रात को मीतू जब सोने गई तब
बहुत थक गई थी।
थकी क्यों ?
सुबह मछलीघर देखने गई थी न इसीलिये।
मछलीघर बहुत बड़ा था उसको देखने के लिये पैदल चलना पड़ता
है। चलते चलते मीतू थक गई। थककर कर नींद अच्छी आई।
मीतू ने अचानक देखा। ढेर सी मछलियाँ और मछलियों के बीच
मीतू। तैरती हुई। नीला सागर, पानी के बुलबुले और नीली
चट्टाने। मछलियाँ भी कई आकार की छोटी, बड़ी।
अरे मैं तो मछली हो गई, मीतू चौंकी और उसकी आँख खुल गई।
यह तो एक सपना था।
- पूर्णिमा वर्मन |