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रेणू ने काग़ज़ साईन करके उसे लौटा दिया। पैकेट देखा उस पर उसकी माँ का ही नाम था श्रीमती लता सचदेवा। यह पैकेट किसी कंपनी की ओर से भेजा गया था। प्राय: उसकी माँ फोन पर एस.एम.एस के माध्यम से आदेश दे कर कुछ न कुछ सामान मँगवाती ही रहती थी। उसे कोई आश्चर्य नहीं हुआ क्यों कि यह तो रोज़मर्रा की बात थी।

''मम्मी आपके लिए है।'' उसने दरवाज़ा बंद करते हुए ऊँचे स्वर में कहा। फिर बोली, ''मैं तो जानती ही थी कि आपके लिए ही होगा।'' उसने सोचा पहले कभी दिन में एक आध बार डाक आती थी। वह भी डाकिया दरवाज़े पर डाल कर चला जाता था। कभी कोई रजिस्ट्री अथवा तार होती थी तभी उसे दरवाज़े की घंटी का प्रयोग करना पड़ता था। घंटी अक्सर किसी मेहमान के आने पर ही बजती थी। आज कल वाले हालात रहे तो डाकिया तो घरों के पते ही भूल जाएँगे और जहाँ तक मेहमानों की बात है तो वे आते ही कितने हैं। किस के पास इतनी फुर्सत है इधर उधर जाने की । सभी तो चूहा दौड़ में एक दूसरे को पछाड़ने में लगे हैं। हाँ कूरियर वालों की लाइन ज़रूर लगने लगी है। चाहे अनचाहे न जाने कहाँ-कहाँ से चले आते हैं। न दिन देखते हैं न रात। मतलब बेमतलब के कूरियर आते हैं। और कुछ नहीं तो किसी न किसी कंपनी के विज्ञापन के परचे ही चले आते हैं। जब से कूरियर की दरें डाक दरों से भी कम हई हैं तब से तो कोई चिट्ठी डालने का विचार ही नहीं करता।

उसके हाथ से पैकेट लेते हुए मिसेज सचदेवा ने कहा, ''अरे नाराज़ क्यों होती है। अमरीका में तेरी बहन के घर इतनी जंक मेल रोज़ आती है कि कूड़ादान ही भर जाता है।''
''हाँ पर वहाँ कोई घंटी बजा कर डाक देने के लिए आपके दरवाज़े के बाहर खड़ा नहीं रहता। कैसा भी सामान हो बाक्स में डाल कर अथवा दरवाज़े के बाहर रख कर चला जाता है। वे इस तरह तुम्हारा जीवन नर्क नहीं बना देते।'' रेणू का चेहरा अभी तक तनावग्रस्त था।
फिर बोली, ''मैं कुछ जरूरी एस.एम.एस भेज रही थी। अभी के.जी.बी. के लिए भी एक भेजना है। सचिन के स्कोर के बारे में भी अपना अनुमान बताना है। कमबख्त एस.एम.एस पर ही आ कर जीवन अटक गया हो जैसे।'' रेणू ने थोड़ा संयत होने का प्रयास करते हुए कहा।
''मैं भी तो फोन पर एक ज्योतिषी से तेरे ही बारे में बात कर रही थी। कितनी बड़ी हो गई है- तेरे विवाह की चिन्ता दिन रात खाए जाती है मुझे।'' माँ ने चिन्तातुर नज़रों से सामने खड़ी जवान लड़की को देखा।
''आप तो फोन पर ऐसे बात कर रही थीं जैसे अपने किसी ब्वॉय फ्रेंड से फ्लर्ट कर रही हों।'' रेणू ने चुटकी लेते हुए कहा।
''अरे वह इतनी धीरे-धीरे और लंबी बात कर रहा था कि क्या बताऊँ। भविष्य फल कम और उपाय अधिक बता रहा था। हर रोज़ कभी तिल दान करो तो कभी दाल या फिर खिचड़ी। कभी तेल चढ़ाओ तो कभी दूध। कभी केले के पेड़ की पूजा करो तो कभी पीपल की। कभी कोई साढ़े साती उतारो तो कभी काल सर्प दोष को दूर करो। विज्ञान की दृष्टि में एक ग्रह कम हो गया पर हमारे सिर पर तो अभी भी नौ के नौ ही सवार हैं। पर एक सुविधा हो गई है। घर बैठे बैठे फोन पर ही ज्योतिषी जी से फोन पर ही बातचीत हो जाती है। न आमने सामने होने वाले प्रश्न उत्तर की झिझक और न ही उनकी गद्दी पर पहुँच कर लाइन में लगने का झंझट। न ही दक्षिणा देने की ज़रूरत। बस फोन उठाया और कर लिया अपनी शंकाओं का समाधान।'' लता ने पैकेट खोलते हुए कहा।

