रूप पुराना रंग नया (२)
कुछ उपयोगी सुझाव (संकलित)
२६-
पुराने कोलैंडर का एक और नया रूप
पुराने कोलैंडर को फूल
उगाने के लिये भी प्रयोग किया जा सकता है। विशेष रूप से तब
जब उनका रंग आस पास की किसी दीवार या दरवाजे से मिलता
जुलता हो। अगर गरम देश में रहना हो तो इस बात का ध्यान
रखना चाहिये कि पौधा पूरी तरह से धूप में न हो। कोलैंडर
सामान्य मिट्टी के गमलों की अपेक्षा जल्दी गर्म हो जाते
हैं और फूलों की जड़ों को नुक्सान पहुँचा सकते हैं। कई तरह
के फूल एक साथ इसमें लगाए जाएँ तो यह फूलों के गुलदस्ते की
तरह सुंदर लगता है। तो इस बार पुराना कोलैंडर फेंकें नहीं
वह कैसे घर की शोभा बढ़ा सकता है आपसे बेहतर कोई भी नहीं
जानता।
१
जुलाई
२०१३
२५-
पुराने कोलैंडर का नया रूप
कोलैंडर या बड़ी छन्नी
जिसमें हम सब्जियाँ धोते हैं, लगभग हर साल नई खरीद ली जाती
है। कभी मैचिंग रंगों के चलते, कभी सुंदर डिजाइन या आकार
के चलते, जबकि पुरानी भी एकाध जगह से पिचक जाने या रंग
निकल जाने से ज्यादा खराब नहीं हई होती है। अधिकतर कोलैंडर
बनावट और डिजाइनों के कारण बहुत आकर्षक होते हैं और इनको
फेंकने का मन नहीं करता। अगर आपको भी पुराना कोलैंडर
प्यारा है और उसे फेंकने का मन नहीं, तो रसोई में जगह न
घेरने दे। उसको एक नया रूप और नया घर दें। इस बार किसी
घरेलू गोष्ठी में उसे बर्फ रखने का पात्र बना दें। जब यह
केलैंडर मेज पर हो तो अपनी खाने की मेज का सेट भी
मिलते-जुलते रंग का निकालें। पुराने पात्र का यह नया रूप
शीतल पेयों का स्वाद तो बढ़ाएगा ही, मेज की शोभा भी
बढ़ाएगा।
२४
जून २०१३
२४-
पुराने डिब्बों का नया गुड्डा
हम सबके घर में कुछ
पुराने डिब्बे जरूर होते हैं। इस गुड्डे के लिये खास
आकारों को ध्यान में रखते हुए डिब्बे इकट्ठे करने होंगे।
विभिन्न आकारों के डिब्बों को इस प्रकार जोड़ना होगा कि वे
सही तरह से गुड्डे का आकार बना सकें। गुड्डे के हाथ, कान
और नाक बनाने के लिये डब्बे के ढक्कनों का प्रयोग किया गया
है। उसके बटन और आँखे पुरानी बोतलों के ढक्कन से बनाई गई
है। यह डिब्बा इतना चिकना-चुपड़ा तो नहीं कि इसे घर
के भीतर में रखा जाए। लेकिन इसे घर के बाहर या बगीचे या
कार्यशाला में जहाँ मन करे और जहाँ यह अच्छा लगे इसे बनाया
जा सकता है। अगर जंक लगे हुए पुराने डिब्बे पसंद न आएँ तो
डिब्बों को सुंदर रंगों से रंगा भी जा सकता है।
१७
जून २०१३
२३-
पुरानी दराज का नया उपयोग
घर की पुरानी दराज जो
पुरखों की यादगार हो, इतनी मजबूत जिसका धूप हवा और पानी
कुछ बिगाड़ न सकें, साथ ही इतनी टूटी-फूटी भी नहीं के कचरे
में फेंक दी जाय, घर के सामने या पीछे के द्वार की शोभा
बढ़ाने का उपयुक्त साधन बन सकती है। अगर रंग खराब हो गया
हो तो उसे फिर से रंगा जा सकता है। उसे बेकार पड़े
फूलदानों और कलाकृतियों से सजाया जा सकता है और उसकी
दराजों में फूलों के छोटे गमले रखे जा सकते हैं। उसके
आसपास घर की बेकार पुरानी पड़ी टोकरियाँ और चौकियाँ भी
अपना घर बना सकती हैं। ऊपर कुछ खूँटियाँ लगाकर छाते और
टोपी आदि टाँगने की जगह बनाई जा सकती है। यह अगर पीछे के
दरवाजे पर है तो खूँटियों पर बगीचे के सामान जैसे बेलचा या
खुरपी को घर मिल सकता है। सिर्फ दराज ही क्यों कुछ और
फरनीचर भी इस प्रकार सजावट के काम आ सकते हैं जरूरत है बस
कलात्मक सोच की।
१०
जून २०१३
२२- पेस्टल रंगों की बहार
पुरानी बोतलों का
सदुपयोग करना हम सब जानते हैं,
और उनको रंग कर सुंदर बनाया जा सकता है,
यह भी। लेकिन रंगों के कुछ नये प्रयोग कुल प्रभाव में
कितना बदलाव ला सकते हैं उस पर बहुत कम लोगों का ध्यान
जाता है। पेस्टल रंगों की यह बहार गर्मी के मौसम में तरावट
का काम करेगी। धारियों का सौदर्य आँखों को रुचता है। बीच
में बार-बार सफेद रंग का दोहराव
रंगों का आकर्षण बढ़ा देगा। कुछ पुरानी बोतले इकट्ठा करें।
सुंदर आकार और सुंदर सतह वाली बोतलों को रंगने के लिये
चुनें। पुराने रंग निकालें और एक शीशी सफेद रंग की खरीद
लें, बस शुरू करे रंगों के आकर्षण का जलवा!
