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मेरे गर्भवती होने के उपरांत भी उसके इंग्लैंड जाने के विचार में कोई परिवर्तन नहीं हुआ। उसके लिए इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए एक ही रास्ता था गर्भपात। मेरे लिए गर्भपात समाधान नही था। मैंने उससे कह दिया था कि मैं बच्चे को जन्म दूँगी। हमारे और कार्ल के मध्य एक द्वंद्व आरंभ हो गया था। कार्ल की आँखों में अक्सर आँसू छलक जाते। वह इंग्लैंड चला गया।"

"तुम्हारी दास्तान बहुत दर्दभरी है टीना।" कहकर मैं उसके समीप बैठकर सुनने लगा था।
वह अपने बालों को सँवारते हुए कहने लगी, "मैं असमंजस में पड़ गई थीं। समय के साथ परेशानियाँ बढ़ने लगी थीं। मैं दुविधा में थी। अंतत: मैंने गर्भपात करा लिया। कार्ल के अतिरिक्त किसी को भी ज्ञात न था कि मैं गर्भवती थी।

शायद मैं अपने आपको दंड देना चाहती थी। मैं अकेलापन महसूस करने लगी। मैंने कार्ल से भी गर्भपात का जिक्र नहीं किया। एक दिन मेरी सहेली का फोन आया। उसने कहा, "हाइ टीना, मेरे घर पर पार्टी है। तुम्हें अवश्य आना है। नहीं की कतई गुंजाइश नहीं है। मैं अपनी सहेली के आमंत्रण को नहीं ठुकरा सकी। पार्टी में मेरी मुलाक़ात एक अफरीकी युवक से हुई।

वह मेरे वाइन के गिलास को खाली न रहने देता था। जैसे ही गिलास खाली होता वह उसे वाइन से भर देता। काफी दिनों से मदिरा सेवन नहीं किया था मैंने। मैं उसके इस व्यवहार को ठुकरा न सकी थी। मैंने इतनी वाइन पी थी कि चलते समय लड़खड़ाने लगी। मेरी सहेली ने मुझे ऊपरवाले कमरे में विश्राम करने और रात वहीं ठहरने के लिए कहा। उस युवक ने मेरी बाहों को कंधे पर रखकर मुझे सहारा दिया और मुझे ऊपर कमरे में ले गया। ऊपर कमरे में पड़े बिस्तर पर गिरते ही मैं अचेत अवस्था में सोने-सी लगी थी कि वह युवक भी मेरे बिस्तर में मेरे ऊपर गिर पड़ा। मैंने उसे मना किया, परंतु वह नहीं माना। मैंने विरोध किया परंतु मानो मेरे शरीर में जान नहीं थी। मैंने चिल्लाने का प्रयास किया, "नहीं, नहीं," परंतु मेरे मुख से बोल नहीं फूट सके थे। मुझे पता ही नहीं चला कि कब मैं सोयी और कब वह युवक चला गया। जब दूसरे दिन सोकर उठी तब बहुत रोई। मैंने यह घटना किसी को न बताई। मैं अपने दर्द अपने अंतस्थल में छिपाने की आदी हो गई थी। कुछ दिनों बाद मुझे पेट में अजीब-सा महसूस हुआ। जाँच करायी तब पता चला कि मैं पुन: गर्भवती हो गई हूँ। मानो मेरे ऊपर पहाड़ टूट पड़ा हो। मैंने निर्णय लिया कि अब गर्भपात नहीं कराऊँगी।

"मैं कैसे कहूँ कि जो बच्चा मेरे पेट में पल रहा है, वह मेरे पति का नहीं हैं।'' कड़वा सच कितना कष्टदायी होता है, मैं जान चुकी थी।

कुछ दिनों बाद अचानक कार्ल इंग्लैंड से वापस आ गया। उसने मुझे गले लगाया और अपनी बाहों में भरते हुए कहा, "मुझे माफ‍ कर दो। मुझे अब ज्ञात हो गया है कि मेरे लिए क्या आवश्यक है। टीना, मेरे लिए तुम और मेरा यह बच्चा आवश्यक है।

"मैंने उसे माफ़ कर दिया। पर स्वयं अब दूसरी बार गर्भवती थी। यह विचार कर मैं सहम जाती। कार्ल ने बच्चे के जन्म के कुछ दिन पूर्व मुझसे कोर्ट मैरिज कर ली। मैं निश्चिंत हो गई।
"अस्पताल में जब दाई ने मेरे बच्चे को मेरे हाथों में दिया, तब मैं देखकर हैरान हुई। बच्चे के काले बाल थे और गोरा रंग। मेरे परिवार में किसी के भी काले बाल नहीं थे।

"मैंने हिम्मत बाँधकर कार्ल को उस रात की घटना बता दी। कार्ल ने आसमान ऊपर उठा लिया। उसने जो-जो उपमाएँ मुझे दी थी, मैं उन्हें भूल नहीं सकती थी। वह मुझे छोड़कर इंग्लैंड चला गया।

"मैंने इस घटना से बहुत कुछ सीखा है। जैसे अपने आप में इमानदार होना। मैं नहीं चाहती कि मेरे बच्चे से लोग भेदभाव करे। मैं दोबारा शादी भी नहीं करना चाहती।" कहकर उसने मेज पर एक मोमबत्ती जलायी और एक भारतीय फिल्मी गीत की कैसेट लगा दी, जिसमें स्वर निकल रहे थे, 'मरना यहाँ, जीना यहाँ, इसके सिवा जाना कहाँ।' इस गीत पर किसी को नृत्य करते नहीं देखा था। परंतु टीना ने मेरा हाथ पकड़ा, अपने ड्राइंग रूम में धीरे-धीरे नाचने लगी। मानो वह अतीत के सारे दु:ख भूल जाना चाहती थी। सारा माहौल संगीतमय हो उठा था। वह कहने लगी, "दुनिया छोटी है। जीवन में व्यक्ति को मंज़िल की तलाश करनी चाहिए। एक नदी की तरह। वह किधर किस ओर बहेगी उसे ज्ञान नहीं होता। बस दूसरों के लिए बहती चली जाती है।"

उसके विचार मेरे मन में गूँज रहे थे। मूर का स्मरण कर उसके बनाये हुए एक तैलचित्र को देख रहा था जिसमें नदी के ऊपर बर्फ जमी थी, जिस पर लोग स्की से फिसल रहे थे। इस चित्र को उसने मुझे उपहार में दिया था। उसके वाक्यों से मेरे मन में एक बाढ़ आ गई थी, जिसमें मैं बह रहा था।

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सितंबर २००१

 
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