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                     "हाइ, 
                    याई हेतेर टीना। (मेरा नाम टीना है)" कहकर उस युवती ने बिना 
                    झिझक मेरे कंधे पर हाथ रखकर अपनी ओर खींचा, दोनों ओर मेरे 
                    गालों का गालों से आलिंगन किया और मेरी मेज़ के सामनेवाली 
                    कुरसी पर बैठ गई थी। मैं भावविभोर हो गया। अपनी इस नार्वेजीय 
                    विदेशी माँ का स्नेह देख रहा था। प्रेम से बढ़कर भी और कोई 
                    स्नेह उपहार भला क्या होगा? मेज़ पर बिछे 
                    मेज़पोश पर घंटे, फूल, मोमबत्तियाँ, तथा सेंटाक्लाज की 
                    आकृतियाँ छपी हुई थीं। काग़ज़ के लाल रूमाल खाली गिलास के साथ, 
                    मोरपत्ती से बने सजे हुए थे।  मेज़ के मध्य 
                    क्रिसमस बियर, सोडा, सोलो और कोकाकोला की बोतलें सजी हुई थी। 
                    टीना ने क्रिसमस बियर की बोतल खोली और उसे मेरे गिलास में 
                    डालने लगी। मैं यह देखकर हैरान हुआ परंतु कौतूहलवश मना न कर 
                    सका। मैंने मदिरा को पहले कभी हाथ नहीं लगाया था। उत्सुकता बढ़ 
                    रही थी। यह स्वीडिनेर्वियन देशों (नारवे, स्वीडेन और डेनमार्क) 
                    में आम बात थी। हर डिपार्टमेंटल स्टोर (किराने की दुकान) में 
                    बियर की बिक्री होती है। मेरे लिए यह 
                    नयी बात थी कि एक ओर टीना से साक्षात्कार हुआ, तो दूसरी ओर 
                    मदिरा से साक्षात्कार। मेरे लिए दोनों ही घटनाएँ अनहोनी थीं। 
                    एक में मदिरा का नशा तो दूसरी में सौंदर्य का नशा। रोमांचक 
                    अनुभवों की तरफ़ ले जाते क्षण। मेरे मन में कभी यह विचार नहीं 
                    आया था कि मूर मुझे उपहार स्वरूप टीना से मिलवाएँगी। अनजान 
                    होते हुए भी कुछ समय के सान्निध्य से महसूस होने लगा था कि 
                    टीना अब अपरिचित नहीं है। टीना ने मेरे 
                    हाथ पर हाथ रखा और मेरे नयनों में झाँकने लगीं। मेरे विचारों 
                    की शृंखला टूट गई। उसने पूछा, "कान दू दासे मे माई! (क्या तुम 
                    मेरे साथ नृत्य करोगे?)" कहकर उसने मेरा हाथ खींचा और खड़ी हो गई।
 मैं उठा और 
                    उसके साथ चलते हुए स्पष्ट किया, "याई हार आल्ट्री वुर्ट। 
                    (मैंने पहले कभी नृत्य नहीं किया है।)""दे योर इके नूए (कोई फ़र्क नहीं पड़ता)।"
 उसने मुझे नृत्य सिखाना आरंभ कर दिया। उसने अपना बायाँ हाथ 
                    मेरी कमर पर रखा और दायाँ हाथ मेरे कंधे पर और वैसा ही मुझे 
                    करने को कहा। अंग्रेजी पॉप संगीत ज़ोर-शोर से बज रहा था। हम 
                    दोनों एक-दूसरे को थामे कभी बायीं ओर जाते फिर दायीं ओर और यह 
                    क्रम चलता रहता।
 मूर हम दोनों 
                    के समीप आयीं और पूछने लगी, "मेरा उपहार कैसा लगा?""बहुत अच्छा मूर, बहुत अच्छा।" मूर मुसकरा रही थी। हम दोनों को 
                    खुश देखकर उसे बहुत अच्छा लगा था।
 "मौज करो, खुश रहो।" वह दुआएँ देकर चली गई।
 काफी रात्रि 
                    हो चुकी थी। काफी लोग जा चुके थे। कुछ जाने की तैयारी कर रहे 
                    थे। टीना ने मुझे घर चलने के लिए आमंत्रित किया। मैंने 
                    स्वीकृति दे दी। टैक्सी आई, हम दोनों रवाना हुए। कुछ समय 
                    पश्चात हम टीना के घर पहुँच गए थे। दो कमरों का 
                    सेट था। उसके ड्राइंग रूम को देखा जहाँ अनेक सुंदर तैलचित्र 
                    दीवार पर टँगे हुए थे।दीवार के दूसरी ओर एक लगभग चार-पाँच वर्ष के एक बालक का 
                    पोर्टरेट चित्र टँगा था। घुंघराले बाल, अफरीकी नाक-नक्श। बहुत 
                    सुंदर चित्र था। मेरे पूछने से पूर्व ही उसने कहा, "यह मेरा 
                    पुत्र है। यह तैलचित्र मूर ने बनाया है।"
 "जब इसका 
                    तैलचित्र इतना सुंदर और आकर्षक है फिर वह तो और कितना सुंदर 
                    होगा वह?""हाँ, वह सुंदर है परंतु उसके सावलेपन ने मेरे जीवन में भूचाल 
                    खड़ा कर दिया था।" टीना इतनी देर में बहुत घुल-मिल गई थी। 
                    एक-एक करके उसके जीवन की वीणा के तार झनझना उठे हो।
 मैं 
                    शांत-निस्तब्ध टीना की नशीली आँखों में ममता के अश्रुओं को देख 
                    रहा था। वह सोफे पर बैठ गई। उसने मेरी ओर देखते हुए आगे कहा, 
                    "मेरे जीवन की एक कमज़ोरी रही है। वह कमज़ोरी है प्रेम। प्रेम 
                    बाँटने से कभी कम नहीं होता।" वह अपने अतीत के पन्नों को पढ़ती 
                    जा रही थी, "मेरा बचपन अजीबोगरीब घटनाओं से भरा पड़ा है। बचपन 
                    में ही विरोध का सामना किया है मैंने। मैं कभी भी अपने को 
                    सँभाल न सकी। मेरे पुत्र पीटर के जन्म के पूर्व और बाद की 
                    दास्तान सुनोगे। तब स्वयं समझ जाओगे।"  एक लंबी सांस 
                    भरते हुए उसने कहा, "मैं कॉलेज के दिनों से ही कार्ल को प्रेम 
                    करती थी। उन्ही दिनों हम दोनों ने सगाई कर ली थी। मैं उसके साथ 
                    रहती थी। कार्ल ने मुझे बताया कि अध्ययन के लिए वह एक वर्ष के 
                    लिए इंग्लैंड जा रहा है। मैं यह सुनकर उदास हो गई। मैंने उसे अपने गर्भवती होने की बात बतायी। उसने कहा था, "अभी 
                    बहुत जल्दी है। अभी हमको बच्चा नहीं चाहिए। इतनी जल्दी मैं 
                    पिता नहीं बनना चाहता।
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