''ऐसा भी नहीं है मम्मी जी। यह सब कुछ मुफ्त में नहीं हैं। जितनी देर तक आप फोन पर बात करती हैं उनका मीटर चलता रहता है। ऐसे फोन की दर सामान्य दरों से कई गुणा अधिक होती हैं। इन ज्योतिषियों का इसमें हिस्सा रहता है। इसीलिए तो वह बहुत लंबी-लंबी बात करके आप जैसे लोगों को उलझाए रहते हैं। आप क्या समझती हैं कि वे बिल्कुल खाली हैं कि आप से गप्पे लड़ाते रहें।'' रेणू ने माँ को समझाते हुए कहा।
''पैसे तो खर्च होते ही हैं। वहाँ जाने पर इतना तो पट्रोल पर ही खर्च हो जाता है। परेशानी सो अलग। यह कोई घाटे का सौदा नहीं है।'' लता ने खुलासा किया। अब तक वह पैकेट खोल चुकी थी। उसके हाथ में एक बड़ा-सा पर्स था।
''मम्मी पर्स से अधिक तो पैकिंग ही सुन्दर थी,'' रेणू ने चूहल करते हुए कहा। अब उसके चेहरे पर तनाव कम हो गया था। उसे लगा माँ उसकी कितनी चिन्ता करती है। बेचारी उसके विवाह को ले कर कितनी परेशान है कि कान से फोन का रिसीवर ही नहीं हटाती। कॉलोनी की चार औरतों से उसके विवाह की बात करने की अपेक्षा अच्छा है कि वह ज्योतिषी से ही बात करती रहे।
''अरे यह पर्स मैंने उसी कंपनी से ख़रीदा है जिससे सस्ते दामों पर फ्रिज मँगवाया था। यह पर्स भी आधे दामों पर मिला है। कितना अधिक आराम है न क्रेडिट कार्ड का। एक नम्बर फोन पर बताया और घर बैठे सामान आ गया। पर यह उतना सुन्दर नहीं लग रहा जितना उस पत्रिका में छपी रंगीन फोटो में लग रहा था। चलो ठीक है - पैसे भी तो एक महीने बाद ही देने हैं। फिर इतना कमीशन भी तो मिला है। प्वांइटस अलग से मिले हैं। काफी प्वांइटस बन गए हैं। लगता है आने वाली गर्मियों में एक आध टिकट मुफ्त में मिल ही जाएगा। कहीं न कहीं की सैर हो ही जाएगी इस बार। अभी से कहीं न कहीं रिसॉर्ट बुक करवा लेना चाहिए। ऐन वक्त पर किसी अच्छी जगह पर मिलता ही नहीं। मेंबर बनाते समय तो इतनी लंबी चौड़ी लिस्ट दी थी कि जब चाहो जहाँ चाहो घूमने जाओ ठहरने के लिए कोई भी रिसॉर्ट फ्री में मिलेगा। अब फोन करो तो कहेगें कि पहले से ही बुक है। खैर! ज्योतिषी कह रहा था कि रोज़ पीपल और केले के पेड़ पर हल्दी डाल कर जल चढ़ाने से जल्दी ही कहीं न कहीं बात बन जाएगी। सूरज को जल चढ़ाने से सूरज जैसा तेजस्वी वर प्राप्त होगा। रोज़ सूरज पर जल चढ़ाया कर।'' लता ने बेटी को समझाया।

