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घर-परिवार बचपन की आहट


शिशु का ४४वाँ सप्ताह
इला गौतम


अपनेपन की पहचान

आपका शिशु अब अपने भाई बहनो में अपनी जगह बनाएगा और समानांतर खेल में व्यस्त हो जाएगा। वह अभी दूसरों के साथ खेलना नहीं जानता है लेकिन दूसरों की उपस्थिति में अपने आप खेलते रहना सीख गया है और संतोषपूर्वक इसमें लगा रहता है। इस समय यदि शिशु दूसरे बच्चों से मिलेजुलेगा तो उसके सामाजिक कौशल को आवश्यक प्रोत्साहन मिलेगा। बस एक बात ध्यान रखें कि इस उम्र के शिशु दोस्त बनाने की धारणा को समझने के लिए अभी बहुत छोटे हैं। यह खेल की मुलाकातें एक नीव हैं जो शिशु को सिखाती हैं कि दूसरों के साथ बातचीत कैसे की जाती है। शिशु एक ही खेल को अलग-अलग तरीकों से खेलना सीखेगा। यह शिशुपालन का एक ऐसा समय है जब आपको भी दूसरे बच्चों के माता-पिता से सहयोग और सहारा मिलेगा।

सीमाओं के निर्धारण का समय

शिशु अब साधारण और सरल निर्देश समझ लेता है, हालाँकि वह जानबूझ के कभी-कभी आपको अनसुना करेगा जब आप उसे "ना" कहेंगे। यदि आप चाहते हैं कि "ना" शब्द का असर बना रहे तो आवश्यक सीमाएँ स्थापित करने के लिए इसे कभी-कभी ही इस्तेमाल करें। हालाँकि शिशु से आप जो बात आज कहेंगी वह बात वो कल तक याद नही रखेगा लेकिन यह सही समय है शिशु के लिए सीमाएँ बनाने का और उसे महत्वपूर्ण भेद सिखाने का, जैसे क्या सही है और क्या गलत, क्या सुरक्षित है और क्या असुरक्षित।

अपने सबसे अच्छे निर्णय को एक दिशानिर्देश के रूप में इस्तेमाल कीजिए। उदाहरण के तौर पर, यदि आप शिशु को दुबारा केक खाने के लिए मना कर रहे हैं तो आप मतलबी नही बन रहे - आप शिशु के लिए एक स्वस्थ सीमा बना रहे हैं। यदि शिशु पालतु कुत्ते की पूँछ पकड़कर खींचे, तो शिशु का हाथ हटा दें, उसकी आँखों मे आँखें डालकर देखें, और कहें, " नही, इससे कुत्ते को चोट लगती है।" फिर शिशु का हाथ पकड़कर उसे सिखाएँ कि कुत्ते हो कैसे सहलाकर प्यार किया जाता है। शिशु की खोज की इच्छा आपकी चेतावनी मानने की इच्छा से कहीं अधिक तीव्र है, इसलिए यह आप पर निर्भर करता है कि आप कैसे शिशु की रक्षा करते हुए उसे सही बातें सिखाते हैं। जो शिशु की अवज्ञा लग रही है वह बस उसकी प्राकृतिक जिज्ञासा है यह जानने की कि सब चीज़ें कैसे काम करती हैं।

खेल खेल खेल-

  • खिलौनों की उड़ान- इस गतिशील उपयोग से शिशु निश्चित रूप से मंत्र मुग्ध हो जाएगा। इस खेल के लिए हमें चाहिए गत्ते की नली जिसको कड़ा करने के लिए उसमें अख़बार भरा हो, एक छोटा चौखाना तख्ता या शिशु की बड़ी समकोण किताब, एक छोटा मुलायम खिलौना, और एक बच्चों का प्लास्टिक वाला हथौड़ा।

    एक समतल सतह, जैसे ज़मीन, पर नली रख दें। लकड़ी के तख्ते या शिशु की किताब को इस नलि पर "सी-सौ" झूले की तरह टिका दें ताकि एक सिरा ज़मीन को छू रहा हो और दूसरा सिरा तिरछा ऊपर की ओर हो। निचले हिस्से में छोटा खिलौना रख दें। ज़ोर से कहें "यह चला खिलौना सैर पर" और शिशु की हथौड़ी की मदद से किताब या तख्ते का जो हिस्सा ऊपर था उस पर मारने में शिशु की मदद करें। (यदि आपके पास बच्चों की हथौड़ी ना हो तो शिशु अपनी मुट्ठी से भी मार सकता है)। फिर शिशु के हाव-भाव देखें जब खिलौना उड़ता हुआ दूसरी ओर आता है। इस खेल से शिशु कि "कारण और प्रभाव" की समझ विकसित होती है।

    चेतावनीः शिशु इसे बार-बार करना चाहेगा इसलिए अपना धैर्य बनाए रखने के लिए आप इसको और चुनौती पूर्ण बना सकते हैं हर बार खिलौना कितनी दूर गया यह नाप कर।

याद रखें, हर बच्चा अलग होता है

सभी बच्चे अलग होते हैं और अपनी गति से बढते हैं। विकास के दिशा निर्देश केवल यह बताते हैं कि शिशु में क्या विकास होने की संभावना है - यदि अभी नही तो बहुत जल्द। ध्यान रखें कि समय से पहले पैदा हुए बच्चे सभी र्कियाएँ करने में ज़्यादा समय लेते हैं। यदि माँ के मन में बच्चे के स्वास्थ या विकास से सम्बन्धित कोई भी प्रश्न हो तो उसे अपने स्वास्थ्य केंद्र की सलाह लेनी चाहिए।

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