भारत के सर्वश्रेष्ठ गाँव
जो हम सबके लिये प्रेरणादायक हैं
४- धरनई-
भारत का पहला सौर-ऊर्जित गाँव
ऐसे समय में जब भारत के लगभग
३० करोड़ लोग बिजली का इंतजार कर रहे थे, बिहार के
जहानाबाद जिलें में स्थित धरनई गाँव ने २० जुलाई २०१४ को
अँधेरे से मुक्ति पाते हुए ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर
होने की घोषणा कर दी। एक समारोह में ग्रीनपीस द्वारा धरनई
में सौर ऊर्जा चालित माइक्रो ग्रिड की औपचारिक रूप से
शुरुआत हुई। इस विकेंद्रीकृत माइक्रो ग्रिड की उत्पादन
क्षमता लगभग १०० किलोवाट है और यह अनूठा मॉडल २,४०० की
आबादी वाले धरनई को गुणवत्तापूर्ण व किफायती बिजली उपलब्ध
करा रहा है।
राजधानी पटना से लगभग 8० किलोमीटर दूर पटना-गया हाइवे पर
स्थित धरनई में लगभग ३ करोड़ की लागत से यह माइक्रोग्रिड
अपनी तरह का इकलौता विकेंद्रीकृत अक्षय ऊर्जा का मॉडल हो
जिससे लगभग ४५० घर-परिवारों, ५० दुकानों व व्यावसायिक
प्रतिष्ठानों को चैबीसों घंटे व सातों दिन स्वच्छ व
किफायती बिजली उपलब्ध होती है। इसके अंतर्गत ७० किलोवाट
क्षमता से जहां दैनिक आवश्यकताओं के लिए बिजली पैदा की
जाती है। वहीं ३० किलोवाट में प्रत्येक ३ हॉर्सपावर
क्षमतावाले १० सोलर पंपों से खेतों की सिंचाई होती है। इस
प्रणाली से ६० स्ट्रीट लाइट, दो स्कूल, एक स्वास्थ्य
केंद्र और एक किसान प्रशिक्षण केंद्र भी बिजली से रोशन हो
रहे हैं। इसने ग्रामीणों को न सिर्फ एक बेहतर जीवन मुहैया
कराया है, बल्कि उनमें प्रगति की उम्मीद व महत्वाकांक्षा
भी जगा दी है।
पर्यावरण के लिये काम करने वाली संस्था ग्रीन पीस के
प्रयासों से स्थापित यह माइक्रो ग्रिड स्थानीय लोगों की
मंजूरी व सक्रिय भागीदारी से संभव हुआ है। अभी यह प्रणाली
भले १०० किलोवाट क्षमता की है, मगर इसकी विशेषता है कि
लोगों की आगे की जरूरतों के अनुसार इसकी क्षमता लगातार
बढ़ायी जा सकती है।
१५
फरवरी २०१७ |