्रामा करता है। और इतना कहते ही उसने सामान उठा कर
दरवाजे के बाहर ले जाना शुरू कर दिया है।
हम सब तमाशबीनों की तरह खड़े देख रहे हैं। अब कोई भी बीच में
नहीं आ रहा। सबको पता है, बीच बचाव कराने की घड़ी जा चुकी। इस
बीच काफी चीजें बाहर ले जायी जा चुकी हैं। अब सबने मिल कर
सामान निकालने में मदद करनी शुरू कर दी है। मैं अभी भी गोपालन
की बीवी की सहमी सहमी आँखों पर के बारे में सोच रहा हूँ। मुझे
लग रहा है उस बेचारी के साथ गलत हो रहा है। उसे तो बंबई आये
चौबीस घंटे भी नहीं हुए। शादी भी दो तीन दिन पहले ही हुई होगी।
पता नहीं क्या-क्या सपने ले कर आयी होगी और क्या-क्या सब्ज बाज
दिखाये गये होंगे उसे। लेकिन सच्चाई तो वही है जो वह अपनी डरी
डरी आँखों से देख रही है।
वह अब रसोई के दरवाजे पर आ गयी है। मैं कनखियों से देखता हूँ।
- उसकी आँखों से धारोधार आँसू बह रहे हैं
गोपालन कह रहा है
- वन मोर चांस प्लीज। जस्ट वन फोन प्लीज।
महेश ने इजाजत दे दी है
- ओके एक और फोन कर ले।
गोपालन एक और फोन कर रहा है। वह फोन पर गिड़गिड़ा रहा है। इस
बीच राजू ओर दूसरे लड़कों ने रसोई में जा कर सामान समेटना शुरू
कर दिया है।
गोपालन ने फोन नीचे रख दिया है और फिर सिर पकड़ कर बैठ गया है।
वह अब अपने आप से बोल रहा है। वह अपने आप से बातें कर रहा है
- माय बैड लक। क्या क्या ड्रीम्स ले कर आया था। वाइफ को बोला
तुम्हें अक्खा मुंबई घुमायेगा। एन्जाय करायेगा। अभी जर्नी का
थकान भी नहीं उतरा और ये लोक मेरा सारा सामान सड़क पर डाल दिया
है। इन्सानियत मर गया है। इन्सान का अब कोई भरोसा नहीं रहा।
मैं कितना रिक्वस्ट किया लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। ये शहर
डैड लोगों का शहर है। आदमी मर जाएँगा तो भी कोई पूछने के
वास्ते नहीं आयेगा। हम अपनी लाइफ का क्रीम इस शहर को दिया। आज
हमारा ये हालत है कि हमारा सारा सामान सड़क पर है। हमारा वाइफ
क्या सोचता होयेंगा कि उनका इस शहर में एक भी फ्रेंड नहीं है।
लोक हमारा कितना रिस्पेक्ट करता था। हम किस किस का मदत नहीं
किया। आज जब हमको मदत का जरूरत है वो कोई नहीं हैं। कोई नहीं,
ओह गॉड आइ एम अलोन। हेल्प मी गॉड। माइ लाइफ माई ड्रीम्स माई
कैरियर गॉन। माइ गॉड। उसने अचानक रोना शुरू कर दिया है। तय है
उसका कोई इंतजाम नहीं हो पाया है।
मैं एक किनारे खड़ा देख रहा हूँ कि इस बीच सारा सामान नीचे
उतार दिया गया है। गोपालन अपनी वाइफ का हाथ पकड़ कर नीचे आ रहा
है और धीरे धीरे चलते हुए सामान के ढेर पर बैठ गया है। उसकी
वाइफ अभी भी बहुत डरी हुई है और सहमी हुई निगाह से चारों तरफ
देख रही है।
मैं अपने आप से पूछता हूँ
- ये सब क्या हो रहा है। हम ने ये सब तो नहीं चाहा था। मैं सोच
भी नहीं पा रहा कि इस सब में मेरी क्या भूमिका है। मैं नीचे आ
गया हूँ और मुझे कुछ भी नहीं सूझ रहा। गोपालन की बीवी की आँखों
में पसरे डर ने पता नहीं मुझ पर क्या असर कर दिया है। बाकी सब
लोग अभी भी ऊपर ही हैं।
धीरे धीरे अँधेरा घिर रहा है। गोपालन सड़क पर रखे अपने सामान
पर बैठा हुआ है। अचानक उसने अपना सीना दबाना शुरू कर दिया है।
उसे शायद सीने में दर्द महसूस हो रहा है। उसने अपने ड्राइवर को
इशारा किया है। वह दौड़ कर पास की दुकान से उसके लिए सोडा ले
कर आया है। वह सीना दबाये सोडा पी रहा है। उसकी बीवी और ज्यादा
डर गयी है। उसने कुत्ते को नीचे उतार दिया है और पति के पास आ
कर उसके कंधे पर हाथ रख कर खड़ी हो गयी है।
मेरी निगाह ऊपर की तरफ जाती है। वहाँ बालकनी में खड़े राजू,
महेश और उनके दोस्त खुशियाँ मनाते हुए बीयर पी रहे हैं।
मैं समझ नहीं पा रहा कि मुझे महेश का मकान खाली होने के लिए
खुश होना चाहिये या गोपालन और उसकी नयी ब्याहता बीवी के इस तरह
सड़क पर आ जाने के कारण उसके कंधे पर हाथ रख कर उससे सहानुभूति
के दो बोल बोलने चाहिये।
उसकी बीवी अभी भी डरी सहमी खड़ी है। |