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कांजी वडा
बनाने की विधि:
- मूँग दाल को बीनकर,
धोएँ और ३ प्याला पानी में ४-५ घंटे के लिए भिगो दें।
- जब दाल पूरी तरह भीग
जाए तो इसको ग्राइंडर में पीस लें और किसी बड़े प्याले
या परात में रखकर अच्छी तरह फेंटे। पिसी हुई दाल को
पिट्ठी कहते हैं।
- पिट्ठी की एक छोटी
सी गोली पानी में डालकर देखें कि तैर रही है या नहीं।
अगर यह नीचे बैठ जाती है तो पिट्ठी को और फेंटने की
आवश्यकता है।
- कड़ाही में तेल गरम
करें, जब तेल गरम हो जाए तो लगभग १ बड़ा चम्मच दाल
पिट्ठी के गोल या गोल और थोड़े चपटे आकार के बड़े
सुनहरे होने तक तलें।
- बड़ों को किचन
पेपर पर तेल निकालने के लिए रखें।
- सारे बड़े बन जाने
के बाद एक बर्तन में गरम पानी लें। इसमें १ छोटा चम्मच
नमक डालकर मिला दें और इसमें तले हुए बड़े डाल दें। जब
बड़े पानी में अच्छे से भीग जाएँ तो हल्के हाथ से दबा
कर पानी निकल दें। ध्यान रखें कि अधिक दबाने से बड़े
फूट सकते हैं|
- पानी में भिगोने से
बड़ों का सारा तेल पानी में चला जाता है और वे चिकनाई
रहित हो जाते हैं।
कांजी
बनाने की विधि
- एक कटोरे में हल्दी,
लाल मिर्च, पीसी राई, हींग, और नमक लें। इसमें लगभग
१/२ प्याला पानी डालें और मसालों को अच्छी तरह मिलाएँ।
- मसालों के इस मिश्रण
को बचे हुए साढ़े सात प्याला पानी में डालें और अच्छी
तरह मिला दें।
- पहले से पानी में
भिगो कर निकाले वड़ों को इस मसालेदार राई के पानी में
डालें, ध्यान रहे कि बड़े टूटे नहीं। इसको ढककर गरम
स्थान पर रखें। अच्छे और नर्म बड़े पानी में तैरते हैं
और मसाला नीचे बैठ जाता है इसके लिये आवश्यक है कि
पानी को मथानी की डंडी या लकड़ी के किसी चमचे से दिन
में दो बार चला दिया जाय।
- राई का पानी चढ़ने
में (खट्टा होने में) २ दिन लगते हैं। यह मौसम पर
निर्भर करता है कि कांजी कितना समय लेगी खट्टा होने
में।
- कांजी के वड़ों को
होली के में बनाने का चलन है, पर इन्हें किसी भी मौसम
में बनाएँ यह हमेशा ही बहुत स्वादिष्ट लगते हैं।
टिप्पणी-
९ जुलाई २०१२ |