|  | रोज की तरह 
					राकेश आज भी सुबह उठने में लेट हो गया था। वह जल्दी-जल्दी 
					तैयार हो रहा था इतने में उसका मोबाईल बजने लगा। 
 "हैलो, सर मैं कुल्लू से बोल रहा हूँ, रात को बादल फटने से 
					हाईडल प्रोजेक्ट की लेबर उसमें बह गई है और भारी नुकसान हुआ 
					है।" यह फोन राकेश के स्ट्रिंगर नारायण सिंह का था।
 
 सुबह-सुबह ऐसी सूचना पर 
					खीझते हुए आदतन राकेश बोला, "अबे यह बता की कितने मरे हैं क्या 
					मेरे आने की जरूरत है या तुम खुद इसकी रिपोर्टिंग कर लोगे।"
 "बादल फटने वाली जगह पर ४-५ दर्जन के करीब मजदूर आपने परिवारों 
					के साथ रहते थे, बचा कोई नहीं है, रेस्कयू वर्क शुरू हो गया है 
					८-१० लाशें तो मिल गई हैं। आप 
					फोटोग्राफर को लेकर साथ आ जाएँ, मैं स्पॉट पर निकल गया हूँ।"
 "ठीक है नारायण सिंह, तुम निकलो मुझे आने में दो घंटे तो लग ही 
					जाएँगे मैं फोटोग्राफर को लेकर आ रहा हूँ", राकेश ने कहा और 
					तुंरत फोटोग्राफर को फोन कर हाईवे के चौक पर मिलने को कहा। 
					चूँकि दुर्घटना बड़ी थी और टैक्सी लेकर वहाँ तक जाना था इसलिए 
					संपादक जी से इजाजत भी जरूरी थी और कवरेज के संदर्भ में उनके 
					निर्देश लेने के लिए राकेश ने उन्हे फोन किया,
 |