क्लब
के निकट जाते ही वातावरण में शराब और धुएँ का भभका उठता महसूस
हुआ। कई तरह के तेज़ परफ्यूम, क्लोन की सुगंध और तरह -तरह की
शराब -सिगरेट के धुएँ की दुर्गन्ध मिश्रित रूप से एक घुटी
-घुटी सी गंध को चारों तरफ फैलाए है। दोनों को यह गंध बहुत
अच्छी लगी। लम्बी -लम्बी साँसें ले कर, उन्होंने अपने नथुनों
से फेफड़ों में उसे भरा और ख़ुश हो कर चिल्लाए--''आज हमारी रात
है। आज हम जी भर कर मज़े लूटेंगे..।'' और क्लब की ओर बढ़ गए।
बिना पिए ही वे झूमते हुए ''पैराडाईज़'' क्लब के दरवाज़े के
पास चले गए, सिक्योर्टी वाले ने दरवाज़ा खोला और उन्हें अन्दर
जाने दिया। क्लबों में यह सबसे सस्ती और घटिया क्लब है और बार,
रेस्तरां और क्लब तीनों का काम करती है। कम आमदनी वाले लोग ही
यहाँ आते हैं। अच्छी क्लबों में तो प्रवेश शुल्क होता है।
दरवाज़ा खोलते ही मद्धम रौशनी और डी. जे के संगीत की ऊँची
आवाज़ में, दुर्गन्ध, सुगंध की मिश्रित गंध बड़ी तेज़ी से उनके
फेफड़ों में घुसी। वे सम्मोहित से हुए बार की ओर चल
पड़े।सिगरेट के धुएँ, स्मोक मशीन के बादलों और लेसर लाइट को
पार करते हुए, वे बीयर का जग ले कर क्लब में एक कोना ढूँढने
लगे। कोने में बैठते ही उन्होंने चारों ओर देखा --क्लब के
बीचों -बीच कई जोड़े, कुछ साथ -साथ सटे, कुछ दूर -दूर , कुछ एक
दूसरे को चिपटे और कुछ लिपटे नाच रहे हैं। उनको देखते हुए वे
जल्दी -जल्दी में बीयर के दो ग्लास गटक गए।
शरीर में गर्मी आनी शुरू हो गई। उन्होंने देखा थोड़ी दूरी पर
ही दो लड़कियाँ वाईन के ग्लास पकड़े इधर- उधर देख रही हैं।
उनकी नज़रें हरेक के चेहरे पर घूम रही हैं। पीटर और जेम्ज़ ने
उन नज़रों को पहचान लिया। बैरे को बुला कर पैसे देकर उनके खाली
हो रहे ग्लासों को भरने को कहा, इससे उन्हें पता चल जाएगा कि
उन लड़कियों की मंशा क्या है और अपने लिए भी बीयर का एक और जग
मंगवाया। वातावरण कान फोड़ू संगीत, ऊँची आवाज़ों, थिरकते
कदमों, लड़खड़ाती ज़ुबानों से गूँज रहा है--किसी को किसी की
बात सुनाई नहीं दे रही। सब ज़ोर -ज़ोर से बोल रहे हैं। एक तरह
से चिल्ला रहे हैं। एक कोने में एक महिला -पुरुष बेतहाशा हँस
रहे हैं और बार -बार एक दूसरे से लिपट रहे हैं, चुम्बन ले रहे
हैं। डांस फ्लोर पर कुछ जोड़े एक दूसरे से इतने सटे हुए हैं
जैसे वे एक दूसरे में खो जाना चाहते हैं। सोका म्यूजिक समाप्त
हुआ, और अब हिप -होप शुरू हो गया, कुछ जोड़े बैठ गए, कई नए आए।
क़दमों , कूल्हों और कमर का रिदम शुरू हुआ।
रात घिरने लगी और भीड़ बढ़ने लगी है। लेसर लाईट्स के बदलते
रंगों में डांस फ्लोर भर गया। लड़कियों ने बैरे से पूछा कि
उनके ग्लास किस ने भरवाए हैं..बैरे ने उन दोनों की ओर इशारा कर
दिया। लड़कियों ने ग्लास ऊँचे करके धन्यवाद किया। ज़ेम्स और
पीटर की बांछें खिल गईं।
गीत बदला, संगीत बदला, सालसा डांस शुरू हो गया। लड़कियाँ उठ कर
जेम्ज़ और पीटर की तरफ आ गईं और अपना परिचय दिया --लौरा और
