शाम को हम उसे नदी-किनारे घुमाने ले गए उसकी आदत थी,
वह एक-एक चीज के इतिहास में जाने का प्रयत्न
करता।
"यह
घाट किसने बनवाया,
कौन से सन्
में बना?"
"ये
मूर्तियाँ कौन से भगवान की हैं?"
"इतने
सारे भगवानों से आप लोग कन्फ्यूज नहीं होते?"
"यह
मल्लाह कब से नाव चलाता है,
इसकी उम्र क्या है?"
जाहिर था कि हम उसके सभी सवालों के जवाब नहीं
दे पाये घर आकर हमें यह भी लगा कि हम अपने परिवेश के
विषय में कितने कम तथ्य जानते हैं।
बीजी ने कहा,
"नीरद,
रिचर्ड से कह कि निकर बनियान में बाहर न निकले कपड़े पहन कर जाया करे।"
पर रिचर्ड को बहुत गर्मी लग रही थी वह
कैनेडा के एलबर्टा इलाके से आया था,
जहाँ तापमान हिमाँक से कई डिग्री नीचे रहता है।
अँग्रेजी जानते हुए भी उसका लहजा समझने में
हमें थोड़ी दिक्कत हो रही थी किसी तरह काम-चलाऊ बातें
हो जातीं पर मैंने पाया,
बीजी और बच्चों को ऐसी कोई परेशानी नहीं थी वे सब मिलकर
घंटो टी.वी. देखते भाभी ने अपने ऑफिस और घर के
अंदर-बाहर का एक वीडियो टेप भी भेजा था उसे वी.सी.आर पर
लगाकर वह बताता जाता,
क्या हो रहा है जो बात शब्दों से स्पष्ट न होती,
वह अभिनय करके पूरी करता सब ठहाके
लगाते बिना भाषा के वह बीजी को भाई के हाल बता देता थोड़ी देर को मैं दोनों के बीच दुभाषिया बनी फिर बीजी
ने मुझे उठा दिया।
"इसकी
बातें मेरी समझ आ रही हैं,"
उन्होंने कहा।
पहली रात मैं मनाती रही कि ऊपर के कमरे में
कहीं कोई छिपकाली,
चूहा अपनी दैनिक गश्त पर न आ जाय मच्छरों के खिलाफ कई इन्तजाम पहले से कर रखे थे।
खाने का समय सकुशल बीता सीधा-सादा
शाकाहारी भोजन था उसे अच्छा लगा पानी उबला हुआ
था,
फिर
भी उसने नहीं पिया उसने मालती से कहा,
"चाय"।
हिन्दी के दो तीन शब्द वह वहीं से सीख कर आया
था "अच्छा,
हाँ,
नहीं" का उच्चारण और अर्थ वह जानता था।
यह सोचते हुए कि हर विदेशी को खजुराहो जाने की
बेताबी होती है,
हमने उसके लिए टूरिस्ट बस से वहाँ जाने का आरक्षण करवा दिया उसे बताया उसने गर्दन हिलाई "नो,
आइ
प्लान टु गो टु सारनाथ।" (नहीं,
मेरा इरादा सारनाथ जाने का है।)
"सारनाथ
हम सब किसी भी दिन कार से चलेंगे,"
नीरद ने कहा, "पहले
तुम वह जगह तो देख लो,
जिसके लिए भारत आये हो।"
उसने कहा,
वह
ट्री ऑफ नॉलेज, "बोधिवृक्ष
- देखेगा उसकी बहन ने उससे बौद्ध उपासना के उपकरण
मंगवाये हैं,
वे खरीदेगा।"
हमारे लिए अपने काम से छुट्टी लेना मुश्किल था उसने कहा, "मैं
अकेले चला जाऊँगा आप मुझे गाड़ी में बिठा दें।"
अच्छे मेज़बान की तरह हमने कहा,
"अभी
जल्दी क्या है,"
आये हो तो दो चार दिन रह लो।"
उसने अपनी डायरी दिखायी,
जिसमें उसके एक महीने के प्रवास का पूरा
टाइम-टेबिल बना हुआ था।
"अनजान
जगह में अकेले जाते तुम्हें डर नहीं लगता?
मैंने पूछा।
"क्या
आपको मुझसे डर लगा?
नहीं न! फिर मैं आपसे कैसे डर सकता हूँ?
इन्सान तो हर जगह एक-सा है।"
"पर
तुम्हारे पास हमारी भाषा नहीं है अपनी जरूरत कैसे बताते हो?"
"काम
चल जाता है।"
"देखो,
नीरद बोले, "इस
देश में जितने अच्छे लोग हैं,
उतने बुरे भी कोई दुश्मन जैसा मिल गया,
तब?"
