भाई बोले "एक बार हम वहाँ जम जाएँ तो आप दोनों
को भी बुला लेंगे बल्कि अमरो और पंकज को भी वहीं काम
दिला देंगे।"
शाम को नीरद कपूरथला से लौटा तो बीजी ने उससे
कहा, "तू
तो बड़ा मीसना (घुन्ना) निकला अपने आप बाहर जाने का
प्रोग्राम बना लिया।"
नीरद हक्का-बक्का सारी बात जानते ही वह
भड़क गया,
"मेरे
लिए फैसला लेने का हक किसी को नहीं है चाहे कैनडा हो,
चाहे टिम्बकटूँ,
मैं कहीं
नहीं जाऊँगा।" भाई ने समझाया,
"यहाँ
से चालीस गुनी तनखा मिलेगी,
घर का सारा दलिद्दर धुल जाएगा।"
"आप
धोओ अपना दलिद्दर मेरा फॉर्म कोई जमा न करे।"
"बेवकूफ,
तू
भरकर दस्तखत करेगा, तभी जमा होगा फॉर्म।"
"कहाँ
हैं फॉर्म,
लाओ मैं
फाड़ दूँ," नीरद उठा।
अमरजीत ने फार्म बीच में लपक लिया पंकज
भी उस दिन वहीं आया हुआ था।
"तुम्हें
नहीं जाना तो हमें दे दो हम भी निकल कर देखें इस नरक
से।"
नीरद उलझ पड़ा,
"किसे
नरक कह रही हो?
इस घर को
या उस घर को या अपनी नौकरियों को? हद
है,
जरा सी
सेंध क्या मिली,
तुम्हें
यहाँ नरक दिखाई देने लगा?"
"क्या
है यहाँ पर! सारे दिन मेहनत करो,
गिने-गिनाये रूपये हाथ आते हैं चार
ट्यूशन न करें तो घर का खर्च नहीं चलता आये दिन
लूट-खसोट का आतंक।"
"जा
बच्चा,
तू भी
गोरों का देस देख ले," बौजी ने कहा
इस तरह एक-एक कर वे चारों चले गये हम भी
बहुत दिन पंजाब नहीं रह पाये नीरद को इलाहाबाद
युनिवर्सिटी में नौकरी मिल गयी और हम सब इलाहाबादी बन गये।
इस बीच बच्चे छोटे से बड़े हो गये भाई
की तीनों बेटियाँ और अमरो के चीनू मीनू हमारे ताक पर फोटोग्राफ
बनकर रखे रहे उनके बारे में खबर मिलती रही कि सैन्डी
बहुत अच्छा पिआनो बजाती है,
कि
नीता ने सोशल वर्क में ग्रेजुएशन किया है और साधना की शादी
वहीं के एक अमीर बाशिन्दे से तय हो गयी है हमारी
स्मृतियों में वे अभी भी बच्चियाँ थीं,
जो
यहाँ से जाते वक्त रो रही थीं और कहती थीं,
"हमें
नहीं जाना इतनी दूर, हम वापस आ जाएँगे।"
इस बार भाभी ने फोन पर कहा,
"भावना,
हमारा बहुत अच्छा दोस्त रिचर्ड भारत जा रहा है एक हफ्ते
राजस्थान घूमकर वह इलाहाबाद पहुँचेगा एक हफ्ते वह वहाँ
रहेगा उसके आराम का पूरा ध्यान रखना घर की सफाई
कर लेना कहीं भी गन्दगी,
मच्छर,
छिपकली न दिखने पाये रिचर्ड डॉक्टर है तुम्हारे
भाई उसे साथ लेकर आते,
पर उन्हें
अभी छुट्टी नहीं मिल रही हैं हमें तुम पर भरोसा है
जैसे हमारे आने पर मेहमाननवाज़ी करती हो,
वैसी ही करना।"
इस फोन के बाद काम के तामझाम में मैं बस
चकरघिन्नी हो गयी एक नज़र घर पर डाली,
दूसरी परिवार पर लगा,
दोनों गड़बड़ हैं घर तो बिल्कुल अजायबघर
बना हुआ था।
खाने के कमरे में बीजी का तख्त बिछा हुआ था
ड्राइंगरूम का पलस्तर उखड़ा पड़ा था अन्दर बच्चों ने
अपने कमरे को कंप्यूटर-रूम बना रखा था पढ़नेवाले कमरे
में कपड़े बिखरे रहते ड्रेसिंग टेबिल सीढ़ियों पर रखी
थी और रसोई इतनी घिचपिच थी कि खुद मुझे ही उसमें सामान ढूँढने
में गश आ जाता छोटे-से आयतन में बना यह फ्लैट ऐसा था कि इसमें
मुहब्बत या मजबूरी के अलावा साथ रहने का कोई औचित्य नहीं था
मैंने बच्चों से कहा,
"देखो,
ताईजी के मेहमान तीन दिन बाद आ रहे हैं
तुम अपना कमरा साफ कर लो बगलवाले कमरे में उन्हें
ठहरायेंगे वे तुम्हारा कमरा देखकर क्या सोचेंगे!"