आपकी कला का यह रूप कमरे के किसी भी उदास कोने को खुशनुमा
बना देगा।
३ जून
२०१३
२१-
खाली दीवार का सौंदर्य
किसी एक लंबी खाली
दीवार को सुंदर बनाना हो तो दरवाजे या खिड़की उसमें जान
फूँक सकते हैं, फिर चाहे दरवाजा पुराना ही क्यों न हो।
दरवाजे पर इच्छानुसार नया रंग लगाएँ, कुछ पुराने एक से
डिब्बों को साफ कर के उन पर को नया रंग करें और फूल-पौधों
से सजाकर यह सुंदर लटकन बना लें। नीचे एक बड़ा पौधा रखें
और देखें कि अपने हाथों से सजाए गए इस कोने में कितना रूप
बरसता है। जरा-सा रंग, जरा-सा समय, जरा-सा धैर्य और जरा सी
रुचि किसी भी मामूली कोने को बिना बड़े खर्च के सजा सकते
हैं।
२७ मई
२०१३
२०-
बगीचे के औजारों का सुंदर घर
खुरपी, कुदाल, तसले,
बीजों के पैकेट, कीड़ों की दवा ये सब हर बगीचे में होते
हैं। लेकिन इनको जहाँ भी रखो बगीचा गंदा दिखाई देता है। इन
सबको सही जगह मिल जाए और बगीचा भी गंदा न दिखाई दे उसके
लिये थोड़े से परिश्रम और थोड़ी सी कलात्मक रुचि की जरूरत
है। साथ के चित्र में देखें- बगीचे के औजारों के साथ कुछ
पत्थर और कुछ फूलों के साथ एक पुरानी तख्ते को दीवार में
जड़ा गया है। तख्ते का सदुपयोग तो हुआ ही है, औजारों को घर
मिल गया है और बगीचे का एक सूना कोना सज गया है। मैले हो
गए कुछ पुराने मिट्टी के खिलौने भी यहाँ सजाए जा सकते हैं।
२० मई
२०१३
१९-
कायाकल्प पुरानी सैंडिल का
सैंडिलों में जो चीज
सबसे पहले खराब होती है वह है उनकी हील। कभी धूल मिट्टी से
तो कभी कंकड़ पत्थर से टकरा कर उनका चमड़ा या कपड़ा
क्षतिग्रस्त हो ही जाता है। फिर किसी अच्छे आयोजन पर पहनने
के लिये वे बेकार-सी हो जाती हैं। अगर आपके पास भी ऐसी कोई
सैंडिल है तो उसकी हील को चित्र का सहारा लेते हुए अपनी
कल्पना से सजा लें। बस एक चिमटी, कुछ क्रिस्टल के नग और एक
अच्छे ग्ल्यू की आवश्यकता पड़ेगी। बाजार में तरह तरह के
सजावटी नग मिलते हैं। उन्हें अपनी आवश्यकता इच्छा और रुचि
के अनुसार हील पर लगाते हुए, क्षतिग्रस्त हिस्सा छुपा दें
और चमचमाती हुई नई हील के रौब से दुनिया जगमग कर दें।
१३
मई २०१३
१८-
ढक्कनों के लिये विशेष स्थान
रसोईघर में सामान रखने की कितनी भी अच्छी व्यवस्था क्यों न
हो कुछ सुविधाओं की कमी बनी रहती है। अब इन ढक्कनों को ही
देखें- अगर इन्हें अलमारी के खानों में रखना हो तो पूरा एक
खाना घिर जाए, निकालते रखते समय सही ढक्कन खोजने में हर
बार ढेर से समय और ऊर्जा का व्यय!
