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अभिव्यक्ति
में दीपक राज कुकरेजा "भारतदीप" की
रचनाएँ
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हास्य व्यंग्य में
पेन मांगने में
शर्म नहीं आती!
विरह में व्यंग्य
दृष्टिकोण में
मुद्दे उछलते
क्यों हैं
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दीपक राज
कुकरेजा "भारतदीप"
जन्मः 10 मार्च 1960
रचनाएँ- देश की विभिन्न
पत्र-पत्रिकाओं में सामयिक लेख, व्यंग्य, कहानी तथा कविताएँ
प्रकाशित। विभिन्न समाचारपत्रों के संपादकीय कार्य का भी
अनुभव। अब स्वतंत्र लेखन में रुचि।
आत्म कथ्य- मित्र ढूँढने पड़ते है सहयोगी की प्रतीक्षा होती
है। यदि साहित्य की पुस्तक हो तो मित्र की क्या आवश्यकता? और
अगर कलम ने साथ दिया तो फिर किसके सहयोग की आवश्यकता? वह
भाग्यशाली होते है जिनकी रुचि साहित्य में होती है और वह
परमभाग्यशाली होते है जिन्हें साहित्यिक मित्र मिल जाते है।
ऐसे ही मित्रों को मेरी रचनाएँ समर्पित हैं।
ई मेल
deepbharat@gmail.com
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