अभिव्यक्ति-चिट्ठा
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१९. . २०११

इस सप्ताह-

अनुभूति में-
डॉ. विद्यानंदन राजीव, नीरज गोस्वामी, विमलेश त्रिपाठी, ममता किरन और विश्वमोहन तिवारी की रचनाएँ।

- घर परिवार में

रसोईघर में- उत्सव का मौसम आ गया है। इसे स्वाद और सुगंध से भरने के लिये पकवानों की शृंखला में इस सप्ताह प्रस्तुत है-- गुझिया

बचपन की आहट- संयुक्त अरब इमारात में शिशु-विकास के अध्ययन में संलग्न इला गौतम की डायरी के पन्नों से- शिशु का ३८वाँ सप्ताह।

स्वास्थ्य सुझाव- आयुर्वेदिक औषधियों के प्रयोग में शोधरत अलका मिश्रा के औषधालय से- काले धब्बों के लिये नीबू और नारियल का तेल

वेब की सबसे लोकप्रिय भारत की जानीमानी ज्योतिषाचार्य संगीता पुरी के संगणक से- १६ सितंबर से ३० सितंबर २०११ तक का भविष्यफल।

- रचना और मनोरंजन में

कंप्यूटर की कक्षा में- जालस्थल पर मानचित्र सेवा के लिये- Maps.google.com पर किसी जगह का नाम देकर, वहाँ का मानचित्र पाया जा सकता है। ...

नवगीत की पाठशाला में- कार्यशाला-१८ के लिये नए विषय की घोषणा हो गई है। इस बार का विषय है उत्सव का मौसम, अंतिम तिथि है- १ अक्तूबर  

लोकप्रिय कहानियों के अंतर्गत- अभिव्यक्ति के पुराने अंकों में से प्रस्तुत है- २४ जनवरी २००३ को प्रकाशित कृष्ण बिहारी की कहानी— दुश्मन से दोस्ती

वर्ग पहेली-०४७
गोपालकृष्ण-भट्ट
-आकुल और रश्मि आशीष के सहयोग से

सप्ताह का कार्टून-             
कीर्तीश की कूची से

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साहित्य व संस्कृति में- हिंदी दिवस के अवसर पर

1
समकालीन कहानियों में यू.के. से
उषा राजे सक्सेना की कहानी- इंटरनेट डेटिंग

उस दिन स्काइप पर सौम्या, ममी-पापा से उनके विवाह की पचीसवी वर्षगाँठ लंदन में मनाने की योजना पर बातचीत कर रही थी कि ममी ने बात को बीच में ही काटते हुए कहा, ‘सौम्या, अब तू प्रोफेशनल हो गई है साथ ही रीयल स्टेट रैशब्रुक ऐंड सन्स में फिफ्टी परसेन्ट की पार्टनर है। मकान, कार, भारी बैंक-बैलेन्स सबकुछ है तेरे पास। अब अपनी शादी की सीरियसली सोच! तू इतने लोगो से मिलती-जुलती है। कोई तो तुझे पसंद होगा ही!’
‘हाँ बेटा बता, हमारी तरफ से तुझे पूरी छूट है। लड़का तेरे जोड़ का हो और तेरी पसंद का हो, तुझे वह खुश रखे बस्स। जात-बिरादरी, रंग-नस्ल वगैरह की हमें कोई चिंता नहीं है। तुझे पढ़ाते-लिखाते, तेरा कैरियर बनाते-बनाते, हम लोग जात-बिरादरी और देश-काल की संकीर्णताओं से मुक्त हो चुके हैं। और फिर एक ही तो बेटी है मेरी। तेरी खुशी में हमारी खुशी है।’ डैडी ने भी ममी के स्वर में स्वर मिलाया। ‘हाँ, डैडी अभी तक तो मैंने शादी-वादी के बारे में सोचा ही नहीं। बस पढ़ाई-लिखाई, कैरियर वगैरह बनाने में...
विस्तार से पढ़ें...

दीपक दुबे का व्यंग्य
फाइलों में अटका भोलाराम का जीव
*

महेश परिमल का ललित निबंध-
रिश्ते कभी बोझ नहीं होते

*

जयप्रकाश मानस के कविता संग्रह
'अबोले के विरुद्ध' से परिचय
*

पुनर्पाठ में- प्रमिला कटरपंच
से जानें लोकपर्व साँझी का विषय में

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पिछले सप्ताह-

1
मधु संधु की लघुकथा
साक्षात्कार
*

विजय कुमार का दृष्टिकोण
विश्व बाजार और हिंदी

*

डॉ. राकेश शर्मा के शब्दों में
विश्व हिंदी सचिवालय का सफरनामा
*

डॉ. करुणाशंकर उपाध्याय से जानें
हिंदी का वैश्विक परिदृष्य

*

हास्य-व्यंग्य में भारत से
रवीन्द्र कुमार की रचना - दाखिला अँग्रेजी स्कूल में

(हिंदुस्तान में अंग्रेजी पब्लिक स्कूलों में दाखिले के लिए मची मार-काट से मैकाले की आत्मा को कितनी शांति मिलती होगी)। अगर घर की बड़ी-बूढ़ियों को को बच्चों का दाखिला कराने की कवायद सौंप दी जाए तो बच्चू सबकी सिट्टी-पिटटी गुम हो जाएगी और सारी चौकड़ी भूल जाएँगी। ये जो दूधों नहाओ पूतो फलो का आशीर्वाद बाँटती फिरती हैं। मेरे यहाँ भी जब ये आशीर्वाद फला तो चिंता होना स्वाभाविक थी, मैंने सोचा अब इस बच्चे के लिए एक अदद मोबाइल फोन, मारुति का अगला मॉडल, व डिस्को की मैम्बरशिप चाहिये। लेकिन सबसे प्रथम आवश्यकता नर्सरी में दाखिला कराने की थी। मूलतः भेड़ होने के कारण मैं भी अन्य के साथ भेड़ चाल में शामिल हो गया। एक दिन शाम से ही डिनर टिफन में बाँध कर स्कूल के अहाते में जा पहुँचा। वहाँ कारें खड़ी करने की जगह नहीं थी। विस्तार से पढ़ें..

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यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित होती है।

प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन
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सहयोग : दीपिका जोशी

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