''मैं नहीं मानती इन सब ढकोसलों को। जल चढ़ाने से लड़का मिलता तो कॉलोनी की सारी कुआंरी लड़कियों के घरों के बाहर लड़कों की लाइन लगी होती। आस पास सभी तो कुआंरी बैठी हैं और न जाने कहाँ-कहाँ जल चढ़ाती घूमती हैं। मुझे जिस दिन शादी करनी होगी - मैं कर लूँगी। इन्टरनेट पर रिश्तों की भरमार रहती है। विवाह डॉट कॉम, शादी डॉट कॉम,  निकाह डॉट कॉम, आनन्द कारज डॉट कॉम, मैरिज डॉट कॉम और वेडिंग डॉट कॉम न जाने कितने साइट खुले हुए हैं। इंटरनेट पर दरवाज़ों की कोई कमी नहीं जिसके अन्दर चाहो प्रवेश कर जाओ।'' रेणू ने उत्तर दिया परन्तु मन नही मन प्रभु से प्रर्थाना की कि कहीं जल्दी से काम बन जाए तो अच्छा है।
''क्या बात करती हो तुम। यहाँ पर अमिताभ बच्चन हों या फिर ऐश्वर्या राय किस किस मन्दिर की चौखट पर नाक नहीं रगड़ रहे। क्या-क्या नहीं कर रहे और कहाँ-कहाँ पूजा पाठ नहीं करवा रहे। कभी सिद्धि विनायक की नंगे पाँव यात्रा तो कभी हेलीकॉप्टर पर विंध्यावासिनी की। कभी बनारस की गुप्त यात्राएँ तो कभी कहीं खुले आम मन्नतें। क्या-क्या नहीं कर रहा पूरा परिवार और वह संजू - वह गोविंदा कौन बचा है इन सब से जो हम बचें। इन्दिरा गांधी तक ने कभी पूजा पाठ से परहेज़ नहीं किया। आज भी कितने ही ऐसे ज्योतिषियों को मैं जानती हूँ जिनका यह दावा है कि वे रात के प्रथम पहर से लेकर रात के अंतिम पहर तक इंदिरा जी के निवास पर पूजा पाठ करवाने के लिए जाया करते थे। उनके दावों में कितनी सच्चाई है यह तो राम जाने परन्तु इतना निश्चित है कि जहाँ कहीं आग होती है वहीं पर धुआँ उठता है।''
''ये सब पुरानी बातें हैं आज का ज़माना इन्टरनेट का है, एस.एम.एस का है, कांफ्रेसिंग का है।'' रेणू ने लापरवाही से उत्तर दिया।
''मैं इन सबसे कहाँ इनकार करती हूँ। तभी तो फोन पर ही ज्योतिषियों को निपटा डालती हूँ। न जाने क्यों बिग बी इन सब को भुला कर स्वयं यहाँ वहाँ के चक्कर लगा रहे हैं। खैर हमें क्या। मुझे अभी वृंदावन के एक पंड़ित जी से कांफ्रेसिंग करनी है। किसी ने बताया है कि उनकी पत्री पढ़ने की अद्भुत क्षमता है। मैंने तेरी कुंडली पहले ही उन्हें फ़ैक्स कर दी है। स्कैन करके ईमेल पर भी भेजा है। थोड़ी देर में उनसे बातचीत होगी। देखते हैं क्या कहते हैं तेरे ग्रह।'' लता बोली।

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