सिंगापुर,
बैंकाक और पटाया का त्रिकोण
(३)
--दीपिका
जोशी
कैथे
पॅसेफिक एयर का मज़ा लेते सिंगापुर उतरे। चँगी एयरपोर्ट
को पिछले दस सालों से सबसे अच्छे एयरपोर्ट का खिताब
मिलता आया है। बैंकाक जैसी ही हरियाली, सभी उड्डयनपूल
सुंदर फूलों से सजे हुए, इन नज़ारों से सिंगापुर में
हमारा आगमन खुशनुमा रहा। सिंगापुर में पब्लिक
ट्रांसपोर्ट याने मेट्रो रेल्वे और बस की सुविधा बहुत ही
अच्छी है, हमारी यह जानकारी पहले ही दिन ठीक साबित हुई।
मुंबई जैसा ही एकदम गतिशील जीवन हैं यहाँ का। वैसा ही
मौसम भी उमस भरा लेकिन सुविधाजनक बस ट्रेन में सफ़र करके
थकावट आती ही नहीं। सुबह सात बजे का निकला हुआ आदमी कठिन
परिश्रम के बाद शाम को थका-हारा नहीं लगता। हमने भी सारा
सिंगापुर इन्ही बसों और ट्रेनों में छान मारा।
जुरांग
बर्ड पार्क एशिया पॅसेफिक का सबसे बड़ा और सुहावने
दृष्यों से भरा है। ६०० किस्म के ८००० से ज़्यादा
पक्षियों की चहचहाट यहाँ गूँजती है। क्या गाने गा कर
दिखाए हैं यहाँ के तोते ने!
यहाँ
पक्षियों को रखने की ख़ासियत यह है कि इतने ऊँचे जाले
लगाए गए हैं कि इन पक्षियों को कैद होने का अहसास तक
नहीं होता। जो पक्षी रोज़ की बारिश के आदी हैं उनके लिए
नकली बादल और बिजली की गड़गड़ाहट के साथ पानी बरसा कर
उन्हें खुश रखा जाता है। जंगल के पेड़ों पर घोंसला बनाकर
सुख से जीने का मज़ा भी वो उठाते ही हैं।
पाँच
जातियों के २०० से अधिक पेंग्विन यहाँ उसी तरह बर्फ़ में
रहते हैं जैसे कि अंटार्टिका में। उनकी लुभावनी चाल
देखते ही रहे जाएँ आप, कैसे दिल भरे! सील भी अपने करतब
दिखाने में नहीं चूकता। बाय-बाय करते हुए बीच में ताली
भी बजाता है।
इस
प्रकार के पशु-पक्षी विहारों में सभी प्राणियों को खुले
रखने का दृष्टिकोण सराहनीय है। २८ हेक्टेयर में फैले इस
विहार में ३,००० तरह तरह के पशु-पक्षी हैं। यहाँ का
सफ़ेद पोलर बियर ज़रा हट कर है। यहीं पर नाईट सफ़ारी में
हम इन्हीं सब पशु-पक्षियों को रात में देख सकते हैं यह
अपने आप में एक अनोखा अनुभव है जिसका आनंद लाजवाब है।
रात को घने जंगल में घूमना बड़ा ही रोमांचकारी अनुभव रहा
हमारा। इन प्राणियों को किसी तरह की तकलीफ़ न हो इसलिए
शांति रखी जाती है। दिन में और रात में ऐसे पशु-पक्षियों
को देखने में ज़मीन आसमान का फरक है।
कुछ
मंदिर, कहीं चायना टाऊन का सफर, सिंगापुर भारत का ही एक
हिस्सा लगने लगता है, वही भारतीय माहौल, वहीं भारतीय
आत्मीयता सिंगापुर में बसे भारतीयों में। पूरे सिंगापुर
में हरियाली और फूलों का राज है लेकिन वहाँ के वनस्पति
उद्यान का दृष्य कुछ और ही था। कहते हैं, यहाँ एशिया का
पहला रबर का पौधा लगाया गया था। यहाँ के वन में कुछ पौधे
लगाए गएँ हैं, कुछ अपनेआप उग कर आए हैं। जो भी हैं,
कितनी तरह के फूल पौधे हैं इसकी कोई गिनती नहीं। हर फूल
अपने आप में सुंदरता का एक प्रमाण है।
सफर का
आख़री पड़ाव था सिंगापुर का संतोसा द्वीप। सिंगापुर के
