|
कपड़े एकदम बराबर हों, बाँये पैर
की चप्पल बाँये पैर में हो, दाँये पैर की चप्पल दाँये पैर में
हो, दोनों चप्पलें एक ही जोड़ी की हों, बाल सुखाने के लिये
इस्तेमाल हुआ तौलिया भी गलती से सर पर ही बँधा ना रह गया हो और
कुल-मिला कर आपका सब कुछ वैसा ही हो जैसा अक्सर, आमतौर पर होता
हो और फिर भी आप आस-पास मौजूद लोगों के लिये दिलचस्पी की वजह
बने हुयें हों तो समझ जाइये कि या तो आप बेहद खूबसूरत हैं या
निहायती बदसूरत।
काजल को पता था कि वो कितनी
बदसूरत है, इसीलिये मेरठ के बीचोंबीच स्थित सिटी हार्ट
रैस्टोरेंट के कोने की टेबल पर बैठी काजल के लिये लोगों की ये
दिलचस्पी कोई नई चीज नहीं थी ।
कुछ लोग आश्चर्य से देख रहे थे,
कुछ दया से, कुछ नफरत से, कुछ असमंजस से, कुछ घृणा से, कुछ तरस
से, कुछ इसलिये देख रहे थे कि बाकी लोग देख रहे थे पर देख सब
रहे थे; और कोने में भी केंद्र बनी हुई काजल इन घूरती नज़रों
से नज़र चुराकर कभी तो मैन्यू पढ़ने का नाटक करने लग जाती और
कभी बटुआ टटोलती हुई यूँ सोचती कि इसमें ढूँढे तो ढूँढे क्या।
कम्बख्त खाली बटुओं में कुछ खोने की गुंजाइश भी तो नहीं होती।
यूँ तो काजल को अब तक लोगों की ऐसी दिलचस्पी की आदत हो जानी
चाहिये थी पर उसे कभी समझ नहीं आता कि जब |