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पर्यटन

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बूंदों में खिलता बूंदी का रूप(2)

—चंदन सेन
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बाएं चित्र में : चौरासी खंभों की छतरी बूंदी एक महत्वपूर्ण स्मारक है। इसको राव राजा अनिरूद्ध सिंह के बेटे की धाय देवा की याद में बनवाया गया था। एक ऊंचे चबूतरे पर बनी इस अदभुत दोमंज़िली छतरी के बीचो बीच एक बड़ा सा शिवलिंग है। 
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वर्षा के दिनों में आयोजित पर्व बूंदी की तीज दूर दूर तक प्रसिद्ध है। भारतीय त्योहारों की परंपरा में राजस्थान की स्त्रियां श्रावणी तीज व भादों की तीज को सुहाग की मांगलिक कामना से प्रेरित होकर पूजती आई हैं। प्रकृति के इस सुरम्य माहौल में आती है बूंदी की "कजली–तीज"।

तीज का पर्व बूंदी में भाद्र पद (भादों) की तृतीया पर महिलाओं द्वारा मां पार्वती (गौरी) की पूजा अर्चना कर मनाया जाता है। बूंदी का यह तीज का पर्व जिले भर के लोगों को उत्साहित करता है। ग्रामीण अपनी पारंपरिक वेशभूषा में उत्साहित होकर ढोलक मंजीरो व अलगोजों से प्रकृति का स्वागत करते हैं। मेलों का आयोजन होता है और इस प्रकार जन एवं ऋतु रूपी देव आपस में मिलते हैं। बाहर से आए पर्यटक को इस बहाने यहां की लोक संस्कृति व कला की झलक मिलती हैं और साथ ही वर्षा ऋतु में सुंदर सजी हरी–भरी बूंदी उसके मन में बस जाती है। सैर सपाटे की दृष्टि से भी बूंदी एक शांत‚ सौम्य पर्यटन स्थल है। 

बूंदी शहर के आस–पास पैदल या साईकिल से यात्रा का रोमांच अलग ही अनुभूति प्रदान करता है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता को देखने के लिए छोटी पहाड़ियों पर चढ़ना, सुरम्य वातावरण से आत्मसात होना और छोटी–छोटी पगडंडियां से गुज़रना सैर–सपाटै का अविस्मरणीय पल बन सकता है। हरियाली से भरपूर मौसम में ग्रामीण अंचल में जीप की लंबी सैर भी कम मनमोहक नहीं। सुंदर शांत वातावरण में प्रकृति की मधुरिमा से रूबरू होकर सैर–सपाटे के साथ–साथ शारीरिक एवं मानसिक स्फूर्ति से तरंगित होते हुए दौडती–भागती व्यस्त जिंदगी से दूर सुख–शांति  के सागर में डूबा जा सकता है। सैर सपाटे को अधिक रूचिकर बनाने के लिए यहां पर बग्घियों‚ बैलगाडियों‚ ऊंटों आदि की सवारी भी की जाती हैं। विशिष्ट स्थानों से सूर्यास्त एवं सूर्योदय देखने की व्यवस्था भी है। आस–पास के दर्शनीय स्थलों में मैनाल का कलात्मक मंदिर एवं झरना‚ कमलेश्वर का काम शिल्प‚ तलवास एवं धूंधला महादेव‚ भडक्या माताजी का झरना एवं बिजोलिया के ऐतिहासिक मंदिर अत्यंत मनोहारी हैं।

बूंदी से लगभग 30 किमी दूर बिजोलिया मार्ग पर स्थित भीमलाट झरना सृष्टि की सुंदरतम कृतियों में से एक है। करीब 60 मीटर ऊंचाई से गिरता जल प्रपात तो दर्शनीय है ही जल का उतुंग शब्द भी कम श्रवणीय नहीं। स्थल की ओर से प्रवेश करने के रास्ते पर दूर से ही इसके कर्ण प्रिय कलरव पर्यटक को अपनी ओर खींच लेते हैं। छोटी–छोटी सीढ़ियो से होते हुए हम जा पहुंचते हैं झरने के ठीक हृदय स्थल पर जहां झरने का जल एकत्रित होकर एक छोटे से तालाब का रूप ले लेता है। 

यह सब देख कर लगता है कि प्रकृति ने मुक्त हस्त से बूंदी को सौंदर्य का वरदान दिया है। ऐसा सौंदर्य जो वर्षा की बूंदों में और भी आकर्षक हो उठता है। कला प्रेमियों और पर्यटकों के लिए यह रमणीय व प्यारी बूंदी पलकें बिछाए यह कहती प्रतीत होती है— 'थांको म्हाकी बूंदी मे स्वागत छः' यानि हमारी बूंदी नगरी में आपका स्वागत है।

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1 जून 2006

 ऊपर चित्र :बूंदी महल दरवाज़ा

 
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