शिशु का ४५वाँ सप्ताह
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इला
गौतम
बातों की फुलझड़ियाँ
शिशु अब शब्द और शब्दों की तरह सुनाई देने वाली आवाज़ें
मुँह से निकालने लगा है, और इन सब को वह सार्थक रूप से
इस्तेमाल भी करने लगा है। जैसे-जैसे शिशु का दिमाग विकसित
हो रहा है वैसे-वैसे उसकी कारण समझने और बोलने की क्षमता
भी विकसित हो रही है।
शिशु की हर बात उत्सुकता से सुनें और उसकी हर आवाज़ पर जवाब
दें। इससे शिशु की भाषा में रुचि को प्रोत्साहन मिलेगा और
वह दो-तरफ़ा संवाद को समझ पाएगा। शिशु के स्मृति कौशल को
विकसित करने के लिए आप उसके साथ कई खेल खेले जा सकते हैं
जैसे छुप्पा-छुप्पी आदि।
इस उम्र में शिशु आपके शब्दों और उनके उच्चारण की नकल कर
सकता है। वह साधारण एक वाक्य वाले निर्देशों का पालन भी कर
सकता है जैसे "गेंद ले आओ" या "चम्मच उठा लो"। बहुत सारे
वाक्य वाले आदेश को आसानी से समझ आ पाने वाले एक वाक्य के
निर्देशो में अलग करके, और इन्हे इशारों से समझा कर आप
शिशु की मदद कर सकते हैं।
शिशु के इस छोटे लेकिन अद्भुत काल को, जब उसका वार्तालाप
कौशल उभरकर आ रहा है, यादों में संजोकर रखिएगा। यह शायद
उसके जीवन का सबसे महत्वपूर्ण कौशल है!
खेल खेल खेल-
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भोजन
के साथ मनोरंजन- यह
खेल शिशु को एक कलाकृति बनाना सिखाता है, यहाँ हम एक
चेहरा बनाएँगे। सबसे अच्छा रहेगा यदि शिशु खाना खाने
वाली ऊँची कुर्सी में बैठा हो या फिर आपकी गोद में
बैठा हो।
इस खेल के लिए हमें चाहिए एक भोजन जिसमें कई छोटी-छोटी
चीज़े हो जैसे पकी हुई मटर, पकी हुई और चौकोर कटी हुई
गाजर के टुकड़े, भुट्टे के दाने, चैरी टमाटर आधे कटे
हुए, मोटी घिसी चीज़, मीट के छोटे पके टुकड़े, और
नूडल्स आदि।
यह खेल खेलने के लिए सारी सामग्री अलग-अलग ना टूटने
वाली कटोरियो में रख दें - पकी हुई मटर एक कटोरी में,
पके हुए मीट के टुकड़े एक कटोरी में आदि। एक बड़ी समतल
प्लेट (बच्चों की २-३ ख़ानों वाली प्लेट नही) शिशु के
सामने रख दें। और उसकी मदद करें खाने की चीज़ों से एक
चेहरा बनाने में। आप एक कला निर्देशक की भूमिका
निभाएँगे और शिशु अपने हाथ में खाने की चीज़ें लेकर
लगभग उस जगह रखेगा जहाँ आप उसे कहेंगे। जैसे आप कहिए
"इस चेहरे के बालों की जगह चीज़ रख दो और टमाटर से नाक
बना दो।" (पकी हुई घन में कटी हुई गाजर आँखों की जगह
रखने के लिए बढ़िया रहती है और नूडल्स बाल की जगह लगाए
जा सकते हैं)। अगर ज़रूरत पड़े तो आप शिशु का हाथ
पकड़कर चेहरा बनाने में मदद कर सकती हैं और फिर अंतिम
आकार अपने आप पूरा कर सकती हैं। जब चेहरा बन जाए तो
खाना खाने के लिए तैयार है। आशा है कि शिशु
थोड़ा-थोड़ा इस पूरे खेल के दौरान भी खाता जा रहा
होगा। इससे शिशु उन सूक्ष्म पेशियों की कार्यक्षमता
में निपुणता विकसित करता है जो खाना खाने के लिए
आवश्यक है। साथ ही वह एक आकार की पहचान करना भी सीखता
है।
चेतावनीः गोल आकार की
खाने की चीज़ें शिशु के गले में अटक सकती हैं इसलिए
चैरी टमाटर या यदि आप अँगूर इस्तेमाल कर रहे हों तो
उन्हे आधे में ज़रूर काट लें और मीट के टुकड़े और बाकी
सब्ज़ियों को अच्छी तरह गला लें।
याद रखें, हर बच्चा अलग होता है
सभी
बच्चे अलग होते हैं और अपनी गति से बढते हैं। विकास के
दिशा निर्देश केवल यह बताते हैं कि शिशु में क्या विकास
होने की संभावना है - यदि अभी नही तो बहुत जल्द। ध्यान
रखें कि समय से पहले पैदा हुए बच्चे सभी र्कियाएँ करने में
ज़्यादा समय लेते हैं। यदि माँ के मन में बच्चे के स्वास्थ
या विकास से सम्बन्धित कोई भी प्रश्न हो तो उसे अपने स्वास्थ्य केंद्र
की सलाह लेनी चाहिए।
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