शिशु का ३५वाँ सप्ताह
—
इला
गौतम
अब तो मैं देख सकता हूँ
शिशु की
नज़र - जो पहले ज़्यादा से ज़्यादा २०/४० थी - वह अब लगभग
बड़ों जैसी हो गई है सफाई और स्पष्टता में। हालाँकि अभी भी
शिशु की पास की नज़र सबसे अच्छी है लेकिन उसकी दूर की नज़र
इतनी अच्छी हो गई है कि वह कमरे के अंदर खड़े लोगों और
वस्तुओं को देख कर पहचान सकता है। हो सकता है कि वह कमरे
के दूसरे कोने में पड़े खिलौने को देख कर उसकी ओर घुटने के
बल चलकर जाने की कोशिश करे। शिशु की आँखों का रंग भी लगभग
तय होने लगा है हालाकि हो सकता है कि बाद में थोड़ा बदलाव
देखने को मिले।
हाथ का
प्रयोग
अब
शिशु नीचे गिरी हुई चीज़ों की तरफ़ देखना शुरू कर देगा और
हो सकता है कि वह अपनी तर्जनी उंगली से उसकी तरफ़ इशारा
करे। अब वह आसानी से अपनी उंगली का इस्तेमाल करके खाने का
टुकड़ा उठा सकता है और अपनी बंद मुट्ठी में पकड़े रख सकता
है। शिशु ने और अधिक स्पष्टता से यह सीख लिया है कि कैसे
हाथ खोलकर चीज़ें गिराई या फेकी जा सकती हैं। संभवतया शिशु
"पिन्सर पकड़" में माहिर हो रहा है - यह एक नाज़ुक कुशलता
है जिससे शिशु छोटी चीज़ें अपने अंगूठे और पहली उंगुली के
बीच पकड़ पाता है।
इस उम्र में शिशु को सब वस्तुएँ उंगली से दबा-दबाकर देखने
में बहुत मज़ा आता है खासतौर पर उंगली छेदों में घुसाना।
इसलिए यही सही समय है अपने घर के बिजली के सौकेटों पर कवर
लगाकर बंद करने का।
भय में
आश्वस्ति
कई बार एसा होगा कि शिशु एसी
बातों या चीज़ों से डर जाएगा जो उसकि समझ में नही आएँगी।
इनमें वह भी वस्तुएँ शामिल हैं जिनसे पहले उसे कोई तकलीफ़
नही होती थी जैसे दरवाज़े की घंटी, प्रेशर कुकर की सीटी आदि
से वह डर सकता है। जब ऐसा हो तब एक माँ के रूप में सबसे
ज़रूरी चीज़ जो आप कर सकती हैं वह है शिशु को सांतवना देना
और अश्वस्त कराना। उसको बताएँ कि आप उसके पास हैं और वह
ठीक है - प्यार से उसे गले लगाकर सीने से चिपका लें।
खेल खेल खेल
-
यह आवाज़
कहाँ से आई? - इस
उम्र में वह खिलौने जिनको दबाने से आवाज़ आती है शिशु
को बहुत प्रिय होते हैं। इस खेल के लिए हमें चाहिए
आवाज़ निकालने वाला खिलौना, और एक रूमाल या छोटा कंबल।
शिशु को दबाकर आवाज़ निकालने वाला एक खिलौना दिखाएँ।
उससे कई बार दबाकर आवाज़ निकालें। उसके बाद उसे छोटे
कंबल से ढँक दें और शिशु को उसे अपने आप खोजने दें।
दूसरी बार फिर से खिलौना ढँक दें और ढ़के हुए ही उसको
दबाकर आवाज़ निकालें। यह खेल आप एक झुनझुना बजाकर भी
खेल सकते हैं और ऐसे खिलौने के साथ भी को कुरमुरी आवाज़
निकालता हो। इन सभी अलग-अलग आवाज़ों पर शिशु के हाव-भाव
देखने वाले होंगे। और सबसे अधिक मज़ा आएगा जब आप एक
रेडियो के ऊपर छोटा कंबल डालकर उसका प्ले बटन दबा
देंगी। और कोई खिलेना शिशु को उत्तेजित करे या न करे
लेकिन रेडियो के प्ले होते ही शिशु उछल पड़ेगा। इस खेल
से शिशु वस्तु स्थायित्व को समझता है और उसका हाथ और
आँख का समन्वय भी विकसित होता है।
याद रखें, हर बच्चा अलग होता है
सभी
बच्चे अलग होते हैं और अपनी गति से बढते हैं। विकास के
दिशा निर्देश केवल यह बताते हैं कि शिशु में क्या सिद्ध
करने की संभावना है - यदि अभी नही तो बहुत जल्द। ध्यान
रखें कि समय से पहले पैदा हुए बच्चे सभी र्कियाएँ करने में
ज़्यादा वक्त लेते हैं। यदि माँ को बच्चे के स्वास्थ
सम्बन्धित कोई भी प्रश्न हो तो उसे अपने स्वास्थ्य केंद्र
की सहायता लेनी चाहिए।
|