बच्चों ने कोई ध्यान नहीं दिया दूसरी
बार टोकने पर मन्नू अपने कमरे में पड़ी सारी किताबें,
सी.डी. और तौलिये हमारे कमरे में पटक आया।
मैं घर-भर का कबाड़ पड़छत्ती पर डालती,
आलमारियों के ऊपर चिनती,
पौधों को छाँटती, पगलायी डोलती रही।
नीरद ने कहा,
"क्यों
परेशान होती हो जैसा घर है,
वैसा ही रहने दो अगर यहाँ उसे तकलीफ
होगी तो अपने आप होटल में चला जायेगा।"
मेरे लिए यह तर्क ग्राह्य नहीं था वह
क्या सोचेगा कि पढ़ी-लिखी लड़कियाँ हिन्दुस्तान में ऐसे घर
चलाती हैं भाभी अलग खफा होंगी
तीन दिन के घनघोर परिश्रम से मैंने अध्ययन-कक्ष
में रद्दोबदल कर उसे अतिथि-कक्ष में तबदील कर दिया
चुन-चुन कर घर की सभी नायाब चीजें यहाँ पहुँच गयीं।
बिस्तर पर चार इंच का फोम का गद्दा,
दीवारों पर पिकासो और विंशी की बनायी हुई तस्वीरों के
फोटोप्रिंट,
नया टर्किश
तौलिया,
विदेशी
बाथरूम स्लिपर्स, नया जग और एक अदद फ्रिज भी कमरे के बाहर वाली
जगह में रखवा दिया।
अन्नू ने इतनी तैयारियाँ देख कर कहा,
"वाह
मम्मी! यह कमरा तो बिल्कुल विदेशी लग रहा है बस
एक मेम की कसर हैं यहाँ पर।"
मैंने कहा,
"अन्नू,
प्लीज तुम अपना म्यूजिक सिस्टम इस कमरे में लगा
दो अगले हफ्ते तक की बात है।"
आश्चर्य कि बिना हुज्जत के दोनों बच्चों ने
अपना जान से प्यारा म्यूजिक-सिस्टम अतिथि-कक्ष में फिट कर
दिया मैंने चुन-चुन कर बाख,
बिथोविन,
मोजार्ट के
कैसेट टेबिल पर रखे बच्चों ने कहा,
"हम
थोड़ा पॉप भी रख देते हैं,
नहीं तो उसका हाज़मा खराब हो जायेगा।"
साढ़े छ: फीट लम्बा रिचर्ड पार्कर जब नीरद के
साथ घर में घुसा तो कमरा उसकी उपस्थिति से एकदम भर गया
वह सभी से गर्मजोशी से मिला बीजी को उसने हाथ जोड़ कर
कहा, "नमस्टे!"
मैंने उसके लिए चीज़ सैंड़विचेज बना कर पहले से
ही रख लिये थे जल्दी से चाय बनायी पुरानी सेविका
मालती का मन नहीं माना इतनी दूर से आये मेहमान को सिर्फ
एक चीज के साथ चाय पिलाते हैं कभी? उसने आलू-प्याज़ के पकौड़े बना डाले और पापड़
तल दिये रिचर्ड इतना सब देख कर भौचक रह गया उसने
गप से एक पकौड़ा मुँह में रखा "ऊ औ आ।"
पकौड़ा बहुत गर्म था रिचर्ड कुर्सी से
उछला और पकौड़ा मुँह से बाहर निकला बच्चों की तरफ देखकर
हँसा, "सॉरी" उसने कहा फिर पकौड़े को फूँक-फूँककर मुँह में डाला।
"डेलिशस",
उसने कहा और तीन चौथाई प्लेट चट कर गया उसे
चाय भी बढ़िया लगी यह कहना मुश्किल था कि हमारी मेहनत रंग दिखा
रही थी या उसका मूड
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