पास ही थोड़ी दूरी पर स्थित इस जगह ने कितनी ख़ासियतों
को अपने में समेटा है यह शब्दों में वर्णन करना बड़ा ही
कठिन है। सिंगापुर से काफी उँचाई से जाने वाली केबल कार
में सवार हो कर यहाँ के सबसे व्यस्त बंदरगाह, बड़े लम्बे
सफ़र के लिए तैयार बोट (क्रुस) और बाकी सौन्दर्य को आँखो
में सजोते हम १० मिनट में संतोसा पहुँचे। सारे अजूबे ही
अजूबे ही सामने आते गए।
यहाँ
सबसे पहले मरलायन स्वागत करता है। १२० फुट यानि करीब
११-१२ मंजिल ऊँचे इस मरलायन का मुँह शेर का और बाकी शरीर
मछली का है। नवीं मंज़िल उसके मुँह से और बारहवी मंज़िल
उसके सर पर से आजू-बाजू का नज़ारा देखने का मजा लूट सकते
हैं।
सिनेमेनिया में सफर कीजिए लेकिन दिल थामे। ३ - डी के साथ
साथ आजकल का साऊंड इफेक्ट और कुर्सियों में बैठे-बैठे ही
रोलरकोस्टर का मज़ा ले सकते हैं, समंदर के अन्दर खुद को
पा सकते हैं, बर्फ़ में स्केटिंग का मजा ले सकते हैं।
क्या खूब बनाया है। मरलायन पर और बाहर के वातावरण में
रात को रोशनी का प्रभाव बड़ा ही आकर्षक है। यहाँ के
रंगीन लाइट से सजे फव्वारे और उनपर लेसर से किए जानेवाले
करतब! फव्वारे से पानी का एक परदा-सा बनाकर उसपर कोई
कहानी लेसर से चित्रित कर के अपने विज्ञान की करामत
देखिए, एक जगह नज़र टिकाना मुश्किल है। दुनिया का सबसे
बड़ा माना जाना वाला शो जितनी बार भी देखें, दिल नहीं
भरता। मरलायन के आँखों से निकलती लेसर किरणों और करीब
१६,००० फायबर लाइट्स की मदद से सजा और बनाया यह शो अपने
आप में एक अजूबा हैं।
इसके
बाद आप प्रवेश कर सकते हैं ८० मीटर लम्बे काँच का बोगदे
(टनल) में, उसमें आप पधारें तो पता चलता है कि तरह-तरह
की मछलियाँ और शार्क आप के कितने करीब हैं। उन्हें अपने
इतने करीब पाना, उनके साथ ही साथ आगे बढ़ना, यहाँ कुछ भी
असंभव नहीं। यहीं पर एशिया के दक्षिणी भाग का आखिरी
बिन्दु हैं। वहाँ जा कर ऐसे लगा कि कुछ अलग, कुछ हटकर
ऐसी जगह हम खड़े हैं, जो और कहीं नहीं हो सकती।
सारा
संतोसा आयलँड रोशनी से भरा देखा तो अलग दुनिया में खुद
को पाया। काफी बड़े फैले हुए संतोसा पर छोटी रेल और बस
की सुविधाएँ मौजूद हैं। सिंगापुर में नैसर्गिक सौदर्य के
साथ साथ विज्ञान की बाकी प्रगति डिसकवरी सेंटर और सायन्स
सेंटर में देखी जा सकती है। नैसर्गिक नज़ारे का मज़ा
लेकर आए हम यहाँ सायन्स की करामातों में खो गए।
सिंगापुर में कई बातें हैरान करने वाली हैं। यहाँ सड़क
पर वाहनों की भीड़ कम करने के लिए कारों की कीमतें आसमान
छूती रखी जाती है। सुविधाजनक रेलसेवा और बस सेवा मौजूद
है। आम आदमी इन सेवाओं का लाभ उठाने के लिए मजबूर तो है,
लेकिन इससे व्यक्तिगत वाहनों की कोई कमी नहीं।
दस दिन
के हमारे सफ़र का अन्त आ चला था। बैंकाक सिंगापुर में जो
कुछ भी ख़रीदारी हमने की वह केवल यात्रा की निशानी के
लिये। साथ आयीं थी तो यादें जो अपने बड़ी ही दिलकश थीं।
और ये हमेशा हमारे साथ रहेंगी। |