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यशपाल
 

जन्म : ३ दिसंबर, १९०३ - फिरोज़पुर छावनी (पंजाब)।

प्रेमचन्द्र के बाद हिंदी के सुप्रसिद्ध प्रगतिशील कथाकारों में अग्रगण्य। विद्यार्थी जीवन में ही भारतीय क्रांतिकारी दल से जुड़े और वर्षों तक सक्रिय रहे। इसी के परिणामस्वरूप एक लंबा समय फ़रारी में बिताया। बाद में पूरी तरह साहित्य के लिए समर्पित।

वर्षों 'विप्लव' पत्र का संपादन-संचालन। समाज के शोषित, उत्पीड़ित तथा सामाजिक बदलाव के लिए संघर्षरत व्यक्तियों के प्रति रचनाओं में गहरी आत्मीयता। धार्मिक ढोंग और समाज की झूठी नैतिकताओं पर करारी चोट। अनेक रचनाओं के देशी-विदेशी भाषाओं में अनुवाद। 'मेरी तेरी उसकी बात' नामक उपन्यास पर साहित्य अकादमी पुरस्कार।
२५ दिसंबर '७६ को निधन।

प्रमुख प्रकाशित कृतियाँ :
दिव्या, देशद्रोही, झूठा सच, दादा कामरेड, अनिता, मनुष्य के रूप, मेरी तेरी उसकी बात (उपन्यास), पिंजड़े की उड़ाना, फूलों का कुर्ता, भस्मावृत चिंगारी, धर्मयुद्ध, सच बोलने की भूल (कहानी-संग्रह) तथा चक्कर क्लब (व्यंग्य-संग्रह)।
 

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