सहरा, जेम्ज़ और पीटर ने अपना नाम बता कर हाथ बढ़ा दिए।
उन्होंने डांस फ्लोर की ओर इशारा किया। चारों के पैर उस पर
थिरकने लगे। जेम्ज़ और पीटर ने अब गौर से उन दोनों को देखा। वे
सुगठित बदन वालीं, बहुत चुस्त-दरुस्त, जीवन से भरपूर लगीं
उन्हें। ऐसी लड़कियाँ उनके समुदाय में बहुत सुन्दर मानी जाती
हैं। आज की रात इतनी सुन्दर लड़कियों का सान्निध्य प्राप्त
होगा उन्हें, अपने भाग्य पर इठलाने लगे वे।
वातावरण में फैली मादकता, दो जग बीयर के बाद, विस्की पीने से
दोनों पर नशा हावी हो गया। नसें कसने लगीं। स्नायुओं में तनाव
बढ़ गया। शराब देख कर इनसे रहा नहीं जाता और हमेशा की तरह अधिक
ही पी लेते हैं। पीटर लौरा पर थोड़ा झुक गया, लौरा ने भी झुकने
दिया और उसने अपना एक बाज़ू पीटर की बगल में डाल दिया, पीटर
उसके और क़रीब हो गया। सहरा ने ख़ुद ही जेम्ज़ के गले में अपनी
बाँहें डाल दीं। जेम्स ने भी उसकी कमर को हाथों से कस लिया।
कुछ देर वे इसी तरह नाचते रहे। एक दूसरे के साथ और फिर कभी एक
दूसरे से परे हो कर। पीटर से अब इंतज़ार नहीं हो रहा था।
उसने लौरा से पूछ ही लिया --'' यहाँ से जाने के बाद क्या
करेंगी आप ?.''
''कुछ नहीं, आप भी चल सकते हैं हमारे साथ, हल्का -फुल्का कुछ
खाएँगे और फिर जो आप चाहते हैं, हम वह कर सकते हैं। सहरा मेरी
रूम मेट है। ''
पीटर ख़ुश हो कर उससे और भी ज़्यादा लिपट गया, सहरा ज़ेम्स के
साथ लिपट -लिपट कर नाचने लगी। पीटर ने झूमते हुए कहा-- ''चलो
अब चलते हैं?''
''हमें ज़रा वाशरूम जाना होगा। आप इंतज़ार करें हम अभी आती
हैं। '' कह कर वे चली गईं..।
दोनों इंतज़ार करने लगे और उन्होंने एक -एक ग्लास वाईन का और
मंगवा लिया। बैरा उनसे इस बार ऑडर से पहले पैसे लेना भूल गया।
दूसरे जोड़ों को मदमस्ती में देख कर उन दोनों को कुछ होने लगा।
एक ही घूँट में ग्लास खाली कर दिए उन्होंने। लौरा, सहरा अभी
वाशरूम से लौटी नहीं। थोड़ा सा पीने के बाद पीटर का अपने पर
काबू नहीं रहता और आज तो उसने बहुत पी ली है।उसने अपनी कमीज़
उतारी और मेज़ पर चढ़ कर स्ट्रिपर डांस करने लगा, संगीत की धुन
पर, बेहूदा हरकतें शुरू हो गईं, जांघों पर हाथ फेरने लगा और
गुप्तांगों पर हाथ रख कर, कमर मटका -मटका कर नाचने लगा। फिर
कभी अपनी छातियों को छूने लगा, ज़ेम्स ने भी उसी का अनुसरण
किया और उनके आस -पास के लोग तालियाँ बजा- बजा कर उन दोनों का
मज़ा लेने लगे।
उन पर नशा इतना हावी हो गया था कि, वे गिरने लगे और लौरा, सहरा
को आवाज़ें देने लगे-- वाश रूम की ओर देखने लगे--वाश रूम मुख्य
दरवाज़े के पास है। उनकी आवाज़ें तेज़, लाउड संगीत और लोगों के
शोर गुल में खो गईं। मुख्य दरवाज़े से दो लड़कियाँ भीतर आईं,
उन्हें वे दोनों लौरा और सहरा लगीं। वे उन्हें लिपटने को उनकी
ओर बढ़े। वे चीख पड़ीं। उन लड़कियों के पुरुष मित्र आगे आए,
उन्होंने पीटर और जेम्ज़ को एक -एक घूँसा ही लगाया था कि वे
