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खबरी नारद की गप्पी गारद | |
विश्व
हिंदी सम्मेलन की चाय गरम हो चुकी है यानी देश विदेश के मेहमान आ चुके हैं और
सब तैयारियाँ पूरी हो गई हैं। हर तरफ़ व्यस्तता और रौनक का नज़ारा है।
सम्मेलन शुरू होने में बस कुछ ही घंटों की देर है। सो भई हम भी यहाँ वहाँ
दौड़ भाग करते हुए अंदर की एक बात खोज लाए हैं।
सम्मेलन में एक ओर जहाँ खुशी और उत्साह फूटा पड़ रहा है वहीं दूसरी ओर सम्मेलन के बाहर विवाद और आलोचना की भी कमी नहीं है। सुनते है कि भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से ऐसे कोई प्रयास नहीं किए गये जिससे पंजीकृत प्रतिभागियों को वांछित वीजा बनाने में सरलता और सुविधा होती। इसके चलते विश्व प्रसिद्ध टेक्नोक्रेट और युवा वैज्ञानिक जगदीप डांगी को अमेरिकी वीजा से वंचित कर दिया गया है जिसके द्वारा विकसित सॉफ्टवेयर खरीदने कभी अमेरिकी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट भी स्वयं उनके दरवाजे तक जा पहुँची थी। सम्मेलन का विरोध करने वालों में नामवर सिंह, अशोक वाजपेयी , केदारनाथ सिंह और मंगलेश डबराल जैसे दिग्गज लेखक हैं। हरीश नवल, प्रेम जनमेजय, कमल कुमार जैसे रचनाकारों ने भी हिंदी विश्व सम्मेलन से स्वयं को अलग कर लिया हैं, जो लगातार कई सम्मेलनों में शरीक होते रहे हैं और जिन्होंने विदेशों में हिंदी का परचम फहराया है। इनमें हिन्दी के प्रख्यात कवि केदारनाथ सिंह का नाम भी है, जिन्होंने सम्मेलन को व्यर्थ बताते हुए इसमें भाग लेने से मना कर दिया। 1 |
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सुन रहे हैं
कि सम्मेलन के पहले दिन सभी प्रतिभागियों को एक-एक सी डी मिल रही है। एक सी
डी मार लाए हैं हम भी। जी हाँ वही जिसका चित्र है दाहिनी ओर। सी डी का
नाम है हिंदी के स्वर कंप्यूटर पर। अरे अरे इसमें तो अभिव्यक्ति के बौड़म जी दिखाई दे रहे है। लेकिन भई, ये यहाँ क्या कर रहे हैं? इस सी डी में है क्या? ज़रा ठहरें, सी डी को देख लें फिर बताते हैं। ------------------- लो भई, हम सी डी देखते ही रहे और यहाँ परिचय भी छप गया। |
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