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"बैठ जा अबे हब्शी"... एक दुबले पतले शख्स ने काले आदमी की बाँह थामते हुए कहा, "अबे क्या बँदरिया तलाश कर रहा है?"
काले शख्स ने एक झटके से अपनी बाँह छुड़ा ली।
वह पिछली लाइन से निकलकर अगली लाइन में खड़ा हो गया।
"दूर हट यार...", बटेर जैसे एक व्यक्ति ने उसको धकेलते हुए कहा, "आदमी है या तारकोल का ड्रम।"
काला शख्स खामोश रहा। वह अपनी लाइन से निकलकर अगली लाइन में खड़ा हो गया।
"ओहो, बड़े अहमक हो अमाँ हब्शी..." एक वृद्ध व्यक्ति ने बड़े गुस्से से कहा, "शर्म नहीं आती तुम्हें? अपने गंदे पाँव तुमने मेरे उजले पाजामे पर रख दिये हैं।"
काले शख्स ने वृद्ध व्यक्ति के गुस्से को नज़रंदाज कर दिया। वह उस लाइन से निकलकर अगली लाइन में पहुँच गया। उन्होंने उचककर अपने अपने जूते उठाए।
"अबे बेवकूफ बंदगी में रोड़े अटकाता है?" कुछेक नौजवान बेहद बहादुर दिलेर और जाँबाज़ थे। वे ईद की नमाज़ पाबंदी से पढ़ते थे। वे जोश में आकर काले शख्स की ओर लपके। उन्होंने काले शख्स को काबू में कर लिया। मौलवी साहब तकरीर को अधूरा छोड़कर, मेंबरी की आखिरी सीढ़ी पर जाकर खड़े हो गए और तमाशा देखने लगे। ईदगाह में मौजूद सारे लोगों का ध्यान काले शख्स की तरफ चला गया। सारे लोग गौर से उसकी तरफ देखने लगे और उसको कोसने लगे।

भाँति भाँति के लोग, भाँति भाँति की भाषाएँ लेकिन सारांश एक।

एक नौजवान जो हीरो की बजाय हीरोइन नज़र आ रहा था, उसने हँसते हुए कहा, "लगता है जल्दी ही अफ्रीका से हिजरत कर के आया है।"
पास बैठे एक बुजुर्ग ऊँघ रहे थे हँसी की आवाज पर उन्होंने चौंककर अदाकार नुमा नौजवान की तरफ देखा और स्नेह से कहा, “मौलवी साहब की बातें गौर से सुनो।"
एक नौजवान ने कहा, "बहुत देर बाद जागे हैं आप।" और फिर वे दोनो नौजवान बुजुर्ग की तरफ देखकर हँसने लगे। इसी बीच काला शख्स उस लाइन से निकलकर अगली लाइन में जाकर खड़ा हो गया।
"अबे मुँह उठाए ऊँट की तरह कहाँ चला आ रहा है?" दो चारो लोगों ने उसके फटे पुराने और पैबंद लगे कपड़ों और काले रंग की तरफ़ नफ़रत से देखते हुए कहा, "यहाँ क्या मिठाई बाँटी जा रही है कि बंदरों की तरह उछलता हुआ चला आ रहा है?" और फिर आवाजों की बौछार शुरू हो गई,
"अबे दूर हट।"
"वापस जा।"
"आगे मत आ।"
"पागल है।"
"बावला है।"
"शक्ल से गोरिल्ला लगता है।"
"शक्ल से वनमानुष लगता है।"
"वनमानुष और गोरिल्ला एक ही बात है।"
काला शख्स उचका और फिर उछलता कूदता छलाँगें लगाता कई लाइनें फलाँग गया। लोगों में खलबली मच गई। जो लोग ऊँघ रहे थो चौकन्ने होकर बैठ गए। जो लोग मौलवी साहब की तकरीर सुन रहे थे और निगाहें अपने जूतों की तरफ केंद्रित किये हुए थे, वे बैचैनी से काले शख्स की तरफ देखने लगे और जब कशीदगी बढ़ने लगी तो खबरदार एक शख्स जो फरिश्तों की शक्ल सा था उसने काले शख्स की तरफ चुटकी भरते हुए कहा, “लाहौल विला सारा मुसल्ला खराब कर दिया तुमने। आदमी हो या इबलीस के बच्चे।"
 
उस काले शख्स ने चुटकी का असर न लिया। वह आगे देख रहा था बहुत आगे यों महसूस हो रहा था जैसे वह किसी का पीछा कर रहा हो, वह उस लाइन से निकलकर अगली लाइन में जाकर खड़ा हो गया।