"मुझे
आपके भाई ने बताया था कि भारत में पानी के सिवा तुम्हारा कोई
दुश्मन नहीं होगा,"
रिचर्ड ने हँसते हुए कहा।
खजुराहो का आरक्षण रद्द करवा दिया गया अगले दो दिन का समय उसने ज्यादातर घर में बिताया दोपहर
में वह आनंद-भवन देखकर आया रात के खाने पर हम सब इकठ्ठा
बैठकर बातें करते रहे।
परिचय का प्रथम संकोच टूटने के बाद अन्नू मन्नू
अपनी पुरानी बुलन्दी पर थे मन्नू ने पानी अपने गिलास
में डालने के चक्कर में मेज़ पर फैला दिया मैं परेशान
हो उठी।
"कितनी
बार कहा है,
तुम दोनों
छोटी मेज़ पर खाया करो,"
मैंने भुनभुनाते हुए झाड़न की तलाश की,
जो नहीं मिला।
"तुम्हें
कनरस पड़ा हुआ है बड़ों के बीच घुसकर बैठना क्या बच्चों को
शोभा देता हैं?"
मैं और भी
बोलती दिन भर की भड़ास निकलने को थी वैसे भी
परिवार का खयाल है कि डाँटते हुए मुझे नशा चढ़ जाता है गुस्से में मैं जनम-जनम की गलतियाँ गिनते लगती हूँ दुखी
होकर मन्नू ने खाना ही छोड़ दिया रिचर्ड ने इसरार किया,
"मन्नू,
मैं तुम्हारा दोस्त हूँ मेरे कहने से खा
लो प्लीज।"
"हमें
भूख नहीं हैं।" उसने कहा।
उसके छोड़ते ही अन्नू ने भी अपनी प्लेट सरका दी,
"हम
भी नहीं खायेंगे।"
बीजी बोली,
"इधर
तो आ,
मैं तुम
दोनों को खिलाऊँगी भगतिन बिल्ली की कहानी सुननी है?"
जब ये दोनों छोटे थे,
दादी से कहानी सुनते हुए,
उन्हीं के हाथ से खाना खाते थे अब बच्चे कुछ बड़े हो
गये थे,
पर खाने के समय कभी भी छोटे बन जाते।
दोनों के मुँह फूले रहे।
बीजी ने कहा,
"जो
मेरे पास पहले आयेगा,
उसे एक रूपया मिलेगा।"
दोनों दादी के तख्त पर एक साथ उछलकर चढ़े मालती ने नयी प्लेट में खाना लगाकर बीजी को दिया बीजी
ने दोनों को बातों में ऐसा लगाया कि वे सारी रोटियाँ चट कर
गये।
मेरा मूड अभी भी उखड़ा हुआ था हमारे घर
में दो दिन भी सभ्यता से रहना दूभर है बच्चों को अक्ल
सिखाओ तो बड़े बोलने लगते हैं इसीलिए शायद रिचर्ड यहाँ
से जल्दी जा रहा है।
रिचर्ड ने भोजन के बाद चाय पीते हुए हम दोनों
से कहा, "आपकी
मेहामाननवाज़ी को मैं कभी भुला नहीं पाऊँगा आपके परिवार
में मुझे बहुत अपनापन मिला है।"
"और
यहाँ की गड़बड़ियाँ भी कभी नहीं भूला पाओगे!" मैंने कहा।
"जिन्हें
आप गड़बड़ियाँ कह रही हैं,
उनके लिए हमारे देश में तरसते हैं लोग कहाँ मिलती हैं
घर-परिवार की गर्मी मुझे देखिए,
बारह साल की उम्र से अकेला हूँ माँ-बाप का
तलाक हो गया पहले माँ के साथ रहा दो साल बाद उसने दूसरी शादी
कर ली फिर पिता के साथ रहा उसके साल भर बाद पिता ने भी
शादी कर ली मेरे लिए कहीं जगह नहीं बची थी।"
"अब
तो आप वयस्क हैं।" मैंने कहा।
"पर
कितना अकेला एक बात बताऊँ! वहाँ अलबर्टा में हम सब
अकेले हैं,
द्वीप की तरह आपके भाई कभी-कभी कहते हैं,
नीरद ने ठीक किया,
जो परदेस नहीं आया।
नीरद को अपने पर नाज़ हुआ बोला,
"रिचर्ड,
मैं
तो तभी जानता था कि रोटी के लिए कोई अपनी मिट्टी नहीं छोड़ता मेरा तो लिखने-पढ़ने का काम है शोहरत,
बदनामी जो मिलनी है,
यहीं मिले सात समुन्दर पार चला गया तो कौन सुनेगा मेरी आवाज़,
मेरे शब्दों में से सारी खुशबू निकल जायेगी।"
"राइट,"
रिचर्ड ने कहा, "तुम्हारे
भाई को उसका एहसास है आपके घर में अभी डिनर के समय तीन
पीढ़ियाँ एक साथ खाना खा रही थीं अरे,
दुर्लभ सुख है यह ऐसा दृश्य देखे मुझे बरसों हो गये कि बच्चों
के माँ-बाप अपने माँ-बाप के सामने आज्ञाकारी बच्चे बन जाएँ तीन पीढ़ियाँ एक छत के नीचे,
एक
कमरे में प्रेम से बैठी हैं,
कहीं कोई तनाव नहीं आपके बच्चों को एक
नॉर्मल लड़कपन मिल रहा है बहुत बड़ी बात है यह! इसे कभी कम करके मत देखिएगा।"
रिचर्ड सुबह बनारस चला गया,
पर मुझे जीवन-भर के लिए शिक्षित कर गया वह अलमस्त परदेसी सिर्फ सैलानी नहीं था।
|