अभिव्यक्ति में विद्याभूषण
धर की रचनाएँ।
कहानियों में
लावारिस
अनोखी रात
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विद्याभूषण
धर
हिन्दुस्तान का
स्वर्ग कहलाने वाले कश्मीर में
जन्म वहीं जीवन के प्रथम १७ वर्ष व्यतीत किए उसी दौरान
विद्या अध्यन के साथ रंगमंच, दूरदर्शन एवमं रेडियो पर होने
वाले विभिन्न कार्यक्रमो में भागीदारी। उसी दौरान कई नाटक
लिखे जो विद्यालय. दूरर्दशन तथा अन्य कई स्थानों पर
प्रस्तुत किये गऐ। इनमें से कुछ के विषय वनसरंक्षण एंव
छुआछूत जैसे भी थे।
तदोपरान्त... अभियन्त्रण शिक्षा हेतु पंजाब स्थानांतरित हो
गया जहाँ पंजाब की संस्कृति. संगीत तथा नृत्य की जानकारी
प्राप्त की एवं भाषा में निपुणता प्राप्त कर सांस्कृतिक
कायक्रमों में सम्मलित हुआ।
अभियन्त्रण शिक्षा प्राप्त कर १९८९ में। जन्म स्थल कश्मीर
लौटा... जहाँ कुछ महीने काम किया और फिर आतंकवाद के काले
विषैले बादलों ने एक अनजान स्थान तक मेरा और मेरे परिवार
का पीछा किया। “विस्थापन” की त्रासदी... आज १४ वर्षों के
बाद भी सीने में एक हूक सी उठती है कि अपने ही देश में हम
परदेशी हो गए।
पिछले १०-११ वर्षों से सऊदी अरब मैं रह रहा हूँ। भगवान
की असीम कृपा है। फिर भी मेरा मन उन लाखों भाई बहनों के
लिए हमेशा रोता है, जो विस्थापन की त्रासदी आज भी झेल रहे
हैं तथा फटे हुए शामियानों में, अपनी बहू बेटियों की आबरू
छिपाने के प्रयत्नों में जुटे हैं।
मैं अपनी यह भावना. दुख. यह सच्चाई. अपनी कहानियों के
द्वारा.. उन करोड़ों हिन्दुस्तानी साथियों तक पहुचाना चाहता
हूँ, जो देश या विदेश में कहीं भी रह रहे हैं, कि आतंकवाद
के कारण मनुष्य को क्या–क्या सहन करना पडता है।
ई मेलः
vidyab_dhar@hotmail.com
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