चित्त हो कर फर्श पर लुड़क गए। बैरे ने आकर उनकी जेबें देखीं ,
वह अपनी पेमेंट लेना चाहता है, जो वह पहले लेना भूल गया था।
जेबें ख़ाली हैं। लौरा और सहरा नाचते -नाचते उनकी जेबें ख़ाली
कर गईं और वाशरूम के बहाने वहाँ से निकल गईं। सिक्योर्टी
गार्ड्स को बुलाया गया।
सिक्योर्टी गार्ड्स लुड़के हुए पीटर और जेम्ज़ को घसीटते-
घसीटते क्लब से बाहर ले आए और एक कोने में उन्हें ला कर लिटा
गए। थोड़ी देर बाद आकर उनकी शर्टें उन पर फैंक गए। वहाँ और भी
कई पियक्कड़ गिरे पड़े थे। अच्छी कल्बों के बाहर तो पुलिस होती
है और ऐसे लोगों को उठा कर ले जाती है, पर इस क्लब के तो आस-
पास भी पुलिस नहीं होती, वह जानती है कि इन लोगों का रोज़ का
काम है, हत्या या बलात्कार के समय ही पुलिस वाले पहुँचते हैं।
रात के तीन बजे सिक्योर्टी गार्ड कई और टुन, टल्ली हुए
पियक्कड़ों को उन्हीं के साथ सटा कर लिटा गए.. सारी रात वे
दोनों क्लब के बाहर कोने में सोए रहे..
सुबह सूरज पूरे जोश के साथ धरा पर अपनी रौशनी ले कर आया। पीटर
की आँखों पर सूर्य चमका। उसने आँखों पर हाथ रख लिया और जब
जेम्ज़ की आँखों पर उसने अपनी किरणें फैंकी तो वह
कुलबुलाया---साला यह सूरज क्यों निकलता है। इसको और कोई काम
नहीं बास्टर्ड। तंग करने चला आता है। कच्ची नींद से उठा दिया।
इतनी प्यारी नींद आ रही थी । ''
'' अबे उठ माँ के.... नींद के प्रेमी.. गद्दों पर पड़े हैं ना,
जो नींद टूट गई...चलो उठो..।'' सिक्योर्टी गार्ड ने ठोकर से
उठाया। '' सफाई वाले आ रहे हैं, यहाँ की सफाई करनी है। चलो उठो
अपने- अपने घरों को जाओ।'' वह रूखा सा बोला। उसे रोज़ ऐसे
लोगों को सँभालना पड़ता है।
घर के नाम पर वे दोनों बौखला कर उठ बैठे --वे कहाँ हैं ? चारों
ओर वे देखने लगे। अरे क्लब के बाहर , कमीज़ें पास पड़ी हुई
हैं। उन्होंने सिर पकड़ लिया। सिर में दर्द की तीखी लहर दौड़
गई..।
सफ़ाई वाले आ गए, वे ख़ाली बोतलें, बीयर के कैन और सिगरटों के
टुकड़े उठाने लगे। उन दोनों ने भी कमीज़ें पहनीं और ज्यों ही
उठने लगे तो उन्होंने महसूस किया कि उनके अधोवस्त्र चिपचिपे और
गीले हैं। वे धीरे -धीरे उठे, खड़े होना मुश्किल हो रहा था।
बड़ी कठिनाई से खड़े हो कर उन्होंने अपनी जेब में हाथ डाला तो
जेबें ख़ाली मिली..।
वे चिल्ला पड़े- '' इन को नरक में मार पड़े, कुतियाँ पैसे ले
गईं और हमें ख़ुद के लिए छोड़ गईं। कल कितनी चाह थी। मेहनत की
कमाई भी गई और सुख भी नहीं मिला। अरे लूट लिया गरीबों
को..थू... कुतियाँ..।''
सफाई मज़दूर इनकी ओर देखने लगे, जेम्ज़ उनको मुख़ातिब हो बोला
---'' भाई, अमरीका के लोगों को मंदी ने निचोड़ दिया है, जो
बेघर लोगों को भी लूटने लगे हैं, सरकार को कुछ करना चाहिए। ''
उनके पास एक डालर भी नहीं बचा। जेबें खालीं हैं। फ़ूड
स्टैम्प्स पहले ही बेच चुके हैं। कल का नशा आज भी उन पर हावी
है, वे लड़खड़ाते क़दमों से घर की ओर चल पड़े गत्ते का टुकड़ा
उठाने, धंधे पर जो जुटना है...। |