"अबे ओ वनमानुष..." एक नौजवान ने जो बड़ी मेहनत से माथे पर बाल सजाए थे वह किसी फिल्म स्टार की तरह नज़र आने की भरपूर कोशिश कर रहे थे, उसने हिकारत भरे लहजे में कहा, अबे क्या किसी चिड़ियाघर के पिंजरे से आ रहा है।"

फिल्म स्टार नुमा नौजवान के साथ एक और नौजवान बैठा हुआ था। जिसने अच्छा खासा मेकअप कर रखा था। वह बोला, "चोर है साला। बगल में जूती दबाकर भागा जा रहा है।"
"चोर नहीं जेबकतरा है।"
"जाने न पाए।"
"पकड़ो हराम जादे को
"सुअर का बच्चा।"
"खुदा के घर से चोरी करता है।"
"मुद्दार शक्ल ही से चोर लगता है।"
"साले को मजबूती से थाम के रखना।"
काले शख्स का कपड़ा खस्ताहाल था। लोगों ने उसके कपड़े फाड़ दिये। वह हाँफ रहा था। वह भीड़ के बीच था लेकिन भीड़ से बेखबर था। उसकी निगाहें दूर किसी उद्देश्य पर टिकी थीं। एक ठिगने से शख्स ने उसके घुँघराले बालों में हाथ डालकर उसे झिंझोड़ डाला।

"अबे मारना त साले को..." एक तहरदार शख्स ने कहा, "नमाज़ के बाद मरम्मत करना साले की।" पिस्ताकद शख्स ने अपनी अँगुलियाँ उसके घनेरे बालों से छुड़ा लीं और एक चपत उसके सर पर रसीद किया।

एक शख्स भीड़ को चीरता हुआ सामने आया। वह काला तो न था लेकिन उस काले व्यक्ति जैसा निरीह था। उसने ऊँची आवाज से कहा, "मैं इस शख्स को जानता हूँ।"
"तू इस शख्स को जानता है?" लोगों ने ताज्जुब से पूछा।
"हाँ मैं इस शख्स को जानता हूँ।" अजनबी ने कहा, "यह काला आदमी चोर नहीं है, यह जेबकतरा भी नहीं है।"
"लगता है तू इसका साथी है..., किसी ने कहा, "पकड़ लो इस बदमाश को।"
"ठहरो..." अजनबी ने कहा, "मैं इसका साथी नहीं हूँ।"
किसी ने पूछा, "फिर तुम कौन हो और इस काले हब्शी को किस तरह जानते हो?"
"मैं पोर्ट पर चाय बेचता हूँ।" अजनबी ने कहा, "यह काला आदमी वहाँ पर जहाजों से गेहूँ की बोरियाँ उतार कर रेलवे वैगनों में लादता है।"
"तो जाकर पोर्ट पर चाय बेच..." लोगों ने उससे कहा, "हम खुद ही इसको ठीक कर लेंगे।"
अजनबी ने फिर कुछ कहने की कोशिश की लेकिन लोगों ने चिल्लाकर कहा, "अबे जाता है या इसके साथ ही तेरी भी खबर लें।"
अजनबी गर्दन खुजलाता हुआ भीड़ से बाहर निकल गया।

एक बार फिर शब्दों का ज्वालामुखी उबल पड़ा, "मारो साले को।"
"संगसार (पत्थर से मारो) करो सुअर के बच्चे को।"
"अभी नहीं नमाज़ के बाद।"
"नमाज़ के बीच गड़बड़ न होने पाए।"
"नमाज़ के बाद मरदूद का मुँह काला कर के गधे पर बैठाकर जलूस निकाला जाएगा।"
"यह तो खुद ही काला है। इसका मुँह किस चीज़ से काला करोगे?"
"हम नई परंपरा को जन्म देंगे। हम इस काले का मुँह चूने से सफेद कर देंगे।"
"चोर का मुँह सिर्फ काला किया जाता है सफेद नहीं।"
"तुम ठीक कहते हो।"
"फिर क्यों न हम लोगों से इस मसले पर वोट लें?"
"लेकिन समीक्षा होने से पहले आप वोट की बात नहीं कर सकते।"
"फिर इस शख्स का क्या किया जाए?"
काले शख्स का क्या किया जाए इस बात पर लोगों में बहस व तकरार होने लगी। शोरगुल बढ़ गया।

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