अगर इन्हें बर्तनों पर ढँककर रखा जाए तो जगह की
कमी। अगर नई अलमारी रसोई में लाने की जगह नहीं तो यह उपाय
अपनाएँ। बाजार मे तौलियाँ टाँगने की तरह तरह की लोहे
अल्युमिनियम या अन्य धातुओं की रॉडें मिलती हैं। उन्हें
अलमारी के दरवाजें में चित्रानुसार लगाएँ, ढक्कनों के लिये
विशेष स्थान बनाएँ और पुरानी अलमारी की उपयोगिता बढ़ाएँ।
६ मई
२०१३
१७-
पुराना चाय का प्याला
सिलाई की सुविधा के साथ
भला शृंगार की मेज पर
पुराने चाय के प्याले का क्या काम?
लेकिन अगर चाय का प्याला चित्र जैसा सुंदर हो और काम की
चीज भी, तो फिर कैसे न शृंगार-मेज
की शोभा बन जाए! अक्सर चाय के
सेट का बचा हुआ एक सुंदर प्याला अपनी सुंदरता के कारण
फेंका नहीं जाता। अगर प्याले के नमूने से मैंचिंग कढाई कर
के प्याले के आकार का तकिया बनाया जा सके तो सूइयों,
आलपिनों और सेफ्टीपिनों के लिये एक सुंदर स्थान बन जाएगा।
प्याले के नीचे की तश्तरी का उपयोग रील रखने के लिये किया
जा सकता है। बात सिर्फ एक बेकार चीज को उपयोगी बनाने की
है। अगर आप भी ऐसा कर सकें तो अपनी कारीगरी की इस शान को
शृंगार मेज पर सजा दें। सहेलियों पर रौब जमाएगी, वक्त पर
काम आएगी और मेज की शान तो बढ़ाएगी ही।
२९
अप्रैल २०१३
१६- हरी पत्तियाँ सुंदर कोना
धनिया पुदीना तुलसी और
मेथी घर में रखना किसे अच्छा नहीं लगता? ये सभी भारतीय
घरों की शोभा हैं। चाहे रोज का भोजन हो या त्यौहारों का,
सुख सौभाग्य सुंगंध स्वास्थ्य और स्वाद बढ़ाने वाली इन
नन्ही पत्तियों की जब तब जरूरत पड़ती ही रहती हैं। लेकिन
आज के तंग घरों में इतनी पत्तियों की क्यारियाँ किस कोने
में बनाई जाएँ और कैसे? लीजिये
इसका भी मिल गया एक उपाय! किसी
भी कोने में चित्र के अनुसार थोड़ी सी कलात्मकता का प्रयोग
करते हुए पतियों को बो दें। घर में पुराने पड़े टब और
डिब्बे सब काम आ जाएँगे। बड़े पात्र नीचे रखें और लंबे
पात्र पीछे। कोना सजावट से जीवंत हो उठेगा है वक्त जरूरत
पर रसोई के काम आएगा वह अलग!!
२२
अप्रैल २०१३
१५- फिर-से नए जूते के फीते
जूते के फीतों के सिरे अक्सर फैल जाते हैं जिसके कारण
उन्हें पिरोना मुश्किल हो जाता है, उन्हें फेंकना पड़ता है
और नए फीते खरीदने पड़ते हैं। नए फीते खरीदने हों और जूते
रंग बिरंगे हों तो मैचिंग रंग ढूँढना एक समस्या हो सकती
है। इस स्थित में श्रेयस्कर उपाय यह है कि उनकी मरम्मत कर
ली जाए। मरम्मत करनी आसान है। थोड़ा सा ग्ल्यू उँगलियों
में लेकर सफाई से सिरे के धागों को इकट्ठा कर के हल्का बट
लें। वे आपस में चिपक जाएँगे। ग्ल्यू के सूखने तक
प्रतीक्षा करें फिर उसके ऊपर एक पारदर्शी टेप कसकर बाँध
दें। बस हो गए फिर से नए जूते के फीते। अब इन्हें फेंकने
और नये ढूँढने की जरूरत नहीं।
१५
अप्रैल २०१३
१४- केक ट्रे प्रसाधन में
अक्सर घर में एक से अधिक केक ट्रे हो जाती हैं। कभी कोई
उपहार में दे जाता है, तो कभी नई ट्रे खरीद लेने पर पुरानी
वाली मन से उतर जाती है। ऐसी कोई ट्रे बर्तनों की अलमारी
में बहुत दिनों से रखी हो तो उसे ड्रेसिंग टेबल या प्रसाधन
कक्ष में इच्छानुसार सजाया जा सकता है। अगर उसका रंग ऐसा
हो कि बाथरूम या ड्रेसिंग रूम में अलग थलग मालूम हो तो
उसके ऊपर मिलते जुलते रंग का एक तौलिया या नैपकिन बिछा
दें। मैचिंग साबुनदानी या इसी प्रकार के कुछ प्रसाधन के
सामान सजा दें। सुविधा और सौन्दर्य दोनो का आनंद लें, घर
में बेकार पड़ी चीज उपयोगी बनकर अपना स्थान ग्रहण करे तो
फिर इससे अच्छी और क्या बात हो सकती है।
८
अप्रैल १९१२ |