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फुलवारी

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बर्फ का पुतला

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सर्दी का मौसम है। कल रात बर्फबारी हुई। देर रात तक बर्फ गिरती रही।
सुबह जब बर्फ गिरना बंद हुई तब तक बगीचे में काफी बर्फ जमा हो गई थी। मीतू और गीतू सुबह सोकर उठीं तो इतनी सारी बर्फ देखकर खुश हो गईं।

बर्फ जमाकर के उन्होंने एक बड़ा सा धड़ बनाया। फिर कुछ और बर्फ जमा कर एक सिर बनाया और उसे धड़ के ऊपर चिपका दिया। फिर आँखों की जगह पर काले रंग की दो छोटी गेंदें लगा दीं। नाक की जगह पर एक थोड़ी बड़ी लाल गेंद चिपका दी। पुतला तैयार हो गया।

मीतू भागकर अंदर गई और अपनी टोपी उसने बर्फ के पुतले को पहना दी।
वाह! वाह! बर्फ का पुतला मजेदार लगने लगा। अब सिर्फ एक मफलर की कमी है। गीतू ने कहा। फिर वह भागकर अंदर गई और अपना एक मफलर लाकर उसने बर्फ के पुतले को पहना दिया। लो भई, पुतला तो सज गया! दोनो ने ताली बजाकर खुशी मनाई।

फिर गीतू और मीतू एक दूसरे पर बर्फ के गोले फेंकर खेलती रहीं। बर्फ का पुतला उन्हें खेलते हुए देखता रहा।

- पूर्णिमा वर्मन

१४ जनवरी २०१३  

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