शिशु का ३४वाँ सप्ताह
—
इला
गौतम
सुरक्षा पहले
शिशु ने अभी-अभी जो गतिशीलता प्राप्त की है इससे वह घक्कों
और घटनाओं की दुनिया में प्रवेश करने वाला है। यह बचपन का
एक अनिवार्य हिस्सा है। कई बार आपकी धड़कनें रुक जाएँगी
लेकिन फिर भी मनोरंजन लें शीशु को अपने आस-पास का वातावरण
और अपनी सीमाओं को खोजते हुए देख कर।
शिशु की रक्षा करने की अपनी स्वाभाविक इच्छा पर नियंत्रण
रखें। इससे शिशु को अपने आप बड़े होने में और बहुत सी
बातें सीखने में मदद मिलेगी। फिर भी अपने घर को
"शिशु-सुरक्षित" ज़रूर बनाएँ। एक अच्छा तरीका है कि शिशु के
स्तर पर आजाएँ और फिर देखें कि किन वस्तुओं से या जगहों पर
खतरा हो सकता है।
-
उदाहरण के लिये-
-
टूटने वाली वस्तुओं को अलमारी खुली अलमारियों में से
हटा दें।
-
जिस
फर्नीचर से शीशु को चोट लग सकती है वह ऐसी जगह रखें
जहाँ शिशु का ज़्यादा आना-जाना न हो।
-
यह
सही वक्त है परदे या पारदों को खीचने वाली रस्सी को
शिशु की पहुँच से दूर करने का।
-
सभी
मेज़ के कोनों पर एक रब्बर का कोना लगाएँ।
-
शौचालय की सीट में भी ताला लगाएँ, यह किसी भी शिशु
सुरक्षा किट में उपलब्ध होते हैं।
-
यदि
घर में कोई ऐसे पौधे हों जिनसे शिशु को चोट लग सकती है
जैसे कैकटस तो उन्हे उठाकर किसी ऊँची जगह रख दें जहाँ
शिशु का हाथ ना पहुँच सकता हो।
-
ज़हरीले
सफ़ाई करने के तरल पदार्थ और दवाईयाँ किसी ताले वाली
अलमारी में रख दें।
-
यदि
आपके घर में सीढ़ियाँ हैं तो उसके ऊपर और नीचे के
दरवाज़े अच्छी तरह बंद रखें।
वस्तुओं की
खोज
शिशु
अब वस्तुओं की खोज उसे हिलाकर, किसी चीज़ पर मार कर, उसे
फेंक कर या गिराकर करता है नाकि अपने पुराने तरीके यानि
चबाकर। अब शिशु के दिमाग में यह विचार विकसित होने लगा है
कि हर वस्तु किसी काम के लिए होती है जैसे कंघा बाल काढ़ने
के लिए होता है। इसलिए एक एक्टिविटी सैंटर जिसमें खूब सारी
चीज़े हों जिनको शिशु मार सके, घुमा सके, दबा सके, हिला
सके, गिरा सके या खोल साके वो शिशु को बहुत रोमांचक लगेगा।
शिशु को इस उम्र में
वह खिलौने भी रोमांचक लगते हैं जो किसी विषेश कार्य के लिए
होते हैं जैसे
टेलीफोन जो बात करने के लिए होता है। यदि शिशु टेलीफोन को
अपने आप कानों पर नही लगा पा रहा है तो उसकी मदद करें और
उससे संवाद करने का खेल खेलें। अगले कुछ महीनों में शिशु
वस्तुओं को अपने सही मतलब के लिए इस्तेमाल करने लगेगा -
जैसे टूथ ब्रश से बाल न काढ़ना बल्कि दाँत साफ़ करना, कप
से दूध या पानी पीना, और फ़ोन पर बड़बड़ाना।
अब जब भी आप किसी वस्तु का नाम लेंगी तो शिशु बिल्कुल सही
तस्वीर पर अँगुली रखेगा या उस तरफ़ देखेगा, खास तौर पर यदि
वह परिचित चीज़ हो (जैसे आँखें, नाक या मुँह) या फिर उसकी
मनपसंद चीज़ (जैसे पाल्तू कुत्ता या रब्बर की बतख)।
इस चरण पर शिशु को चीज़ें गिरती हुई और फिर से उठाई जाती
हुई (ज़ाहिर है आप से) और फिर से फेक कर गिरती हुई देख कर
बहुत अच्छा लगता है। वह आपको परेशान नही करना चाहता। उसको
बस यह तमाशा बहुत दिलचस्ब लगता है और वह उसे स्वाभाविक रूप
से बार-बार देखना चाहता है।
खेल खेल खेल
-
धूम
धड़ाका -
इस खेल के लिए हमें चाहिए छोटे-छोटे प्लास्टिक के
डब्बे जिनके ढ़क्कन अच्छी तरह बँद होते हों, इन डब्बो
में भरने के लिए लईया, मैकरोनी, और राजमा, और अंत में
चिपकाने वाला टेप। यदि छोटे डब्बे ना हों तो बच्चों के
दूध के टिन के डब्बे भी अच्छे रहेंगे।
हर डब्बे में एक-एक चीज़ भर दें ताकि सबमें से हिलाने
पर अलग आवाज़ आए। फिर टेप-रिकॉर्डर पर कोई थिरकता हुआ
गाना बजाएँ। शिशु को अपनी गोद में बिठाकर सारे डब्बे
उसके सामने रखें। फिर गाने की ताल के साथ शिशु को
अलग-अलग डब्बे बजाकर दिखाएँ। देखिए शिशु इस खेल में
कितने मज़े लेता है! इस खेल से शिशु की महीन मोटोर कौशल
का विकास होता है और शिशु को ताल की समझ भी आती है।
याद रखें, हर बच्चा अलग होता है
सभी
बच्चे अलग होते हैं और अपनी गति से बढते हैं। विकास के
दिशा निर्देश केवल यह बताते हैं कि शिशु में क्या सिद्ध
करने की संभावना है - यदि अभी नही तो बहुत जल्द। ध्यान
रखें कि समय से पहले पैदा हुए बच्चे सभी र्कियाएँ करने में
ज़्यादा वक्त लेते हैं। यदि माँ को बच्चे के स्वास्थ
सम्बन्धित कोई भी प्रश्न हो तो उसे अपने स्वास्थ्य केंद्र
की सहायता लेनी चाहिए।
|