मुखपृष्ठ

पुरालेख-तिथि-अनुसार -पुरालेख-विषयानुसार -हिंदी-लिंक -हमारे-लेखक -लेखकों से


लघुकथाएँ

लघुकथाओं के क्रम में इस बार प्रस्तुत है
राकेश कुमार सिंह द्वारा प्रस्तुत संथाली लोक कथा- वसंतोत्सव


धरती की एक ही सन्तान थी बेटी बिन्दी...!
एक दिन बिन्दी स्नान के लिये नदी की ओर निकली तो वापस घर नहीं लौटी। नदी की राह से ही लापता हो गई बिन्दी...!

धरती की इकलौती बेटी गुम...! बिन्दी की खोज की जाने लगी। दसों दिशाओं में दौड़ाए गए दूत। धरती के गुप्तचर ब्रह्माण्ड के कोने कोने में बिन्दी को ढूँढने लगे।
अंततः बिन्दी की पता लगा लिया गया। धरती के दूतों ने आकर बताया कि बिन्दी को मृत्यु के देवता उठा
ले गए थे। इस लोक में बिन्दी के रहने की अवधि समाप्त हो चुकी थी।
 
यह सुनते ही धरती छाती पीटकर रोने लगी। बिलखती धरती के साथ क्रंदन करने लगा पवन। विलाप करने लगी धूप। हाहाकार करने लगी बदरी। विषण्ण धरती के शोक के कारण पृथ्वी पर पतझड़ छा गया।

धरती के दूतों ने यमराज समझाया कि शोकमग्न धरती रोती कलपती रहेगी। दुःख से मर भी सकती है। धरती के मरते ही मर जाएगी ईश्वर की सृष्टि अतः बिन्दी को वापस लौटा दिया जाए, परन्तु यमराज नहीं माने।

यमराज जीवन-मरण के नियमों में तनिक भी ढील देने पर सहमत नहीं हुए। धरती पर पतझड़ छाया रहा... छाया ही रहा।

पृथ्वी पर तप्त पवन बहने लगा। जल शेष हो गया। मिट्टी में दरारें पड़ गईं। प्यास से मरने लगे पंछी-पखेरू। छटपटाने लगे पशु, मनुष्य। भस्म होने लगीं वनस्पतियाँ। यमराज का सिंहासन डोल उठा। ईश्वरीय सृष्टि की रक्षा के निमित्त यमराज पुनर्विचार कर जन्म मरण के नियमों में थोड़ी ढील देने पर विवश हुए।

यमराज ने बिन्दी को अपनी माँ के पास लौटने की आज्ञा तो दी परन्तु इस शर्त के साथ कि बिन्दी को अपना आधा समय माँ के साथ बिताना होगा और शेष आधा समय उसे पाताल नगरी में रहना होगा। सम्पूर्ण खोने से अच्छा था आधे पर संतुष्ट होना। धरती भी इस शर्त तो माने पर विवश थी। बिन्दी की वापसी हूई तो धरती ने हर्षित होकर साज सिंगार किया। पवन सुहाना हो उठा। मिलन के अश्रु बहे नम हो उठी हवा। आर्द्र हो उठी भूमि नई घास उग आई। धरती की हँसी के साथ सृष्टि में मानो जीवन लौट आया। बिन्दी की वापसी को त्यौहार की भाँति मनाया गया। आज भी मनाया जाता है... वसंतोत्सव। बिन्दी की वापसी की महापर्व सरहुल...!

२५ मार्च २०१३

1

1
मुखपृष्ठ पुरालेख तिथि अनुसार । पुरालेख विषयानुसार । अपनी प्रतिक्रिया  लिखें / पढ़े
1
1

© सर्वाधिका सुरक्षित
"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक
सोमवार को परिवर्धित होती है।