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कहानियाँ

समकालीन हिंदी कहानियों के स्तंभ में इस सप्ताह प्रस्तुत है भारत से
 पुष्पा तिवारी की कहानी— निर्विकल्प


''सुनिए, आप निशा आन्टी हैं न?

अपना नाम सुनकर मैंने पीछे मुड़कर देखा। डाक्टर वर्मा के क्लीनिक को उसने कुछ दिन पहले ही जूनियर डाक्टर के रूप में ज्वाइन किया था। डाक्टर मिसेज वर्मा मेरी फेमिली डाक्टर थीं। मैं उनके क्लीनिक में रूटीन चेकअप के लिये आई थी।
''हाँ डाक्टर मेरा नाम निशा ही है, लेकिन''
''आप मेरी मम्मी को जानती हैं न? सविता माथुर। वो तो आपकी दोस्त हैं न?''

एक ही साँस में वह यह सब कह गई। मैं समझ नहीं पाई कि उसने मुझसे कोई सवाल पूछा या जवाब दिया।
''अच्छा आप सविता की बेटी हैं? मुझे जानकर बेहद खुशी हुई। ''
''आपको उनके बारे में लेटेस्ट खबर पता है?''
इसके पहले कि मैं सविता के बारे में कुछ पूछ पाती उसने खुद ही प्रतिप्रश्न कर दिया।
''क्या खबर है? आप उनकी?
''मैं नेहा हूँ। उनकी मँझली बेटी।''
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