वह हमेशा ही किसी न किसी बात
को लेकर मज़ाक बना दिया करती है और पूरी महफ़िल में किसी को भी
हँसी रोकना या उसके मज़ाक से बचना कठिन हो जाता है। आए दिन किसी
न किसी बहाने से पार्टी कर देना जैसे इसकी आदत है। और सच बताऊँ
तो हमें भी इसके बनाए खाने का जैसे चस्का लग गया है।
इधर कई दिन हो गए । उसका न
कोई फ़ोन आया न निमंत्रण। जीभ ने सताया तो मैंने एक दूसरी
सहेली को फ़ोन मिलाया कि पूछूँ तो सही उसको कोई ख़बर हो तो। इस
सहेली का नाम जैसिका है। यह किसी दूसरे देश की है पर उसमें और
लीना में खूब पटती है। दोनों की कहानी एक जैसी है।
लीना! सात भाइयों की इकलौती
बहिन। नाज़ों से पली, माँ बाप की दुलारी।
इकलौती लड़की होना अच्छा तो होता है पर बहुत भारी भी। माँ बाप
की सारी इच्छाओं ख़्वाहिशों का सारा दारोमदार इकलौती बेटी पर
रहता है। अपनी इच्छाओं का गला घोट कर भी इनकी इच्छाओं को पूरा
करना पड़ता है। तो लीना भी माँ बाप की इच्छा के सामने चुप रह
गई। अपनी पसंद का गला घोंट कर उनके द्वारा चुने बेमेल धनवान वर
के साथ जन्म-जन्म तक साथ निभाते रहने का वादा करके पीछे-पीछे
चली आई।
लेकिन सच कुछ और था।
माँ-बाप को चिंता न हो इसलिए
उनको नहीं बताया। कोई शिकायत भी न की। यह भी न बताया कि शराब
पीकर वह भला दिखने वाला आदमी कितना दरिंदा हो जाता है? नाज़ों
से पले उस नाज़ुक बदन को कितना नोचा जाता है? बाहर से भरा-भरा
दिखने वाला उसका पति का घर कितना खाली हो चुका है। यह सब कुछ
नहीं बताया। सात भाई थे तो क्या? सबके अपने परिवार थे। इतना तो
लीना समझ ही चुकी थी कि अपना क्रॉस सबको स्वयं ही ढोना पड़ता
है। सो ढोती जा रही थी।
किस्मत भी क्या-क्या रंग
दिखाती है? कैसे पाँसे पलटते हैं। जीवन कैसे मोड़ बदलता है। यह
सब लीना से अधिक कौन जानता होगा?
उस दिन वह मछली लेने गई थी समुद्र किनारे। वहाँ अमेरिकी
सैलानियों के परिवार को रेत पर खेलते-हँसते देखा तो बस निहारती
ही रह गई थी। चलो! ऊपर वाले ने किसी को तो हँसी का वरदान दे कर
भेजा है। अपना-अपना नसीब है और क्या?
दोनों जन आदमी-औरत धूप में
लेटे बंद आँखे किए पड़े थे। उनसे नज़र हटी तो अचानक लीना ने
देखा कि उनका एक बच्चा उधर किनारे-किनारे चलते पानी की तरफ़
बढ़ा जा रहा है। अचानक ही बच्चे ने दौड़ लगाई और पानी में गहरे
की तरफ़ बढ़ने लगा। लीना ने ख़तरे को भाँप लिया कि जब तक माँ
बाप जागेंगे तब तक तो बच्चा जाने कहाँ पहुँच जाएगा। बचे कि न
बचे। लीना ने पूरी ताक़त लगाई और पानी में कूद गई। मुश्किल से
बच्चे तक पहुँची पर बचा लाई।
बच्चे की बड़ी बहिन ने जा कर
माँ बाप को सारा किस्सा सुना दिया। वो लोग तो जैसे लीना पर
सारी दुनिया लुटा देने को तैयार हो गए। पर लीना को क्या चाहिए
था? मन तो कब का मर चुका था। यही तसल्ली हो गई कि कुछ भला काम
हो गया।
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