अभिव्यक्ति में डॉ. महेश परिमल
की रचनाएँ
ललित निबंध में
कागा रे मोरे बाबुल से कहियो
जन्मभूमि से कर्मभूमि की ओर
तृप्ति वो ही प्याऊ वाली
पतंग का अनुशासन
पहली बारिश
रिश्ते बोझ नहीं होते
प्रकृति और
पर्यावरण में
पानी रे पानी
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डॉ. महेश परिमल
जीवन यात्रा जून १९५७ से.
भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती। हिन्दी में एम.ए और
भाषा विज्ञान में पीएच.डी. 28 वर्षों से पत्रकारिता और साहित्य से जुड़ाव. अब तक
देश भर के समाचार पत्रों में करीब 700 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों का प्रकाशन।
आकाशवाणी से 50 फ़ीचर का प्रसारण जिसमें कुछ पुरस्कृत भी। शालेय और विश्वविद्यालय
स्तर पर लेखन और अध्यापन, धारावाहिक ‘चाचा चौधरी’ के लिए अंशकालीन पटकथा लेखन,
हिन्दी गुजराती के अलावा छत्तीसगढ़ी, उड़िया, बँगला और पंजाबी भाषा का ज्ञान।
संप्रति भास्कर ग्रुप में अंशकालीन समीक्षक के रूप में कार्यरत।
ईमेल -
drmaheshparimal@India.com
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