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१. ३. २०२०

इस माह-

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अनुभूति में-

होली के रंगों से सराबोर विविध विधाओं में विभिन्न रचनाकारों की अनेक रचनाएँ।

-- घर परिवार में

रसोईघर में- होली के विशेष अवसर पर हमारी रसोई संपादक शुचि प्रस्तुत कर रही हैं- मिठाइयों और नमकीनों का एक अद्भुत संग्रह

दिल की आवाज सुनो- वे बारह उपाय जो सदा रखें आपके दिल की सेहत को दुरुस्त- ३. दिल की उम्र क्या है

बागबानी- आयुर्वेद की दृष्टि से उपयोगी बारह पौधे जो हर घर में उगाए जा सकते हैं। इस अंक में प्रस्तुत है- ३- ब्राह्मी का पौधा

बचपन की आहट- शिशु-विकास के अध्ययन में संलग्न इला गौतम की डायरी के पन्नों से- नवजात शिशु- नौ से बारह सप्ताह तक

- रचना व मनोरंजन में

क्या आप जानते हैं- इस माह (मार्च) की विभिन्न तिथियों में) कितने गौरवशाली भारतीय नागरिकों ने जन्म लिया? ...विस्तार से

संग्रह और संकलन- में प्रस्तुत है- आचार्य संजीव वर्मा सलिल की कलम से बसंत कुमार शर्मा के नवगीत संग्रह- बुधिया लेता टोह का परिचय। 

वर्ग पहेली- ३२३
गोपालकृष्ण-भट्ट-आकुल और
रश्मि-आशीष के सहयोग से


हास परिहास
में पाठकों द्वारा भेजे गए चुटकुले

साहित्य एवं संस्कृति के अंतर्गत- होली विशेषांक में

समकालीन कहानियों में भारत से राजीव तनेजा की हास्य-कथा छई छप्पा छई

“सुनो…
“हूँ... ऊँ…
“अरे! हूँ... के आगे भी तो कुछ बोलो ना।"
"सुनो…मैं कह रही थी कि इस बार वैलेंटाइन का तो रह गया। कम से कम अब ही ले चलो।"
"कहाँ?"
"गोवा?”
"होली पे भला गोवा कौन जाता है?” मेरे स्वर में असमंजस था।
"कौन जाता है से मतलब? सारी दुनिया जाती है।“
“गोवा?”
“हूँ......वहाँ समुद्र किनारे छपाक से छई..छप्पा..छई करने में बहुत मज़ा आएगा।“
“छोड़ो...हमें नहीं जाना गोवा...कहीं और चलेंगे।“
“क्यूँ?...गोवा क्यूँ नहीं?”
“बस...ऐसे ही।“
“कोई दिक्क़त?”
“दिक्क़त तो है? हर जगह कोरोना वायरस फैला हुआ है। नहीं फैला है क्या?“  आगे...
*

डॉ. हरिकृष्ण देवसरे का व्यंग्य
होली पर अमृत वर्षा
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दीपिका ध्यानी घिल्डियाल का
संस्मरण- पहाड़ पर वसंत
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रघुवीर सहाय का
 आलेख- होली का दिन

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शिल्प कोना में बच्चों के लिये
कागज से बनाएँ होलिका और प्रह्लाद

पुराने अंकों-से---

कहानियों में-

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अलग अलग तीलियाँ- प्रभु जोशी

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आसमान से गिरा- राजीव तनेजा

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एक दिन अचानक- ममता कालिया

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एक बार फिर होली- तेजेंद्र शर्मा

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ऐसी भी होली- सुधा ओम ढींगरा

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क्या लौटेगा वसंत- स्वाती भालोटिया

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मिठाई सिठाई- शीला इंद्र

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राजा हरदौल- प्रेमचंद

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विदूषक- रामदरश मिश्र

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वसंतोत्सव- राकेश कुमार सिंह

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हो ली- स्वदेश राणा

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होली का मज़ाक- यशपाल

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होली मंगलमय हो- ओमप्रकाश अवस्थी

ललित निबंध में-
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बौराया फागुन होली के रंग- कपिलमुनि पंकज

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माधव और माधव- नर्मदा प्रसाद उपाध्याय

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यह पगध्वनि- उमाकांत मालवीय

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रंग बोलते हैं- जयप्रकाश मानस

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लेकिन मुझको फागुन चाहिए दामोदर पांडेय

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वसंत कहाँ हो तुम- महेश परिमल

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वसंत मेरे द्वार- विद्यानिवास मिश्र

लेखों में-

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अल्पना क्या है- प्रभा पवार

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क्यों लगाते हैं गुलाल होली में- पवन चंदन

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देश विदेश की होली- मनोहर पुरी

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फ़िल्मी गानों में होली- यूनुस ख़ान

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मन बहलाव वसंत के– पूर्णिमा वर्मन

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मादक छंद वसंत के- श्यामनारायण वर्मा

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रंग गई पग पग धन्य धरा- ऋषभदेव शर्मा

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रंगों से बदलें दुनिया- दीपिका जोशी

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लोकगीतों में झाँकता वसंत- सुरेशचंद्र शर्मा

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वसंतोत्सव- लावण्या शाह

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सुनिए रंगों के संदेश महेश कटरपंच

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होली और गीत संगीत- आस्था

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होली खेलें रघुवीरा बृजेश कुमार शुक्ला
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"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है
यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित होती है।


प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन

 
सहयोग : कल्पना रामानी
 

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