'ओह ये नीली
आँखें!`
मैं कुछ बदहवास, कुछ हताश-सी बुदबुदा उठी। दरअसल रेखा चिल्ला
रही थी कि किचन में घुस कर बिल्ली सारा दूध पी गयी है। वह उसे
खदेड़ते हुए मेरे बेडरूम तक ले आई थी। मैंने उसे कहा, 'इसे
मारो मत।`
एक टुकड़ा टोस्ट का तोड़ कर मैंने जमीन पर फेंक दिया था।
बिल्ली ने उसे खाकर पुन: मेरे हाथ में बचे टोस्ट पर अपनी नीली
आँखें गड़ा दीं। जैसे ही मेरी आँखें उसकी आँखों से टकराईं
मुझे बरसों पहले बंबई से मद्रास की यात्रा करते समय नीली
आँखों वाला सहयात्री याद आ गया। वह इस बिल्ली की तरह ही मेरी
देह को ललचायी आँखों से टकटकी लगाए रातभर देखता रहा था। वैसे
मुझे बिल्ली का यों कातर होकर ताकना अजीब-सा लग रहा था!
आमतौर पर
बिल्लियाँ कभी कातर नहीं होतीं। वे तो हिंसक होती हैं। वे
प्राय: झपट्टा मारती हैं।कुत्ता ही एक ऐसा प्राणी है, जो कातर
होकर, ललचायी नजरों से देखता रहता है। वह कभी झपटता नहीं
मालिकके हाथ पर। इसलिए मुझे प्राय: बिल्लियों से डर लगता है।
अच्छे तो मुझे कुत्ते भी नहीं लगते, चूँकि वे बहुत ही कातर
होकर ताकते हैं! ये कातरता भी मुझमें उनके प्रति एक वितृष्णा
पैदा करती है। |