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घर-परिवार बचपन की आहट


शिशु का ४६वाँ सप्ताह
इला गौतम


पढ़ने की ओर रुझान

इस उम्र में शिशु को किताबें देखना और उनके पन्ने पलटना बहुत अच्छा लगता है हालाकि वह अभी भी एक-एक पन्ना नही पलट सकता। बड़े-बड़े चित्रों वाली किताबें शिशु के लिए खरीदकर उसे दें। जो किताबें शिशु का परिचय दैनिक जीवन की वस्तुओं से करा सकें और जो चित्रों द्वारा प्राथमिक रंगों (जैसे लाल। पीला, हरा, नीला) से कराएँ वह अच्छी रहेंगी। मोटे गत्ते वाली किताबें भी खरीद सकते हैं जिनके पन्ने शिशु आसानी से पलट सकता है और वे जल्दी फटती नहीं। यह आपकी जेब पर ज़ोर भी नही डालती।

शिशु के पढ़ने के समय को भिन्नता प्रदान करने के लिए और यह देखने के लिए कि उसको क्या पसंद है और क्या नही, उसे नज़दीकी पुस्तकालय में भी ले जाया जा सकता हैं।

विदा के कठिन पल

पिछले कई महीनों से शिशु माँ से दूर हो जाने के डर से जूझ रहा है। यह प्राकृतिक हैः वह आपसे प्यार करता है और आप पर निर्भर करता है इसलिए जब आप नही होतीं तब वह परेशान हो जाता है। बाहर जाने को आसान बनाने के लिए इसे संक्षिप्त और प्यार भरा रखें। जब भी शिशु को किसी के पास देखभाल के लिए छोड़ें या फिर किसी व्यक्ति के साथ शिशु को घर पर छोड़ें तब लंबे अलविदा से शिशु का दर्द ना बढ़ाएँ। जैसे ही आप शिशु की नज़र से हट जाएँगे उसके आँसु
अपने आप बंद हो जाएँगे।

हर वक्त शिशु के आगे पीछे न घूमकर उसको स्वतंत्र महसूस करने में उसकी मदद की सकती है। उसको यह भी ज़रूर पता होना चाहिए कि आप उसके आस पास हैं और वह आप पर निर्भर कर सकता है। इसलिए यदि वह दूसरे कमरे में चला जाए तो थोड़ी देर रुक कर फिर उसके पीछे जाएँ। यदि आप किसी दूसरे कमरे में हों तो शिशु को अपने पास आने के लिए कहें न कि उसकी हर आवाज़ पर भागते हुए उसके जाएँ।

खेल खेल खेल-

  • बड़े-बड़े बटन- इस खेल के लिए हमें चाहिए कम से कम आठ बड़े बटन (जिनका व्यास कम से कम दो इन्च का हो), एक छोटा कपड़े का झोला या कागज़ का बैग।

    आठ बटन चुनें जो दो के जोड़े में हों। कोशिश करें कि तरह-तरह के रंगों और बनावट वाले बटन चुनें। इन्हे छोटे झोले या कागज़ के लिफ़ाफे में डाल दें। शिशु को बटन निकालने दें और फिर से डालने दें। यह खेल बार-बार खेलें। जब शिशु यह खेल कई बार खेल ले तो उसे अपनी गोद में बिठा लें और उसके सामने सारे बटन फैला दें। फिर उसे समान दिखने वाले बटन के जोड़े बनाने में मदद करें। यह बटन का झोला आसानी से आपके पर्स या डाईपर बैग में आजाएगा और जब भी आप घर के बाहर हों और आपका शिशु बोर हो रहा हो तब आप इसे निकाल कर खेल सकते हैं।

    इस खैल से शिशु की सूक्ष्म पेशियों के कौशल का विकास होता है और उसका हाथ और आँख का समन्वय भी विकसित होता है। बटनों के स्थान पर प्लास्टिक के रंगीन कंगनों का प्रयोग भी किया जा सकता है जिन कोई नुकीले किनारे न हों।

याद रखें, हर बच्चा अलग होता है

सभी बच्चे अलग होते हैं और अपनी गति से बढते हैं। विकास के दिशा निर्देश केवल यह बताते हैं कि शिशु में क्या विकास होने की संभावना है - यदि अभी नही तो बहुत जल्द। ध्यान रखें कि समय से पहले पैदा हुए बच्चे सभी र्कियाएँ करने में ज़्यादा समय लेते हैं। यदि माँ के मन में बच्चे के स्वास्थ या विकास से सम्बन्धित कोई भी प्रश्न हो तो उसे अपने स्वास्थ्य केंद्र की सलाह लेनी चाहिए।

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